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Breaking : 8 नवंबर 2010 से पहले के शिक्षक को टीईटी परीक्षा पास करने की कोई जरूरत नहीं : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News

उत्तर-प्रदेश के शिक्षा मित्रों के मामले पर केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने अपना रुख स्पष्ट करते हुए कहा है कि टीचर्स एलिजिबिलिटी टेस्ट (टीईटी) पास करने की शर्त को नहीं हटाया जाएगा। क्योंकि इस मामले में टीईटी ही न्यूनतम पात्रता में शामिल है। इसलिए इसमें किसी तरह की ढीलाई नहीं बरती जा सकती है।
नेशनल काउंसिल फॉर टीचर्स एजूकेशन (एनसीटीई) की ओर से इस बाबत बीते सोमवार को एक पत्र उत्तर-प्रदेश के मुख्य सचिव आलोक रंजन को लिखा गया है, जिसमें ये कहा गया है कि 8 नवंबर 2010 से पहले जो लोग शिक्षक के तौर पर काम कर रहे हैं और आज तक नियमित रूप से अपनी सेवाएं दे रहे हैं को टीईटी परीक्षा पास करने की कोई जरूरत नहीं होगी।
लेकिन जिन लोगों ने 2010 के बाद से से पढ़ाना शुरू किया है और आज भी वो अपनी नियमित सेवाएं दे रहे हैं को टीईटी की परीक्षा को अनिवार्य रूप से पास करना होगा। उत्तर-प्रदेश के अलावा बिहार, छत्तीसगढ़ सहित देश के कई राज्यों में बड़ी तादाद में शिक्षा मित्र प्राथमिक स्तर पर स्कूलों में पढ़ा रहे हैं।
एनसीटीई ने अपने पत्र में एक अन्य बिंदु स्पष्ट करते हुए कहा है कि इसके बारे में उन्होंने 2010 में ही सभी राज्य सरकारों और केंद्रशासित प्रदेशों को ये स्पष्ट कर दिया था कि अनियमित शिक्षकों की नियुक्ति के मामले में कौन सी प्रक्रिया अपनाई जाएगी। ऐसे में भविष्य में शिक्षा मित्रों या अप्रशिक्षित शिक्षकों की नियुक्ति और शुद्धता की पूरी जिम्मेदारी राज्य सरकारों की होगी। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में वर्तमान में करीब 1 लाख 24 हजार शिक्षा मित्र कार्य कर रहे हैं। यहां बता दें कि इस मामले में बीते दिनों शिक्षा मित्रों ने उत्तर प्रदेश से लेकर दिल्ली में मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी के समक्ष इस मुद्दे को जोरशोर के साथ उठाकर न्याय करने की मांग की थी।
केंद्र की ओर से 2010 में राज्यों को भेजी गई जानकारी के मुताबिक जो लोग इसके बाद शिक्षक के रूप में कार्य कर रहे हैं और आज भी नियमित रू प से अपनी सेवाएं दे रहे हैं। उन्हें पांच साल के अंदर यानि 31 मार्च 2015 तक टीईटी की परीक्षा पास करनी होगी। प्राथमिक और उच्च-प्राथमिक स्तर पर शिक्षक के रूप में कार्य करने के लिए सरकारी मानकों के हिसाब से कक्षा एक से पांचवीं तक पढ़ाने के लिए स्नातक स्तर पर 50 फीसदी अंक और 2 साल का प्राथमिक शिक्षा का डिप्लोमा होना चाहिए। इसके अलावा कक्षा से 6 से 8वीं तक पढ़ाने के लिए विज्ञान या ऑटर्स जैसे विषयों में स्नातक होने के अलावा प्राथमिक शिक्षा में 2 साल का डिप्लोमा भी होना चाहिए।

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