सुल्तानपुर (ब्यूरो)। बर्खास्त किए गए प्रशिक्षु शिक्षक पर सुप्रीम कोर्ट
की ओर शिक्षामित्रों के समायोजन पर रोक के बाद दबाव बढ़ गया था। शासन के
दबाव में बीएसए ने प्रशिक्षु शिक्षक को साफ कह दिया था कि नौकरी करोगे कि
पैरवी। उसके बाद दबाव बढ़ता ही गया। अंत में बर्खास्तगी के रूप में सामने
आया। प्रशिक्षु शिक्षक शिव कुमार पाठक से फोन पर बात की गई तो उन्होंने
अपने ऊपर हुई कार्रवाई को द्वेषपूर्ण बताया।
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से बीते 27 जुलाई को शिक्षामित्रों के समायोजन पर रोक लगाने के आदेश के बाद उन पर दबाव बढ़ गया था। 28 जुलाई को लौटने के बाद बीएसए ने कहा कि अब तुम नौकरी करोगे या पैरवी, यह तय कर लो। उसके बाद प्रदेश स्तर के कुछ शिक्षामित्र नेताओं की ओर से फोन आने लगे कि अब पैरवी न करो नहीं तो तुम्हें नौकरी नहीं करने देंगे। वे लोग बड़े नेताओं का नाम लेकर धमकी दे रहे थे। मैं झुका नहीं और बर्खास्तगी हो गई। बीएसए की ओर से बर्खास्तगी आदेश 17 अगस्त को दिया गया। आदेश में बर्खास्तगी की तारीख 13 अगस्त जरूर लिखी गई है। मैंने बीएसए से कहा कि जब भी बाहर रहा, उसका अवकाश लिया। खंड शिक्षाधिकारी से अनुमति ली। बीएसए ने साफ कहा कि अब मामला उनके स्तर का नहीं है। शासन का मामला है।
अमर उजाला में प्रकाशित हुई थी बर्खास्तगी की खबर
′अमर उजाला′ ने 18 अगस्त के अंक में प्रशिक्षु शिक्षक की खबर ′प्रशिक्षु शिक्षक की नियुक्ति निरस्त′ शीर्षक से प्रकाशित माई सिटी में प्रकाशित की थी। जिस दिन खबर प्रकाशित हुई उसी दिन सरकारी अधिकारियों और नेताओं के बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढ़ाने का हाई कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला आया।
पत्नी भी गोंडा में प्रशिक्षु शिक्षिका
शिव कुमार पाठक जिले के लंभुआ तहसील के गांव सबसुखपुर, पोस्ट जमखुरी निवासी उमाशंकर पाठक के पुत्र है। शिव कुमार ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा हासिल की। वहीं पर सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहा था। बाद में 72,825 प्रशिक्षु शिक्षक भर्ती प्रक्रिया चयनित हुआ। प्रशिक्षु की पत्नी संध्या पाठक गोंडा में प्रशिक्षु शिक्षिका हैं।
कई मामलों में किया केस
शिव कुमार पाठक उप्र लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष की अनियमितता के मामले में कोर्ट गया था। वह 72,825 प्राइमरी शिक्षक चयन में सुप्रीम कोर्ट में मुख्य पक्षकार है। 29,334 गणित-विज्ञान भर्ती प्रक्रिया में भी मुख्य यचिकाकर्ता है। शिक्षामित्रों के समायोजन पर स्टे आदेश भी शिव कुमार की ही रिट पर हुआ है। अफसर व राजनेताओं के बच्चों को सरकारी स्कूलों पढ़ने के लिए आया हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला भी शिव की रिट पर ही हुआ।
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उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से बीते 27 जुलाई को शिक्षामित्रों के समायोजन पर रोक लगाने के आदेश के बाद उन पर दबाव बढ़ गया था। 28 जुलाई को लौटने के बाद बीएसए ने कहा कि अब तुम नौकरी करोगे या पैरवी, यह तय कर लो। उसके बाद प्रदेश स्तर के कुछ शिक्षामित्र नेताओं की ओर से फोन आने लगे कि अब पैरवी न करो नहीं तो तुम्हें नौकरी नहीं करने देंगे। वे लोग बड़े नेताओं का नाम लेकर धमकी दे रहे थे। मैं झुका नहीं और बर्खास्तगी हो गई। बीएसए की ओर से बर्खास्तगी आदेश 17 अगस्त को दिया गया। आदेश में बर्खास्तगी की तारीख 13 अगस्त जरूर लिखी गई है। मैंने बीएसए से कहा कि जब भी बाहर रहा, उसका अवकाश लिया। खंड शिक्षाधिकारी से अनुमति ली। बीएसए ने साफ कहा कि अब मामला उनके स्तर का नहीं है। शासन का मामला है।
अमर उजाला में प्रकाशित हुई थी बर्खास्तगी की खबर
′अमर उजाला′ ने 18 अगस्त के अंक में प्रशिक्षु शिक्षक की खबर ′प्रशिक्षु शिक्षक की नियुक्ति निरस्त′ शीर्षक से प्रकाशित माई सिटी में प्रकाशित की थी। जिस दिन खबर प्रकाशित हुई उसी दिन सरकारी अधिकारियों और नेताओं के बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढ़ाने का हाई कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला आया।
पत्नी भी गोंडा में प्रशिक्षु शिक्षिका
शिव कुमार पाठक जिले के लंभुआ तहसील के गांव सबसुखपुर, पोस्ट जमखुरी निवासी उमाशंकर पाठक के पुत्र है। शिव कुमार ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा हासिल की। वहीं पर सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहा था। बाद में 72,825 प्रशिक्षु शिक्षक भर्ती प्रक्रिया चयनित हुआ। प्रशिक्षु की पत्नी संध्या पाठक गोंडा में प्रशिक्षु शिक्षिका हैं।
कई मामलों में किया केस
शिव कुमार पाठक उप्र लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष की अनियमितता के मामले में कोर्ट गया था। वह 72,825 प्राइमरी शिक्षक चयन में सुप्रीम कोर्ट में मुख्य पक्षकार है। 29,334 गणित-विज्ञान भर्ती प्रक्रिया में भी मुख्य यचिकाकर्ता है। शिक्षामित्रों के समायोजन पर स्टे आदेश भी शिव कुमार की ही रिट पर हुआ है। अफसर व राजनेताओं के बच्चों को सरकारी स्कूलों पढ़ने के लिए आया हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला भी शिव की रिट पर ही हुआ।
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