अवशेष शिक्षामित्रों की भूल बनाम भरोसे का खून : 14841 अवशेष के पास समायोजित होने का वैधानिक अधिकार और आधार दोनों

अवशेष शिक्षामित्रों की भूल बनाम भरोसे का खून।। हमें ये लिखते हुए अफ़सोस होता है कि अवशेष का प्रतिनिधित्व करने वाले तीन संघ और सक्रिय टीम (संघ) को न तो क़ानूनी पहलुओं को कोई समझ है न ही प्रशासनिक समस्याओं की।
ऐसा प्रतीत होता है जैसे ये लोग 26000 लोगों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करते रहे और 12000 को तो ख़त्म ही कर दिए बाकी 14000 में अभी जान बाकी है।
🔻आइये अवशेष समायोजन के प्रकरण पर एक नज़र डालते हैं।
आरटीई अधिनियम की धारा 23(2) के अधीन 31 मार्च 2015 तक ही पूर्व से कार्यरत लोगों को प्रशिक्षण पूर्ण करवाने का प्राविधान है।
इस संदर्भ में 19 मार्च 2015 को हुई पीएबी की बजट बैठक में केंद्र सरकार के एमएचआरडी के समक्ष राज्य सरकार की ओर से एचएल गुप्ता जी ने प्रेजेंटेशन दिया और कहा कि हमारे यहाँ 14841 शिक्षामित्र प्रशिक्षणरत हैं जिन के लिए वर्ष 2015-16 के लिए मानदेय की मांग की। जो कि मंज़ूर की गई।
🔻यहाँ ये तथ्य उल्लेखनीय है और विचारणीय भी कि 12000 शिक्षामित्र 19 मार्च 2015 को ही पूरी व्यवस्था से बाहर हो चुके थे।
जबकि इस के ठीक एक वर्ष बाद यानी अप्रैल 2016 में जब सक्रिय टीम इन की नेता ज्योति वर्मा को अनुदान प्रेषित कर वाह वाही लूट रही थी और शासन के अधिकारियो को विधिक ज्ञान दे रही थी जबकि इनके भविष्य पर सरकार प्रश्नचिन्ह लगा चुकी थी। पूरे मामले में राज्य सरकार ने तो राजनीती की ही टीम और संघ ने भी कमी न की।

🔻अब बात अवशेष 14841 की इनके लिए राज्य के पास पूरा अधिकार भी है और आरटीई एक्ट का दबाव भी कि इनको समायोजित किया जाये।
वर्ष 2016-17 के लिए केंद्र द्वारा अवशेष को मानदेय देने से इनकार करते हुए राज्य के स्तर से नियमित करने को कहा जा चुका है। इस आशय का समाचार ईटीवी पर एक माह पहले आ चूका है।
⚖वर्तमान वैधानिक स्थिति।।
12000 असमयोजितों के पास समायोजित होने का कोई वैधानिक अधिकार नहीं है। फिलहाल ये लोग मात्र राज्य के रहमो करम पर हैं।
🔻14841 अवशेष के पास समायोजित होने का वैधानिक अधिकार और आधार दोनों हैं।
साथ ही 16664 पदों में 50% कोटे के लिए राज्य सरकार पर दबाव बनाने का विकल्प भी है।

14841 को समायोजन के विधि सम्मत लड़ाई कैसे लड़ना चाहिए इस का खुलासा अगली पोस्ट में.....
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