बहराइच ब्यूरो- शिक्षा मित्रों की समस्याओं को लेकर
प्रदेश सरकार कतई गम्भीर नही है सरकार शिक्षा मित्रो की समस्याओं को नही
शिक्षा मित्रों को ही समाप्त करने के लिए आये दिन नियम नीति बनाती है
परिवर्तन करती है जिससे इस प्रदेश का शिक्षा मित्र अध्यापक न बन पाये ।
उक्त बात शिक्षा मित्र संघ के प्रांतीय प्रवक्ता शिव श्याम मिश्र ने
अपने एक बयान मे कही ।श्री मिश्र ने कहा कि सरकार की कार्यप्रवृत्ति से
प्रतीत होता है कि सुधारों की प्रक्रिया मे वह पूरे सृष्टि की रचना फिर से
करना चाहती है इसलिए सरकार को चाहिए कि पहले वह बेसिक शिक्षा बिभाग का नाम
बदलकर संशोधन विभाग कर दे जिससे प्रदेश की जनता को विश्वास हो जाय कि इस
विभाग का कार्य एकमात्र संशोधन करना है।
श्री मिश्र ने कहा कि लगातार दो भर्तियो तक शिक्षक चयन प्रक्रिया में
कोई संशोथन सरकार को नही करना चाहिए और वह यदि ऐसा करती है तो मा0 सुप्रीम
कोर्ट के आदेशों की अवहेलना होगा। प्रांतीय प्रवक्ता ने कहा कि शिक्षा
मित्रों के परिणामी मामलों सरकार मा0 न्यायालय के आदेशों का अनुपालन भी नही
करना चाहती इससे प्रतीत होता है कि तीन हजार रुपये के मामुली मानदेय पर
सत्तरह सालों तक शिक्षण कार्य करने के अपराध का दण्ड शिक्षा मित्रो को
स्वयम् देना चाहती है इसीलिए सबका साथ, सबका विकास का नारा देने वाली सरकार
ने मा0 सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अनुपालन मात्र छः दिनों मे सुनिश्चित
करके शिक्षा मित्रों की आजीविका व सम्मान छीन लिया परन्तु उसी सम्मानित
न्यायालय के परिणामी आदेशों शिवपूजन सिंह बनाम उत्तर प्रदेश सरकार आदेशित
दिनाँक 22/2/2018 व उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षा मित्र संघ की निर्णीत
याचिका का आदेश सरकार के गले नही उतर रही है ।
प्रांतीय प्रवक्ता ने कहा कि सरकार शिक्षा मित्रों को लेकर पशोपेश मे है
कि यदि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का सही अनुपालन हो जायेगा तो आधे से ज्यादा
शिक्षा मित्र टीईटी पास हैं शिक्षक बन जायेंगे और यदि इलाहाबाद कोर्ट के
आदेश का अनुपालन होता है तो बिना हमसे माँगे ही शिक्षा मित्रों की मुराद
पूरी हो जायेगी इसी लिए सरकार शिक्षक भर्ती प्रक्रिया मे दोषपूर्ण संशोधन
कर परीक्षा करा रही है जो मा0 सुप्रीम कोर्ट के आदेशो की अवहेलना है ।
शिव श्याम मिश्र ने कहा कि धीरे-धीरे प्रदेश की बेसिक शिक्षा प्रयोगों
की शिक्षा बनती जा रही है और प्रदेश के नौनिहालों का भविष्य चौपट हो रहा है
सुप्रीम कोर्ट का आदेश दोष पूर्ण व विचारणीय था परन्तु संविधानिक
व्यवस्थागत सम्मानित व पालनीय था जिसका प्रदेश सरकार ने अनुपालन करके मा0
न्यायालय का सम्मान किया यद्यपि शिक्षा मित्र हित मे नही था परन्तु
इलाहाबाद लखनऊ के आदेश भी मा0 न्यायालय के ही है परन्तु उनका अनुपालन
असम्भव प्रतीत हो रहा है वह सरकार द्वारा न तो अनुपालनीय है और न ही
संविधानिक रूप से सम्मानित, क्योंकि उन आदेशो में आम शिक्षा मित्रो का हित
है ।
प्रांतीय प्रवक्ता ने कहा कि यदि शासन स्तर पर समस्याओं के निस्तारण मे
राजनैतिक धर्म सरकार के हाथ रोक रहे हों तो देश के संविधानिक सम्मान मे मा0
न्यायालय का ही आदेश मानकर उनके उजड़ते हुए कुनबे को बचाया जा सकता है और
इस लोक में तंत्र के शिकार निर्दोष शिक्षा मित्रों की मौतों को रोका जा
सकता है । जिला मीडिया प्रभारी दुर्गेश श्रीवास्तव ने बताया कि होली से
पूर्व एक प्रतिनिध मण्डल ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी से मुलाकत कर बकाया
वेतन /बोनस कि माँग थी लेकिन आज तक विभाग द्वारा नही भेजा गया. होली के एक
सप्ताह हों गये मीडिया प्रभारी ने कहा कि अगर जल्द बकाया वेतन /बोनस का
भुगतान नही कराया गय़ा फिर बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय का घेराव किया
जायेगा।
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