विशिष्ट बीटीसी-2004 के अभ्यर्थियों की नियुक्ति का रास्ता साफ
राज्य ब्यूरो, इलाहाबाद : पिछले कई साल से नियुक्ति की बाट जोह रहे विशिष्ट बीटीसी-2004 के चयनित अभ्यर्थियों की राह अब आसान हो गई है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उनके प्रत्यावेदन पर तीन माह के भीतर निर्णय लेने का निर्देश दिया है। इसके लिए राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद को आदेशित किया गया है।
प्रदेश सरकार ने विशिष्ट बीटीसी अभ्यर्थियों के लिए पूर्व में 46189 पद विज्ञापित किए थे। इन पर नियुक्तियां भी हुई थीं। लेकिन विशिष्ट बीटीसी-2004 के चयनित सैकड़ों अभ्यर्थी इसमें नियुक्ति पाने से से वंचित रहे। बाद में टीईटी की अनिवार्यता के बाद उनकी नियुक्ति और अधर में लटक गई। इस बीच अभ्यर्थियों ने जन सूचना कानून के तहत जानकारी हासिल की तो पता चला कि 31 अक्टूबर 2011 तक उक्त विज्ञापन के तहत 35738 लोगों की ही नियुक्तियां हुई हैं, बाकी पद रिक्त हैं। इस आधार पर अलका गुप्ता व अन्य अभ्यर्थियों ने याचिका दायर कर मांग की उक्त विज्ञापन के तहत उनकी नियुक्ति की जाए। न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल की अदालत ने इस याचिका पर सुनवाई की। याचियों की ओर से अधिवक्ता अवनीश रंजन श्रीवास्तव ने तर्क दिया कि इन अभ्यर्थियों पर टीईटी की अनिवार्यता नहीं लागू होती क्योंकि विशिष्ट बीटीसी प्रशिक्षण के लिए उनका चयन 2004 में हुआ था और इसी आधार पर रिक्त पदों के लिए उन्होंने आवेदन किया था। यह भी कहा गया कि ऐसे ही एक मामले में अदालत एक अभ्यर्थी को राहत दे चुकी है और उसे नियुक्ति भी मिल चुकी है। अदालत ने इस आधार पर एससीईआरटी को निर्देश दिया कि याचियों के प्रत्यावेदन का निस्तारण तीन माह में किया जाए।
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राज्य ब्यूरो, इलाहाबाद : पिछले कई साल से नियुक्ति की बाट जोह रहे विशिष्ट बीटीसी-2004 के चयनित अभ्यर्थियों की राह अब आसान हो गई है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उनके प्रत्यावेदन पर तीन माह के भीतर निर्णय लेने का निर्देश दिया है। इसके लिए राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद को आदेशित किया गया है।
प्रदेश सरकार ने विशिष्ट बीटीसी अभ्यर्थियों के लिए पूर्व में 46189 पद विज्ञापित किए थे। इन पर नियुक्तियां भी हुई थीं। लेकिन विशिष्ट बीटीसी-2004 के चयनित सैकड़ों अभ्यर्थी इसमें नियुक्ति पाने से से वंचित रहे। बाद में टीईटी की अनिवार्यता के बाद उनकी नियुक्ति और अधर में लटक गई। इस बीच अभ्यर्थियों ने जन सूचना कानून के तहत जानकारी हासिल की तो पता चला कि 31 अक्टूबर 2011 तक उक्त विज्ञापन के तहत 35738 लोगों की ही नियुक्तियां हुई हैं, बाकी पद रिक्त हैं। इस आधार पर अलका गुप्ता व अन्य अभ्यर्थियों ने याचिका दायर कर मांग की उक्त विज्ञापन के तहत उनकी नियुक्ति की जाए। न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल की अदालत ने इस याचिका पर सुनवाई की। याचियों की ओर से अधिवक्ता अवनीश रंजन श्रीवास्तव ने तर्क दिया कि इन अभ्यर्थियों पर टीईटी की अनिवार्यता नहीं लागू होती क्योंकि विशिष्ट बीटीसी प्रशिक्षण के लिए उनका चयन 2004 में हुआ था और इसी आधार पर रिक्त पदों के लिए उन्होंने आवेदन किया था। यह भी कहा गया कि ऐसे ही एक मामले में अदालत एक अभ्यर्थी को राहत दे चुकी है और उसे नियुक्ति भी मिल चुकी है। अदालत ने इस आधार पर एससीईआरटी को निर्देश दिया कि याचियों के प्रत्यावेदन का निस्तारण तीन माह में किया जाए।
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