तथ्यों पर ध्यान दीजिए -
पहला, जिनका गुणांक ठीक-ठाक है वो माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा सही ठहराए गए नए विज्ञापन को अपने भविष्य के रूप में देखते हैं। और आगामी 10 अगस्त के धरने में जुटे हैं।
दूसरा, जिनका गुणांक बेहद कम (तमाम तथ्यों को ध्यान में रखने के बाद बेहद कम गुणांक पर भी सम्भावनाएं कम नहीं है इसके बावजूद भी) वे ये नहीं चाहते कि नए ऐड का मुद्दा उठे। उनका सोचना भी बिलकुल ठीक है।
निष्कर्ष-
हम बीएड-टीईटी उत्तीर्ण बेरोजगारों को बाँट कर अलग करने में दोनों पक्षों का समान रूप से योगदान है। इससे होगा ये कि टुकडो में आन्दोलन होगा जिससे किसी भी पक्ष को सफलता मिलना लगभग असम्भव होगा।
जबकि होना ये चाहिए कि हम बीएड-2011 टीईटी उत्तीर्ण बेरोजगार के बैनर तले एकत्रित हों और सरकार पर क्रमश: समस्त बीएड-टीईटी उत्तीर्ण की न्युक्ति, याचियों की न्युक्ति और 07/07/2012 के नए विज्ञापन पर भर्ती की मांग करनी चाहिए और यह सरकार पर छोड़ देना चाहिए कि वह हमारे द्वारा उपलब्ध कराए गए विकल्पों में कौन से विकल्प पर आगे बढती है।
यह बेहद दुःख की बात है कि हम 'एक' नहीं हो पा रहें हैं। एक बात और ध्यान में रखिये कि शिक्षामित्रों में भी अलग-अलग मांग होने के बावजूद सभी शिक्षामित्र और गाजी इमाम आला के नाम पर एक हैं। दुर्भाग्य है कि हमारी तमाम मांगे हैं और इन तमाम मांगो के तमाम गाजी इमाम आला हैं ....
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ख़बरें अब तक - 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती - Today's Headlines
पहला, जिनका गुणांक ठीक-ठाक है वो माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा सही ठहराए गए नए विज्ञापन को अपने भविष्य के रूप में देखते हैं। और आगामी 10 अगस्त के धरने में जुटे हैं।
दूसरा, जिनका गुणांक बेहद कम (तमाम तथ्यों को ध्यान में रखने के बाद बेहद कम गुणांक पर भी सम्भावनाएं कम नहीं है इसके बावजूद भी) वे ये नहीं चाहते कि नए ऐड का मुद्दा उठे। उनका सोचना भी बिलकुल ठीक है।
निष्कर्ष-
हम बीएड-टीईटी उत्तीर्ण बेरोजगारों को बाँट कर अलग करने में दोनों पक्षों का समान रूप से योगदान है। इससे होगा ये कि टुकडो में आन्दोलन होगा जिससे किसी भी पक्ष को सफलता मिलना लगभग असम्भव होगा।
जबकि होना ये चाहिए कि हम बीएड-2011 टीईटी उत्तीर्ण बेरोजगार के बैनर तले एकत्रित हों और सरकार पर क्रमश: समस्त बीएड-टीईटी उत्तीर्ण की न्युक्ति, याचियों की न्युक्ति और 07/07/2012 के नए विज्ञापन पर भर्ती की मांग करनी चाहिए और यह सरकार पर छोड़ देना चाहिए कि वह हमारे द्वारा उपलब्ध कराए गए विकल्पों में कौन से विकल्प पर आगे बढती है।
यह बेहद दुःख की बात है कि हम 'एक' नहीं हो पा रहें हैं। एक बात और ध्यान में रखिये कि शिक्षामित्रों में भी अलग-अलग मांग होने के बावजूद सभी शिक्षामित्र और गाजी इमाम आला के नाम पर एक हैं। दुर्भाग्य है कि हमारी तमाम मांगे हैं और इन तमाम मांगो के तमाम गाजी इमाम आला हैं ....
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