बीटीसी प्रशिक्षुओं के भविष्य से खिलवाड़: पैसे की खातिर 3500 बीटीसी प्रशिक्षुओं को किया फेल,सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी ने दिए मामले की जांच के आदेश

पैसे की खातिर 3500 बीटीसी प्रशिक्षुओं को किया फेल
भविष्य से खिलवाड़

’ निजी कॉलेजों के प्रबंधन ने सुविधा शुल्क न देने पर किया असफल
’ सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी ने दिए मामले की जांच के आदेश
इलाहाबाद वरिष्ठ संवाददाता
सुविधाशुल्क न देने पर प्रदेशभर के तकरीबन 70 निजी कॉलेजों ने बीटीसी 2015 बैच के द्वितीय सेमेस्टर के 3.5 हजार प्रशिक्षुओं को फेल कर दिया। आरोप है कि निजी कॉलेज के प्रबंधन ने सुविधाशुल्क की मांग पूरी नहीं होने पर प्रशिक्षुओं को आंतरिक परीक्षा में फेल या फिर अनुपस्थित कर दिया। अनियमितता सामने आने पर सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी डॉ. सुत्ता सिंह ने जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों (डायट) के प्राचार्यों को जांच के आदेश दिए हैं। प्रत्येक कॉलेज में बीटीसी की 50 सीट होने के कारण 70 कॉलेजों में प्रभावित छात्रों की संख्या 3.5 हजार है।

70 कॉलेजों ने सबको किया फेल या अनुपस्थित : सभी डायट प्राचार्य और निजी कॉलेजों के प्रबंधकों व प्राचार्यों से आंतरिक मूल्यांकन के अंक 27 दिसंबर से 22 जनवरी तक ऑनलाइन भरने और उसकी हार्डकॉपी परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय भेजने को कहा गया था। इनमें से 70 निजी बीटीसी संस्थानों ने मात्र एक विषय के आंतरिक नंबर इस प्रकार दिए हैं कि उनके कॉलेज के सभी छात्र फेल हो रहे हैं या फिर आंतरिक के एक विषय में सभी छात्रों को अनुपस्थित दिखाया गया है।

450 नंबरों की कीमत हजारों में : आंतरिक मूल्यांकन के 450 नंबर कॉलेजों के देने होते हैं। इसके लिए कॉलेज हजारों रुपये की डिमांड करते हैं। जिन कॉलेजों के प्रशिक्षुओं ने रुपये नहीं दिए उन्हें फेल कर दिया गया। परिणाम तैयार करते समय निजी कॉलेजों की करतूत का खुलासा हुआ। यही कारण है कि द्वितीय सेमेस्टर की परीक्षा तो 9 नवंबर को ही पूरी होने के चार महीने बाद तक परिणाम घोषित नहीं हो सका है।

80 हजार प्रशिक्षुओं का रिजल्ट फंसा : बीटीसी 2015 द्वितीय सेमेस्टर के तकरीबन 3.5 हजार प्रशिक्षुओं के आंतरिक नंबर में गड़बड़ी के कारण इस बैच के 80 हजार छात्र-छात्रओं का परिणाम फंसा हुआ है। इसके चलते तृतीय सेमेस्टर पूरा होने के बावजूद परीक्षा नहीं हो पा रही है।

रिजल्ट अपूर्ण रहने पर कॉलेज व डायट होंगे जिम्मेदार : सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी डॉ. सुत्ता सिंह ने निजी संस्थानों का नाम एवं अभ्यर्थियों की सेमेस्टरवार अनुक्रमांक सूची इस निर्देश के साथ भेजी है कि प्रशिक्षुओं के आंतरिक मूल्यांकन के अंक 14 से 17 मार्च तक ऑनलाइन संशोधित/पूर्ण करते हुए हार्डकॉपी 18 मार्च तक उपलब्ध कराएं। इसके बाद आंतरिक मूल्यांकन का अंक स्वीकार नहीं होगा और किसी भी प्रशिक्षु का आंतरिक मूल्यांकन त्रुटिपूर्ण/अवशेष होने पर रिजल्ट अपूर्ण रहता तो पूरी जिम्मेदारी संबंधित जिले के डायट प्राचार्य और निजी कॉलेज की होगी।

एक विषय में सभी छात्रों को फेल करने या अनुपस्थित करने से ऐसा प्रतीत हो रहा है कि यह कृत्य जानबूझकर किया गया है। प्राचार्य डायट अपने स्तर से प्रकरण की जांच करें और यदि निजी कॉलेज दोषी पाये जाते हैं तो उनके खिलाफ मान्यता प्रत्याहरण की संस्तुति करें।-डॉ. सुत्ता सिंह, सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी

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