इलाहाबाद : अजीब संयोग है परिषदीय स्कूलों की शिक्षक भर्ती की दो
परीक्षाएं हुईं और दोनों के प्रकरण हाईकोर्ट तक पहुंचे। एक में सही
प्रश्नों की संख्या बढ़ी तो दूसरे में परीक्षा में पास होने के लिए विभिन्न
वर्गो के लिए निर्धारित अंक प्रतिशत बढ़ रहे हैं।
इससे जहां टीईटी में सफल
अभ्यर्थियों की तादाद बढ़ गई थी, वहीं भर्ती परीक्षा में सफल होने वालों
की संख्या घटना तय है।1शिक्षक बनने के लिए अब परीक्षाएं उत्तीर्ण करना
अनिवार्य है। पहली शिक्षक पात्रता परीक्षा यानी टीईटी और दूसरी भर्ती की
लिखित परीक्षा। शीर्ष कोर्ट के आदेश पर शिक्षामित्रों को अवसर देने के लिए
बेसिक विभाग ने दोनों परीक्षाएं करायीं। टीईटी 2017 का परिणाम के बाद
अभ्यर्थियों ने प्रश्नों के गलत जवाब को लेकर उसे हाईकोर्ट में चुनौती दी।
एकल बेंच ने याचिका स्वीकार करके रिजल्ट संशोधित करने का निर्देश दिया। ऐसे
में 12 मार्च को प्रस्तावित लिखित परीक्षा टाल दी गई। सरकार ने इस निर्णय
को बड़ी पीठ में चुनौती दी। कोर्ट ने प्रश्नों का परीक्षण कराने के बाद
सिर्फ दो प्रश्नों के अंक सभी अभ्यर्थियों को देने का निर्देश दिया।
संशोधित रिजल्ट से 4446 अभ्यर्थी और टीईटी उत्तीर्ण हो गए। उनसे आवेदन
मांगा तो सात हजार ने पंजीकरण कराया और 5004 ने आवेदन किया। यह प्रकरण बाद
में शीर्ष कोर्ट तक पहुंचा लेकिन, वहां खारिज हो गया। सहायक अध्यापक भर्ती
2018 के लिए नौ जनवरी को शासनादेश जारी हुआ। इसमें उत्तीर्ण प्रतिशत तय
हुआ। जिसे बाद में सरकार ने परीक्षा से कुछ दिन पहले बदलकर और कम कर दिया।
यह मामला फिर हाईकोर्ट पहुंचा। कोर्ट ने अभ्यर्थियों की दलील सही पाकर
दूसरे आदेश को खारिज कर दिया जिससे उत्तीर्ण प्रतिशत अब बढ़ गया है।
परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय इन दिनों रिजल्ट तैयार करा रहा है
लेकिन, बढ़े उत्तीर्ण प्रतिशत से सफल होने वाले अभ्यर्थियों की संख्या घटना
तय माना जा रहा है, क्योंकि अब सफल होने वाले अंकों में बड़ा फासला हो गया
है।
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