जो लोग सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को रिव्यू और क्यूरेटिव तक ले जाने की बात कर रहे और उस पर हरीश साल्वे सरीखे वकील को खड़ा करने की बात कहकर सहयोग राशि मांग रहे है तथा जो लोग सहयोग राशि दे भी रहे है वो लोग कुछ बाते सुनिश्चित कर ले।
2- क्यूरेटिव याचिका पर पांच न्यायाधीशों की पीठ विचार करती है जिसमें दो न्यायाधीश मूल फैसला देने वाली पीठ के होते हैं जबकि तीन न्यायाधीश मुख्य न्यायाधीश सहित सुप्रीमकोर्ट के वरिष्ठतम न्यायाधीश होते हैं। क्यूरेटिव पर भी चैम्बर में सर्कुलेशन के जरिए विचार होता है। बहुत महत्वपूर्ण पाये जाने पर ही खुली अदालत में सुनवाई होती है। क्यूरेटिव के मानक भी तय हैं।इसमें भी याची लाभ की कोई सम्भावना नहीं है। यदि क्यूरेटिव में जजो को लगेगा की केस की सुनवाई पुनः होनी चाहिए तो पुनः वही केस जो आदेश आने के पूर्व फाईल हुए थे उन्ही को सुनवाई हेतु उन्ही जजो के सामने सूचीबद्ध किया जाएगा जिन्होंने आदेश दिया।
क्यूरेटिव याचिका के कुछ नियम-
1- यदि क्यूरेटिव याचिका में जिन प्रश्नों पर बहस हो चुकी है वही लिखी जायेगी तो ये ख़ारिज कर दी जाती है।
2- क्यूरेटिव याचिका में सर्वप्रथम यही देखा जाता है की उसमे उठाये गए प्रश्नों पर हाइकोर्ट में सुनवाई की गई थी।
3-यदि क्यूरेटिव याचिकाकर्ता हाइकोर्ट को बाईपास कर आया है यानि वो उक्त मामले में आप हाइकोर्ट में पार्टी थे तभी क्यूरेटिव पर विचार होगा यदि ऐसा नहीं तब भी क्यूरेटिव ख़ारिज होगी।
5-आर्टिकल-32 में गई हुई याचिका पर क्यूरेटिव में विचार नहीं होता।
जो भी लोग रिव्यू या क्यूरेटिव की बात कर रहे है और जो लोग इसमें सहयोग करना चाह रहे है वो लोग उक्त बातो को सुनिश्चित करने के बाद ही सहयोग करे। और रिव्यू और क्यूरेटिव पर बड़ा वकील खड़ा करने के नाम पर सहयोग न करे।
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2- क्यूरेटिव याचिका पर पांच न्यायाधीशों की पीठ विचार करती है जिसमें दो न्यायाधीश मूल फैसला देने वाली पीठ के होते हैं जबकि तीन न्यायाधीश मुख्य न्यायाधीश सहित सुप्रीमकोर्ट के वरिष्ठतम न्यायाधीश होते हैं। क्यूरेटिव पर भी चैम्बर में सर्कुलेशन के जरिए विचार होता है। बहुत महत्वपूर्ण पाये जाने पर ही खुली अदालत में सुनवाई होती है। क्यूरेटिव के मानक भी तय हैं।इसमें भी याची लाभ की कोई सम्भावना नहीं है। यदि क्यूरेटिव में जजो को लगेगा की केस की सुनवाई पुनः होनी चाहिए तो पुनः वही केस जो आदेश आने के पूर्व फाईल हुए थे उन्ही को सुनवाई हेतु उन्ही जजो के सामने सूचीबद्ध किया जाएगा जिन्होंने आदेश दिया।
क्यूरेटिव याचिका के कुछ नियम-
1- यदि क्यूरेटिव याचिका में जिन प्रश्नों पर बहस हो चुकी है वही लिखी जायेगी तो ये ख़ारिज कर दी जाती है।
2- क्यूरेटिव याचिका में सर्वप्रथम यही देखा जाता है की उसमे उठाये गए प्रश्नों पर हाइकोर्ट में सुनवाई की गई थी।
3-यदि क्यूरेटिव याचिकाकर्ता हाइकोर्ट को बाईपास कर आया है यानि वो उक्त मामले में आप हाइकोर्ट में पार्टी थे तभी क्यूरेटिव पर विचार होगा यदि ऐसा नहीं तब भी क्यूरेटिव ख़ारिज होगी।
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जो भी लोग रिव्यू या क्यूरेटिव की बात कर रहे है और जो लोग इसमें सहयोग करना चाह रहे है वो लोग उक्त बातो को सुनिश्चित करने के बाद ही सहयोग करे। और रिव्यू और क्यूरेटिव पर बड़ा वकील खड़ा करने के नाम पर सहयोग न करे।
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