प्रदेश में 45,000 बीपीएड वाले नौकरी की तलाश में

लखनऊ। बैचलर ऑफ फिजिकल एजुकेशन (बीपीएड) वालों को संघर्ष का फल मिलने वाला है। राज्य सरकार उन्हें इंटर कॉलेजों में शारीरिक शिक्षक के लिए पात्र मानने का मन बना रही है। इसके लिए उत्तर प्रदेश अधीनस्थ शिक्षा (प्रशिक्षित स्नातक श्रेणी) सेवा नियमावली 1983 में संशोधन की तैयारी है। माध्यमिक शिक्षा निदेशालय ने इसके लिए शासन को प्रस्ताव भेज दिया है।

प्रदेश में मौजूदा समय करीब 45,000 बीपीएड वाले नौकरी की तलाश में घूम रहे हैं। इन्हें निजी स्कूलों या परिषदीय स्कूलों में संविदा शिक्षक बनने का ही मौका मिल पाता है। इंटर कॉलेजों में शारीरिक शिक्षक के लिए मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से स्नातक की उपाधि व शारीरिक शिक्षा में डिप्लोमा वालों को पात्र माना गया है। बीपीएड वालों का कहना है कि वे डिग्रीधारक हैं। डिप्लोमा से इसे उच्च माना जाना चाहिए, पर सरकार अपात्र मान रही है।
एनसीटीई की भी अनदेखी
राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने बीपीएड वालों को शारीरिक शिक्षक के लिए पात्र मानते हुए वर्ष 2001 में अधिसूचना जारी की थी। इसके आधार पर राज्य सरकार को उत्तर प्रदेश अधीनस्थ शिक्षा (प्रशिक्षित स्नातक श्रेणी) सेवा नियमावली 1983 में संशोधन करते हुए बीपीएड वालों को शारीरिक शिक्षक के लिए पात्र मानना था, लेकिन इसकी भी अनदेखी कर दी गई। हाईकोर्ट के आदेश पर अब बीपीएड वालों को शारीरिक शिक्षक के लिए पात्र मानते हुए नियमावली को जल्द संशोधित किया जाना चाहिए।
- रवि शास्त्री, प्रदेश अध्यक्ष, बीपीएड संघर्ष समिति उप्र.
हाईकोर्ट के आदेश पर कवायद
हाईकोर्ट ने इंटर कॉलेजों में शारीरिक शिक्षक के लिए बीपीएड वालों को भी पात्र मानने का आदेश दिया है। राजकीय इंटर कॉलेजों में शिक्षक भर्ती के लिए निकाले गए 6,645 शिक्षकों के पदों में इन्हें भी शामिल करने की बात कही गई है। जानकारों की मानें तो इसके बाद ही बीपीएड वालों को शारीरिक शिक्षक भर्ती के लिए पात्र मानने की कवायद शुरू हुई है। प्रस्ताव के मुताबिक शारीरिक शिक्षक के मौजूदा समय 298 पद खाली बताए गए हैं।



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