11 का इन्तजार करें , 11 को स्थिति स्पष्ट हो जायेगी कि इस केस का भविष्य क्या है : ‎द्विवेदी विवेक‎

जब से नयी बेंच का गठन हुआ है तभी से देख रहा हूँ चारो ओर हाय तौबा मची हुई है। दीपक मिश्रजी जब थे तब भी लोगों को परेशानी थी और अब जब नही है तब भी लोग परेशां हैं, शायद मानव स्वाभाव की यही नियति है।
परेशां उन लोगों को होना चाहिए जो नियमविरुद्ध नौकरी पाये हैं। जिनका अब तक हाथ खाली है उनको डरने की आवश्यकता नहीं है :) । रही बात गोयल साहब की तो उनके पास कोई जादू का पिटारा तो है नहीं जो परिणाम तुरंत निकाल लेंगे। इसलिए 11 का इन्तजार करें। 11 को स्थिति स्पष्ट हो जायेगी कि इस केस का भविष्य क्या है और लाभ की स्थिति क्या होगी। धन्यवाद
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