जागरण संवाददाता, हापुड़ जिले के 250 शिक्षक अंतरजनपदीय स्थानांतरण की आस लगाये हुए हैं। शासन
द्वारा जारी की गई पहली सूची में चंद शिक्षकों का नाम ही शामिल था।
गृह जनपद में स्थानांतरण का इंतजार कर रहे जिले के ये शिक्षक अब एक बार फिर से नेताओं और प्रशासनिक अधिकारियों के चक्कर काट रहे हैं, ताकि किसी तरह जुगाड़ से इनका स्थानांतरण हो सके। विद्यालयों में भी इन शिक्षकों के कारण शिक्षण कार्य प्रभावित हो रहा है।
हापुड़ जिले के परिषदीय विद्यालयों में ऐसे 250 शिक्षक नियुक्त हैं, जो अन्य जनपदों से आकर यहां नौकरी कर रहे हैं। इनमें महिलाओं की संख्या करीब 175 है। घर से दूर होने और आने जाने में होने वाली परेशानियों के साथ ही इन शिक्षकों को स्कूल पहुंचने में भी अक्सर देरी हो जाती है। इसके चलते इन्हें अधिकारियों की कार्यवाही का भी शिकार होना पड़ता है। इन्हीं सब दिक्कतों से छुटकारा पाने के लिए ये शिक्षक अपने गृह जनपद में स्थानांतरण कराने के लिए कतार में लगे हुए थे, लेकिन स्थानांतरण की एक सूची जारी हो चुकी है और इस सूची में जनपद के करीब 10 शिक्षकों का ही नाम शामिल था। इससे सभी शिक्षकों को निराशा का सामना करना पड़ा। अब एक बार फिर से अंतरजनदीय स्थानांतरण किये जाने की सूचना मिलने पर ये शिक्षक जुगाड़ में लग गये हैं, ताकि उनका अपने जनपद में ही स्थानांतरण हो सके। इसी वजह से कभी सत्ताधारी दल के नेता तो कभी प्रशासनिक अधिकारियों के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन इस सबके चलते स्कूलों में शिक्षण कार्य प्रभावित हो रहा है। स्कूलों में भी ये शिक्षक फोन पर स्थानांतरण की जुगत में ही लगे रहते हैं या फिर आधे अधूरे मन से शिक्षण कार्य पूरा कर रहे हैं, जिसके चलते ऐसे विद्यालयों में शिक्षण कार्य मात्र औपचारिकता बनकर रह गया है। बेसिक शिक्षा अधिकारी डीके गुप्ता का कहना है कि शासन स्तर से जिन शिक्षकों का स्थानांतरण होगा। उन्हें तुरंत रिलीव कर दिया जायेगा, लेकिन विद्यालयों में शिक्षण कार्य प्रभावित नहीं होने दिया जायेगा। शिक्षकों को गंभीरता से शिक्षण कार्य पर ध्यान देना चाहिए।
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गृह जनपद में स्थानांतरण का इंतजार कर रहे जिले के ये शिक्षक अब एक बार फिर से नेताओं और प्रशासनिक अधिकारियों के चक्कर काट रहे हैं, ताकि किसी तरह जुगाड़ से इनका स्थानांतरण हो सके। विद्यालयों में भी इन शिक्षकों के कारण शिक्षण कार्य प्रभावित हो रहा है।
हापुड़ जिले के परिषदीय विद्यालयों में ऐसे 250 शिक्षक नियुक्त हैं, जो अन्य जनपदों से आकर यहां नौकरी कर रहे हैं। इनमें महिलाओं की संख्या करीब 175 है। घर से दूर होने और आने जाने में होने वाली परेशानियों के साथ ही इन शिक्षकों को स्कूल पहुंचने में भी अक्सर देरी हो जाती है। इसके चलते इन्हें अधिकारियों की कार्यवाही का भी शिकार होना पड़ता है। इन्हीं सब दिक्कतों से छुटकारा पाने के लिए ये शिक्षक अपने गृह जनपद में स्थानांतरण कराने के लिए कतार में लगे हुए थे, लेकिन स्थानांतरण की एक सूची जारी हो चुकी है और इस सूची में जनपद के करीब 10 शिक्षकों का ही नाम शामिल था। इससे सभी शिक्षकों को निराशा का सामना करना पड़ा। अब एक बार फिर से अंतरजनदीय स्थानांतरण किये जाने की सूचना मिलने पर ये शिक्षक जुगाड़ में लग गये हैं, ताकि उनका अपने जनपद में ही स्थानांतरण हो सके। इसी वजह से कभी सत्ताधारी दल के नेता तो कभी प्रशासनिक अधिकारियों के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन इस सबके चलते स्कूलों में शिक्षण कार्य प्रभावित हो रहा है। स्कूलों में भी ये शिक्षक फोन पर स्थानांतरण की जुगत में ही लगे रहते हैं या फिर आधे अधूरे मन से शिक्षण कार्य पूरा कर रहे हैं, जिसके चलते ऐसे विद्यालयों में शिक्षण कार्य मात्र औपचारिकता बनकर रह गया है। बेसिक शिक्षा अधिकारी डीके गुप्ता का कहना है कि शासन स्तर से जिन शिक्षकों का स्थानांतरण होगा। उन्हें तुरंत रिलीव कर दिया जायेगा, लेकिन विद्यालयों में शिक्षण कार्य प्रभावित नहीं होने दिया जायेगा। शिक्षकों को गंभीरता से शिक्षण कार्य पर ध्यान देना चाहिए।
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