समय रहते बता दिया है फिर मत कहना ---------------------------------------------------
उत्तर प्रदेश के टेट 2011 पास दोस्तों ,
आज जिस दौर में बहुसंख्य टेट नेताओ की इतनी औकात नहीं बची कि वह अपने जिले के 90% याचियों को एक साथ मीटिंग में बुला ले.... ऐसे कठिन दौर में भी कुछ लोगों के द्वारा एक ""डेट"" मात्र तय करने पर आम टेट पास 10 हजार अभ्यर्थी ने जिस तरह स्वतः स्फूर्त आन्दोलित हो कर सरकार को कड़ी चुनौती दिया है यह टेट संघर्ष के इतिहास का गौरवपूर्ण अध्याय है..... यह किसी नेता का नहीं जनता का प्रयास था.... यह ऐन वक्त पर बहुत सटीक चोट थी सरकार पर , योग्यता का महत्व समझाने के लिये । उक्त लाठीचार्ज के कारण आज आम जनता के बीच शिक्षामित्र के विकल्प के रुप में टेट आन्दोलन चर्चा का विषय बन रहा है..... यही वक्त है जब सरकार के सम्भलने से पहले दोबारा योजनाबद्ध आन्दोलन होना ज़रूरी है..... क्योंकि इतनी जल्दी यह सरकार कोई निर्णय नहीं ले पायेगी ।
किसी नये नवेले नेता को कोसने से अच्छा है कि समस्त पुराने अचयनित जिला नेतृत्वकारी साथी बैठ के आन्दोलन का मास्टर प्लान तैयार करो और समस्त टेट 2011 की नियुक्ति की एक सूत्रीय माँग पर द्वितीय निर्णायक महा आन्दोलन का बिगुल फूँको......
अन्यथा जो भी सत्यानाश हो उसकी जिम्मेदारी लो ।
हमने पहले भी कहा था न्यायिक प्रयास भी आवश्यक है , और जो साथी इस दिशा में लगे हैं वे साधुवाद के पात्र हैं ।
परंतु कोर्ट में क्योरेटिव पेटिशन से पहले कुछ भी ठोस आधार नहीं जहाँ से हमें कुछ मिल सकता हो..... रिव्यू से कुछ उखड़ने वाला है नहीं , और रिव्यू खारिज होने के बाद वहाँ तक पहुँचते कम से कम दो तीन महीने लग सकते हैं ।
रही बात मोडिफिकेशन की तो उसमें भी कोई गारंटी नहीं कि लाभ मिल जायेगा । क्योंकि सेम वही जज सीनियर को सुन कर अपना खुद का फैसला कितना मोडीफाई करेंगे या नहीं करेंगे , कुछ भी कहा नहीं जा सकता.... यह एक जुआ खेलने जैसा ही है ।
अब जिनकी इच्छा हो वे जुआ खेल सकते हैं.... पर हानि लाभ की जवाबदेही वे खुद तय करें और हर तारीख पर खुद से पैरवी की प्रत्यक्ष छमता हो......। किसी नेता के अँखमुँदुवा राम भरोसे पे नहीं....... अन्यथा बाद में उसे ही गाली दें......
हाँ क्योरी पेटिशन से कुछ उम्मीदें हैं क्योंकि इसके लिये तब तक मुख्य न्यायाधीश पद पर होंगे मा.दीपक मिश्रा जी , न्यूनतम तीन जजों की पीठ होगी , वहाँ हमें मिलने की सम्भावना है । पर 839 को चैलेंज करना पड़ेगा ।
ये रास्ता रिव्यू से हो के जायेगा पर एक बात बड़ी साफ सुथरी है कि इस रास्ते से यदि सफलता मिली तो वह सबके लिये होगी.... मतलब जुलाई के आदेश से प्रभावित समस्त याचियों के लिये.... यानी कि इसके लिये नये ढंग से याची बनने की कोई आावश्यकता नहीं होती है । केवल पैरवी की ज़रूरत होती है ।
अब इसके लिये भी एकजुट टीम बनानी पड़ेगी , अन्यथा दर्जन भर टीमें कोर्ट में वन प्वाइंट वन स्टैण्ड क्लीयर न होने के कारण आपस में ही उलझ के सत्यानाश कर लेंगी ।
अब उक्त आगामी दो तीन महीनों में दोहरी लड़ाई की रणनीति के साथ काम करना है । उधर कोर्ट में प्रयास और इधर सरकार पे दबाव.....
