जैसा की सबको विदित है की 7 या 8 दिसम्बर को मुख्य सिविल अपील (4347-4375)
का फाइनल जजमेंट होना है और ऐसे में न्यू ऐड के विज्ञापन निकलने के डेट से
लेकर ,और अब तक सिर्फ संघर्षों का पर्याय बन चुके कपिल भाई के कोशिसों का
सफलतम रिजल्ट अब जादा दिन दूर नहीं है।
मगर ऐकडेमिक खेमे में निष्क्रिय पड़े अपने भाइयों को देख के मन विचलित भी हो जाता है की क्या सिर्फ सुप्रीम कोर्ट में लड़ाई लड़ने वालो को ही नौकरी मिलेगा ? या सभी को?? मेरा उद्देश्य किसी के मनोबल को तोडना नहीं है सिर्फ लक्ष्य से परे दृष्टि को उसको राह दिखाना है। पिछली सुनवाई में किसी ऐकडेमिक समर्थक भाई ने 2 नवंबर के आर्डर को गौर से नहीं देखें है की आखिर इसमें विशेष क्या है ???? तो मैं आप को बताता हूँ कि माननीय दीपक मिश्रा जी के आदेश में जब ऐकडेमिक टीम के वरिष्ठ अधिवक्ता श्रीमान राकेश द्विवेदी जी का नाम जहाँ से आर्डर में मेंशन हुआ है तब मुख्य रूप से वहीँ से सारे कुटिल मानसिक रोगियों का भ्रम भी दूर हुआ है जो संश्य्योजन और सम्पूर्णानन्द पे राग अलापते फिरते थे। श्री राकेश द्विवेदी जी के तार्किक दलीलों से ही अंतरिम रूप से चली आ रही है गजगामिनी एक्सप्रेस पे लगाम कसा गया था और पूरी बात श्रीमान राकेश द्विवेदी जी का सुनने के बाद ही माननीय दीपक मिश्रा जी विशेस रूप से 4 मुख्य बिंदुओं को अगले सुनवाई में फाइनल जजमेंट देने के लिए बाध्य हुयें। 4मुख्य बिंदुओं का ज़िक्र आर्डर में कहीं ऐसे भी जगह हुआ है क्या कंडीशनल माया मोहन प्यारे जहाँ श्रीमान राकेश द्विवेदी जी के बहस से पहले आदेशित हो ?????जब राकेश जी बहस किये तब भविष्य के रसातल से 4 मुख्य अमृत बिंदुओं का फाइनल जजमेंट के लिए परिक्षरन हुआ ,जिससे कंडीशनल वाले हर डेट पे बहस सेभागा करते थे।अंतरिम का स्वाहा तो उसी दिन 2 नवंबर को हो गया था ,अब अंतिम जजमेंट का राजतिलक लगना बाकी है। ऐकडेमिक भाइयों हम शुरू से कहते चले आयें हैं और 7 या 8 को भी यही कहेंगे की हम लीगली एवं फैक्ट अककॉर्डिंग् सर्विस रूल सही थे और हमारे ऐड के साथ भी न्याय होगा।और हम जीतेँगे भी।
ताज़ा खबरें - प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
मगर ऐकडेमिक खेमे में निष्क्रिय पड़े अपने भाइयों को देख के मन विचलित भी हो जाता है की क्या सिर्फ सुप्रीम कोर्ट में लड़ाई लड़ने वालो को ही नौकरी मिलेगा ? या सभी को?? मेरा उद्देश्य किसी के मनोबल को तोडना नहीं है सिर्फ लक्ष्य से परे दृष्टि को उसको राह दिखाना है। पिछली सुनवाई में किसी ऐकडेमिक समर्थक भाई ने 2 नवंबर के आर्डर को गौर से नहीं देखें है की आखिर इसमें विशेष क्या है ???? तो मैं आप को बताता हूँ कि माननीय दीपक मिश्रा जी के आदेश में जब ऐकडेमिक टीम के वरिष्ठ अधिवक्ता श्रीमान राकेश द्विवेदी जी का नाम जहाँ से आर्डर में मेंशन हुआ है तब मुख्य रूप से वहीँ से सारे कुटिल मानसिक रोगियों का भ्रम भी दूर हुआ है जो संश्य्योजन और सम्पूर्णानन्द पे राग अलापते फिरते थे। श्री राकेश द्विवेदी जी के तार्किक दलीलों से ही अंतरिम रूप से चली आ रही है गजगामिनी एक्सप्रेस पे लगाम कसा गया था और पूरी बात श्रीमान राकेश द्विवेदी जी का सुनने के बाद ही माननीय दीपक मिश्रा जी विशेस रूप से 4 मुख्य बिंदुओं को अगले सुनवाई में फाइनल जजमेंट देने के लिए बाध्य हुयें। 4मुख्य बिंदुओं का ज़िक्र आर्डर में कहीं ऐसे भी जगह हुआ है क्या कंडीशनल माया मोहन प्यारे जहाँ श्रीमान राकेश द्विवेदी जी के बहस से पहले आदेशित हो ?????जब राकेश जी बहस किये तब भविष्य के रसातल से 4 मुख्य अमृत बिंदुओं का फाइनल जजमेंट के लिए परिक्षरन हुआ ,जिससे कंडीशनल वाले हर डेट पे बहस सेभागा करते थे।अंतरिम का स्वाहा तो उसी दिन 2 नवंबर को हो गया था ,अब अंतिम जजमेंट का राजतिलक लगना बाकी है। ऐकडेमिक भाइयों हम शुरू से कहते चले आयें हैं और 7 या 8 को भी यही कहेंगे की हम लीगली एवं फैक्ट अककॉर्डिंग् सर्विस रूल सही थे और हमारे ऐड के साथ भी न्याय होगा।और हम जीतेँगे भी।
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