13 तारीख को लखनऊ के आलिशान होटल में मीटिंग करने वाले नेताओं की हकीकत एक बार फिर सामने आ गयी है। 24 फ़रवरी से पहले बने याचियों के साथ बहुत बड़ा धोका होने जा रहा है।
क्योंकि ये नेता लोग इकठ्ठे ही इसलिए हुए थे ताकि आम सहमति से 1100 के बचे हुए याचियों को ही कंसीडर कराने के लिए सरकार पर दवाब बना सकें। बहुत कम लोग इस बात को जानते हैं कि इस मीटिंग में सिर्फ अचयनित रेस्पोंडेंट ने ही भाग लिया था। और इस मीटिंग का आयोजन जान बूझ कर चयनितों ने ही किया। जबकि मीटिंग से पहले ये प्रचार किया गया कि ये मीटिंग अच्यनितों की है। फिर इसमें चयनित क्यों दिखाई दिए? अगर चयनित बेरोजगारो के इतने ही हितेषी थे तो उन्होंने कितना पैसा दिया वकील खड़ा करने को? और अब ये नेता लोग पब्लिक का ध्यान भटकाने के लिए ऐसी पोस्ट डाल रहें हैं कि 5 अक्टूबर से पहले सपा का सांसद नियुक्ति पत्र बाँटेगा। दिल्ली जाकर बात सेट हो गयी है। सांसद तेज प्रताप ने नियुक्ति पत्र छपने के लिए टेंडर छोड़ दिए हैं। और ये काम दिल्ली से हो रहा है। निगरानी का काम आगरा वाले ठाकुर के जिम्मे छोड़ दिया है ताकि किसी के नियुक्ति पत्र में मिसप्रिंट ना हो जाये। वाह भई वाह क्या बेवकूफ बना रहे हो पब्लिक का। शलभ तिवारी सब जानतें हैं तुम्हारी कारगुजारियों को......
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