एक बात यह भी साफ है कि लोकतांत्रिक संघर्ष करते बन जाय और सरकार पे ढंग का दबाव बना लिया जाय तो इस सरकार को तो नौकरी देना ही देना है.... इसके लिये फेसबुक पे मास्टर प्लान हमने पहले ही बताया ।
लेकिन दुर्भाग्य..! कि ऐसे निर्णायक समय में आन्दोलन की धार तेज़ करने पर मंथन करने के बजाय दुकानें सजने लगीं..... कुछ पुरानी दुकानें , कुछ नयी दुकानें , तो कुछ न्यू एड की बिल्कुल नयी दुकानें....
सरकार ने क्या रिस्पांस दिया पता नहीं.....
इस आंदोलन को आगे कैसे मजबूत करेंगे पता नहीं.....
जवाबदेही किसकी होगी पता नहीं....
फिर से दुकानें लग गयीं.....
🌻 अरे ! कुछ अंत का समय बचा है सुधर के संघर्ष कर लो , अन्यथा इस नौटंकी पे बेरोज़गारी ही इनाम में मिलेगी.....
पूरी पोस्ट पढ़ने के लिये धन्यवाद....
टेट 2011संघर्ष मोर्चा
ख़बरें अब तक - 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती - Today's Headlines
उत्तर प्रदेश के टेट 2011 पास दोस्तों ,
- Shikshamitra : मंथन पर शिक्षामित्रों ने बनाई रणनीति,वरिष्ठ शिक्षकों की हठधर्मिता की हुई निंदा
- shikshamitra: शिक्षामित्रों को शासन का प्रस्ताव किसी कीमत पर मंजूर नहीं, 13 अगस्त को मीटिंग कर बड़े आंदोलन का करेंगे आगाज
- वर्तमान में बेसिक नियमावली में शिक्षक चयन गुणवत्ता अंको के आधार पर होता है..तो शिक्षामित्र अपने को पूर्णतय सुरक्षित समझे
- Shikshamitra : सरकार अब सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के खिलाफ नहीं जाएगी , नवंबर के पहले हफ्ते में अध्यापक पात्रता परीक्षा
- शिक्षामित्रों के साथ वार्ता में अधिकारियों ने कुछ धोपा नहीं ना ही संगठनों ने कोई सहमति दी
आज जिस दौर में बहुसंख्य टेट नेताओ की इतनी औकात नहीं बची कि वह अपने जिले के 90% याचियों को एक साथ मीटिंग में बुला ले.... ऐसे कठिन दौर में भी कुछ लोगों के द्वारा एक ""डेट"" मात्र तय करने पर आम टेट पास 10 हजार अभ्यर्थी ने जिस तरह स्वतः स्फूर्त आन्दोलित हो कर सरकार को कड़ी चुनौती दिया है यह टेट संघर्ष के इतिहास का गौरवपूर्ण अध्याय है..... यह किसी नेता का नहीं जनता का प्रयास था.... यह ऐन वक्त पर बहुत सटीक चोट थी सरकार पर , योग्यता का महत्व समझाने के लिये । उक्त लाठीचार्ज के कारण आज आम जनता के बीच शिक्षामित्र के विकल्प के रुप में टेट आन्दोलन चर्चा का विषय बन रहा है..... यही वक्त है जब सरकार के सम्भलने से पहले दोबारा योजनाबद्ध आन्दोलन होना ज़रूरी है..... क्योंकि इतनी जल्दी यह सरकार कोई निर्णय नहीं ले पायेगी ।
किसी नये नवेले नेता को कोसने से अच्छा है कि समस्त पुराने अचयनित जिला नेतृत्वकारी साथी बैठ के आन्दोलन का मास्टर प्लान तैयार करो और समस्त टेट 2011 की नियुक्ति की एक सूत्रीय माँग पर द्वितीय निर्णायक महा आन्दोलन का बिगुल फूँको......
