वाराणसी. यूपी
विधानसभा चुनाव से ठीक पहले बिहार की तरह गर्माया आरक्षण का मसला। पीएम
नरेंद्र मोदी की सरकार द्वारा पदोन्नति में आरक्षण के लिए सर्वोच्च
न्यायालय का आदेश पलटने की है तैयारी। इसके लिए संसद में लाया जाना है
117वां संविधान संशोधन विधेयक।
इससे पहले यूपी के छह लाख शिक्षकों और 18 लाख राज्य कर्मचारियों ने किया है सवाल, क्या भाजपा है सवर्ण विरोधी। मोदी सरकार क्यों करने जा रही है 117वां संविधान संशोधन। क्या है इसके पीछे की सोच। क्यों सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश को पलटने की कोशिश में लगे हैं पीएम मोदी और उनकी सरकार। इन मुद्दों पर यूपी के शिक्षक शुक्रवार से छेड़ने जा रहे हैं प्रदेश व्यापी जनजागरण अभियान। शिक्षकों व कर्मचारियों के निशाने पर पीएम मोदी व भाजपा नेतृत्व वाली केंद्र सरकार इसलिए भी है कि अब तक चार बार संसद में पदोन्नति में आरक्षण का बिल पास कराने की कोशिश की गई जिसमें सर्वाधिक तीन बार यह प्रयास भाजपा नेतृत्व वाली सरकार ने किया है।
जगजागरण अभियान के मार्फत जनप्रतिनिधियों से होगा सवाल
जनजागरण अभियान के तहत भाजपा और कॉंग्रेस जैसे राष्ट्रीय राजनीतिक दलों पर जनमत का दबाव बना कर उनसे पूछा जाएगा कि वे बताएं कि सर्वोच्च न्यायालय के प्रति सम्मान रखते है या नहीं । शिक्षकों व राज्य कर्मचारियों का कहना है कि पदोन्नति में आरक्षण देने के लिए सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों को निष्प्रभावी करने के लिए अब तक चार बार संविधान संशोधन का प्रयास किया जा चुका हैं जिसमे संशोधन के तीन प्रयास भाजपा सरकार ने और एक कांग्रेस सरकार ने किया है। अब 117 वें संविधान संशोधन बिल के जरिये पांचवीं बार सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने की कोशिश हो रही है ।
पार्टियां चुनाव से पहले स्पष्ट करें, पदोन्नति में आरक्षण की समर्थक हैं या नहीं
सर्वजनहिताय संरक्षण समिति उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष शैलेन्द्र दुबे और प्रमुख पदाधिकारियों ए ए फारूकी , एच एन पाण्डेय , डी सी दीक्षित , क़ायम रज़ा रिज़वी ,वाई एन उपाध्याय ,राजीव श्रीवास्तव , अजय सिंह , रामराज दुबे , कमलेश मिश्र , पवन सिंह ,पी के सिंह ,देवेंद्र द्विवेदी ,डॉ मौलेंदु मिश्र ,पारस नाथ पाण्डेय ,ए पी सिंह , डा आर के दलेला , डॉ आर बी सिंह ,सर्वेश शुक्ल , अजय तिवारी , ज्ञानेश्वर ,आर पी उपाध्याय , आर के पाण्डेय ,त्रिवेणी मिश्र , एस पी सिंह , प्रेमा जोशी ,मो नूर आलम ,यू पी सिंह , समरजीत सिंह ने पत्रिका को बताया है कि सर्वजनहिताय संरक्षण समिति के आह्वान पर पदोन्नति में आरक्षण देने के लिए 117 वां संविधान संशोधन बिल पारित कराने की कोशिश के विरोध में 16 सितम्बर से जनजागरण अभियान प्रारम्भ होगा। इसके अन्तर्गत पहले चरण में जनप्रतिनिधियों को ज्ञापन देकर इस मुद्दे पर स्थिति स्पष्ट करने की मांग की जाएगी । ज्ञापन दो अभियान 16 सितंबर से 30 सितंबर तक चलेगा और इस दौरान प्रदेश के सभी जिलों में जनसभाएं कर आम लोगों को पदोन्नति में आरक्षण की चल रही वोट की राजनीति के सच से अवगत कराया जायेगा । अभियान का मुख्य उद्देश्य यह है कि उत्तर प्रदेश के विधान सभा चुनाव के पहले भाजपा , कांग्रेस सहित सभी दल स्पष्ट करें कि उनकी पार्टी पदोन्नति में आरक्षण की समर्थक है या विरोध में। ताकि प्रदेश के 18 लाख कर्मचारी - अधिकारी और 06 लाख शिक्षक व उनके परिवारजन यह निर्णय ले सकें कि वे उन्हें वोट दें या न दें ।
उन्होंने बताया कि अभियान के अन्तर्गत शहीद ए आजम भगत सिंह के जन्म दिन 28 सितंबर को लखनऊ में विशाल प्रांतीय सम्मलेन होगा और 28 सितंबर से 31 अक्टूबर (सरदार पटेल के जन्म दिन ) तक प्रांत भर में केंद्रीय पदाधिकारियों की जनसभाएं होंगी और इस मुद्दे को आम लोगों के बीच ले जाया जाएगा । अभियान में मध्य प्रदेश , गुजरात ,राजस्थान , बिहार , झारखण्ड , छत्तीसगढ़ , हरयाणा , पंजाब , उत्तराखण्ड आदि प्रांतों के कर्मचारी नेता हिस्सा लेंगे ।
