40 फीसद पद खाली, कैसे हो पीएफ की रखवाली
कानपुर, जागरण संवाददाता: कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) में प्रवर्तन व लेखाधिकारी के 40 फीसद से अधिक पद रिक्त हैं। इसका सीधा असर प्रवर्तन और खातों के रखरखाव पर पड़ रहा है।
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कानपुर, जागरण संवाददाता: कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) में प्रवर्तन व लेखाधिकारी के 40 फीसद से अधिक पद रिक्त हैं। इसका सीधा असर प्रवर्तन और खातों के रखरखाव पर पड़ रहा है।
दरअसल विभाग में कर्मचारी और अधिकारी सेवानिवृत्त होते गये और नई भर्ती नहीं गयी।
विभागीय नीतियों को लागू कराने के लिए प्रवर्तन की सबसे अधिक जिम्मेदारी होती है। यदि राष्ट्रीय स्तर पर देखें तो इसके लिए स्वीकृत पद 153 हैं जबकि वर्तमान में केवल 99 अधिकारी ही कार्यरत हैं जबकि 54 पद रिक्त हैं। कानपुर कार्यालय में 22 स्वीकृत पदों में से दस ही कार्यरत हैं जबकि 12 स्थान खाली हैं।
इस पद पर विभाग में लोक सेवा आयोग के माध्यम से भर्ती करता है और 15 साल से इस पद पर कोई भर्ती नहीं की गयी है।
स्टाफ की स्थिति तो और भी खराब है। संगठन में 1988 में एसआईयू (स्ट्रेंथ इन्वेस्टिगेशन यूनिट) मानक के अनुसार एक लिपिक को 2200 खातों की देखरेख करनी है किंतु वास्तविकता में एक लिपिक दस से 15 हजार तक खातों का रखरखाव कर रहा है।
इम्पलाइज प्राविडेंट फंड स्टाफ यूनियन के महासचिव एवं आल इंडिया इम्पलाइज प्राविडेंट फंड स्टाफ फेडरेशन के उपाध्यक्ष राजेश शुक्ला के अनुसार मानक तय होने के बाद लगातार काम बढ़ता जा रहा है।
1995 में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर कंज्यूमर एक्ट, फिर ईपीएस 95 के नाम से पेंशन योजना, आरटीआई एक्ट का काम भी आ गया है। पहली जून से टीडीएस का काम भी शुरू होने वाला है।
उन्होंने कहा कि 28 मई से दिल्ली में होने वाली वाली फेडरेशन की कार्यकारिणी और बाद में ईपीएफओ प्रबंधन के साथ बैठक में अधिकारियों और कर्मचारियों की समस्याओं पर चर्चा की जाएगी। इसके साथ ही यह बात भी रखी जाएगी कि रिक्त पदों पर नियुक्ति न होने तक तदर्थ रूप में स्टाफ की प्रोन्नति कर दी जाए। उन्होंने बताया कि स्टाफ के रिक्त पदों पर भर्ती के अलावा बी और सी कैडर के कर्मचारियों की रीस्ट्रक्च¨रग के मुद्दे भी उठाए जाएंगे।
विभागीय नीतियों को लागू कराने के लिए प्रवर्तन की सबसे अधिक जिम्मेदारी होती है। यदि राष्ट्रीय स्तर पर देखें तो इसके लिए स्वीकृत पद 153 हैं जबकि वर्तमान में केवल 99 अधिकारी ही कार्यरत हैं जबकि 54 पद रिक्त हैं। कानपुर कार्यालय में 22 स्वीकृत पदों में से दस ही कार्यरत हैं जबकि 12 स्थान खाली हैं।
इस पद पर विभाग में लोक सेवा आयोग के माध्यम से भर्ती करता है और 15 साल से इस पद पर कोई भर्ती नहीं की गयी है।
स्टाफ की स्थिति तो और भी खराब है। संगठन में 1988 में एसआईयू (स्ट्रेंथ इन्वेस्टिगेशन यूनिट) मानक के अनुसार एक लिपिक को 2200 खातों की देखरेख करनी है किंतु वास्तविकता में एक लिपिक दस से 15 हजार तक खातों का रखरखाव कर रहा है।
इम्पलाइज प्राविडेंट फंड स्टाफ यूनियन के महासचिव एवं आल इंडिया इम्पलाइज प्राविडेंट फंड स्टाफ फेडरेशन के उपाध्यक्ष राजेश शुक्ला के अनुसार मानक तय होने के बाद लगातार काम बढ़ता जा रहा है।
1995 में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर कंज्यूमर एक्ट, फिर ईपीएस 95 के नाम से पेंशन योजना, आरटीआई एक्ट का काम भी आ गया है। पहली जून से टीडीएस का काम भी शुरू होने वाला है।
उन्होंने कहा कि 28 मई से दिल्ली में होने वाली वाली फेडरेशन की कार्यकारिणी और बाद में ईपीएफओ प्रबंधन के साथ बैठक में अधिकारियों और कर्मचारियों की समस्याओं पर चर्चा की जाएगी। इसके साथ ही यह बात भी रखी जाएगी कि रिक्त पदों पर नियुक्ति न होने तक तदर्थ रूप में स्टाफ की प्रोन्नति कर दी जाए। उन्होंने बताया कि स्टाफ के रिक्त पदों पर भर्ती के अलावा बी और सी कैडर के कर्मचारियों की रीस्ट्रक्च¨रग के मुद्दे भी उठाए जाएंगे।
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