अन्यथा जो भी सत्यानाश हो उसकी जिम्मेदारी लो ।
हमने पहले भी कहा था न्यायिक प्रयास भी आवश्यक है , और जो साथी इस दिशा में लगे हैं वे साधुवाद के पात्र हैं ।
परंतु कोर्ट में क्योरेटिव पेटिशन से पहले कुछ भी ठोस आधार नहीं जहाँ से हमें कुछ मिल सकता हो..... रिव्यू से कुछ उखड़ने वाला है नहीं , और रिव्यू खारिज होने के बाद वहाँ तक पहुँचते कम से कम दो तीन महीने लग सकते हैं ।
रही बात मोडिफिकेशन की तो उसमें भी कोई गारंटी नहीं कि लाभ मिल जायेगा । क्योंकि सेम वही जज सीनियर को सुन कर अपना खुद का फैसला कितना मोडीफाई करेंगे या नहीं करेंगे , कुछ भी कहा नहीं जा सकता.... यह एक जुआ खेलने जैसा ही है ।
अब जिनकी इच्छा हो वे जुआ खेल सकते हैं.... पर हानि लाभ की जवाबदेही वे खुद तय करें और हर तारीख पर खुद से पैरवी की प्रत्यक्ष छमता हो......। किसी नेता के अँखमुँदुवा राम भरोसे पे नहीं....... अन्यथा बाद में उसे ही गाली दें......
हाँ क्योरी पेटिशन से कुछ उम्मीदें हैं क्योंकि इसके लिये तब तक मुख्य न्यायाधीश पद पर होंगे मा.दीपक मिश्रा जी , न्यूनतम तीन जजों की पीठ होगी , वहाँ हमें मिलने की सम्भावना है । पर 839 को चैलेंज करना पड़ेगा ।
ये रास्ता रिव्यू से हो के जायेगा पर एक बात बड़ी साफ सुथरी है कि इस रास्ते से यदि सफलता मिली तो वह सबके लिये होगी.... मतलब जुलाई के आदेश से प्रभावित समस्त याचियों के लिये.... यानी कि इसके लिये नये ढंग से याची बनने की कोई आावश्यकता नहीं होती है । केवल पैरवी की ज़रूरत होती है ।
अब इसके लिये भी एकजुट टीम बनानी पड़ेगी , अन्यथा दर्जन भर टीमें कोर्ट में वन प्वाइंट वन स्टैण्ड क्लीयर न होने के कारण आपस में ही उलझ के सत्यानाश कर लेंगी ।
अब उक्त आगामी दो तीन महीनों में दोहरी लड़ाई की रणनीति के साथ काम करना है । उधर कोर्ट में प्रयास और इधर सरकार पे दबाव.....
एक बात यह भी साफ है कि लोकतांत्रिक संघर्ष करते बन जाय और सरकार पे ढंग का दबाव बना लिया जाय तो इस सरकार को तो नौकरी देना ही देना है.... इसके लिये फेसबुक पे मास्टर प्लान हमने पहले ही बताया ।
लेकिन दुर्भाग्य..! कि ऐसे निर्णायक समय में आन्दोलन की धार तेज़ करने पर मंथन करने के बजाय दुकानें सजने लगीं..... कुछ पुरानी दुकानें , कुछ नयी दुकानें , तो कुछ न्यू एड की बिल्कुल नयी दुकानें....
सरकार ने क्या रिस्पांस दिया पता नहीं.....
इस आंदोलन को आगे कैसे मजबूत करेंगे पता नहीं.....
जवाबदेही किसकी होगी पता नहीं....
फिर से दुकानें लग गयीं.....
🌻 अरे ! कुछ अंत का समय बचा है सुधर के संघर्ष कर लो , अन्यथा इस नौटंकी पे बेरोज़गारी ही इनाम में मिलेगी.....
पूरी पोस्ट पढ़ने के लिये धन्यवाद....
टेट 2011संघर्ष मोर्चा
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