शिक्षामित्र समायोजन BTC के लिए अभिशापथा बी टी सी का क्या दोष बता दो, क्यों ऐसा व्यवहार किया।
ऐ मेरे सरकार तुम्ही ने ,क्यों ये अत्याचार किया। पूर्ण समर्थन पूर्ण शक्ति दी, पूर्ण तुम्हे अपनाया था।
क्या हक ना हमको जीने का, क्या हममें है जान नहीं।
छीन निवाला लिया है, मुंहसे क्या तुममें इन्सान नहीं।
हमने भी सपने देखे थे, हम पूर्ण योग्यता वाले हैं।
जो कि अब तेरी करनी से, घुट-घुट मरने वाले हैं।
अपने वोट बैंक की खातिर, जज्बातों से खेला था।
आगे है गहरी खांई! था मालुम, फिर प्राइवेट कालेज क्यों खोला था।
आगे न्यायालय भी है क्या,किंचित था आभास नहीं।
या शक्ती के मद में कुछ भी,होता था एहसास नहीं ।
माना होती न्याय पालिका,नियम सही चलाने को।
पर तुममें भी बुद्धि नहीं थी, नियम सही बनाने को।
तेरे खोटे कर्मों से हम, रोने को मजबूर हुये।
हमारे सब उज्ज्वल भविष्य के, सपने चकनाचूर हुये।
हम बी टी सी परिवार घरों के, सब जज्बात जला डाले।
अपने कुत्सित कर्मों से, खुद अपने हाथ जला डाले।
जा तुझको भी हाय लगेगी, हम योग्य प्रशिक्षित यारो की।
तुझको भी दर्शन होंगे अब, आगे भीषण हारों की।
रोजगार को छीन हमारे, सपने चकनाचूर किया।
ऐ मेरे सरकार तुम्ही ने, क्यों ये अत्याचार किया.......
ख़बरें अब तक - 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती - Today's Headlines
ऐ मेरे सरकार तुम्ही ने ,क्यों ये अत्याचार किया। पूर्ण समर्थन पूर्ण शक्ति दी, पूर्ण तुम्हे अपनाया था।
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क्या हक ना हमको जीने का, क्या हममें है जान नहीं।
छीन निवाला लिया है, मुंहसे क्या तुममें इन्सान नहीं।
हमने भी सपने देखे थे, हम पूर्ण योग्यता वाले हैं।
जो कि अब तेरी करनी से, घुट-घुट मरने वाले हैं।
अपने वोट बैंक की खातिर, जज्बातों से खेला था।
आगे है गहरी खांई! था मालुम, फिर प्राइवेट कालेज क्यों खोला था।
आगे न्यायालय भी है क्या,किंचित था आभास नहीं।
या शक्ती के मद में कुछ भी,होता था एहसास नहीं ।
माना होती न्याय पालिका,नियम सही चलाने को।
पर तुममें भी बुद्धि नहीं थी, नियम सही बनाने को।
तेरे खोटे कर्मों से हम, रोने को मजबूर हुये।
हमारे सब उज्ज्वल भविष्य के, सपने चकनाचूर हुये।
हम बी टी सी परिवार घरों के, सब जज्बात जला डाले।
अपने कुत्सित कर्मों से, खुद अपने हाथ जला डाले।
जा तुझको भी हाय लगेगी, हम योग्य प्रशिक्षित यारो की।
तुझको भी दर्शन होंगे अब, आगे भीषण हारों की।
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