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इससे पहले यूपी के छह लाख शिक्षकों और 18 लाख राज्य कर्मचारियों ने किया है सवाल, क्या भाजपा है सवर्ण विरोधी। मोदी सरकार क्यों करने जा रही है 117वां संविधान संशोधन। क्या है इसके पीछे की सोच। क्यों सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश को पलटने की कोशिश में लगे हैं पीएम मोदी और उनकी सरकार। इन मुद्दों पर यूपी के शिक्षक शुक्रवार से छेड़ने जा रहे हैं प्रदेश व्यापी जनजागरण अभियान। शिक्षकों व कर्मचारियों के निशाने पर पीएम मोदी व भाजपा नेतृत्व वाली केंद्र सरकार इसलिए भी है कि अब तक चार बार संसद में पदोन्नति में आरक्षण का बिल पास कराने की कोशिश की गई जिसमें सर्वाधिक तीन बार यह प्रयास भाजपा नेतृत्व वाली सरकार ने किया है।
जगजागरण अभियान के मार्फत जनप्रतिनिधियों से होगा सवाल
जनजागरण अभियान के तहत भाजपा और कॉंग्रेस जैसे राष्ट्रीय राजनीतिक दलों पर जनमत का दबाव बना कर उनसे पूछा जाएगा कि वे बताएं कि सर्वोच्च न्यायालय के प्रति सम्मान रखते है या नहीं । शिक्षकों व राज्य कर्मचारियों का कहना है कि पदोन्नति में आरक्षण देने के लिए सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों को निष्प्रभावी करने के लिए अब तक चार बार संविधान संशोधन का प्रयास किया जा चुका हैं जिसमे संशोधन के तीन प्रयास भाजपा सरकार ने और एक कांग्रेस सरकार ने किया है। अब 117 वें संविधान संशोधन बिल के जरिये पांचवीं बार सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने की कोशिश हो रही है ।
पार्टियां चुनाव से पहले स्पष्ट करें, पदोन्नति में आरक्षण की समर्थक हैं या नहीं
सर्वजनहिताय संरक्षण समिति उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष शैलेन्द्र दुबे और प्रमुख पदाधिकारियों ए ए फारूकी , एच एन पाण्डेय , डी सी दीक्षित , क़ायम रज़ा रिज़वी ,वाई एन उपाध्याय ,राजीव श्रीवास्तव , अजय सिंह , रामराज दुबे , कमलेश मिश्र , पवन सिंह ,पी के सिंह ,देवेंद्र द्विवेदी ,डॉ मौलेंदु मिश्र ,पारस नाथ पाण्डेय ,ए पी सिंह , डा आर के दलेला , डॉ आर बी सिंह ,सर्वेश शुक्ल , अजय तिवारी , ज्ञानेश्वर ,आर पी उपाध्याय , आर के पाण्डेय ,त्रिवेणी मिश्र , एस पी सिंह , प्रेमा जोशी ,मो नूर आलम ,यू पी सिंह , समरजीत सिंह ने पत्रिका को बताया है कि सर्वजनहिताय संरक्षण समिति के आह्वान पर पदोन्नति में आरक्षण देने के लिए 117 वां संविधान संशोधन बिल पारित कराने की कोशिश के विरोध में 16 सितम्बर से जनजागरण अभियान प्रारम्भ होगा। इसके अन्तर्गत पहले चरण में जनप्रतिनिधियों को ज्ञापन देकर इस मुद्दे पर स्थिति स्पष्ट करने की मांग की जाएगी । ज्ञापन दो अभियान 16 सितंबर से 30 सितंबर तक चलेगा और इस दौरान प्रदेश के सभी जिलों में जनसभाएं कर आम लोगों को पदोन्नति में आरक्षण की चल रही वोट की राजनीति के सच से अवगत कराया जायेगा । अभियान का मुख्य उद्देश्य यह है कि उत्तर प्रदेश के विधान सभा चुनाव के पहले भाजपा , कांग्रेस सहित सभी दल स्पष्ट करें कि उनकी पार्टी पदोन्नति में आरक्षण की समर्थक है या विरोध में। ताकि प्रदेश के 18 लाख कर्मचारी - अधिकारी और 06 लाख शिक्षक व उनके परिवारजन यह निर्णय ले सकें कि वे उन्हें वोट दें या न दें ।
उन्होंने बताया कि अभियान के अन्तर्गत शहीद ए आजम भगत सिंह के जन्म दिन 28 सितंबर को लखनऊ में विशाल प्रांतीय सम्मलेन होगा और 28 सितंबर से 31 अक्टूबर (सरदार पटेल के जन्म दिन ) तक प्रांत भर में केंद्रीय पदाधिकारियों की जनसभाएं होंगी और इस मुद्दे को आम लोगों के बीच ले जाया जाएगा । अभियान में मध्य प्रदेश , गुजरात ,राजस्थान , बिहार , झारखण्ड , छत्तीसगढ़ , हरयाणा , पंजाब , उत्तराखण्ड आदि प्रांतों के कर्मचारी नेता हिस्सा लेंगे ।
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