रामपुर। फर्जी सर्टिफिकेट से नौकरी पाने वाले चार प्राइमरी शिक्षकों की सेवा समाप्त कर दी गई। पांच माह पहले उन्हें शिक्षक की नौकरी मिली थी। सत्यापन में उनके अभिलेख फर्जी पाए गए। दो और शिक्षकों के अभिलेख फर्जी मिले हैं। उन पर भी कार्रवाई की तलवार लटक गई है। जनपद में डेढ़ हजार शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक पद पर समायोजित किया गया था। तीस अप्रैल को उन्हें नियुक्ति पत्र देकर स्कूलों में तैनात किया गया। तब से दूसरे ब्लाकों में जाकर शिक्षण कार्य कर रहे थे।
इस बार बीएसए ने सत्यापन कराने की जानकारी नहीं दी। गोपनीय तरीके से सत्यापन कराया गया। मिलक क्षेत्र के चैनपुर गांव स्थित प्राथमिक विद्यालय में तैनात कमलेश गंगवार, बिलासपुर के प्रथ्वीपुर गांव में तैनात सर्वेश कुमार, स्वार क्षेत्र के मिलक ताज खां गांव में तैनात छोटेलाल और शाहबाद के नंदगांव में तैनात सोमपाल के शैक्षिक सर्टिफिकेट फर्जी पाए गए। इंटर और हाई स्कूल के सर्टिफिकेट का बोर्ड में रिकार्ड नहीं मिला। दो दिन पहले बीएसए एसके तिवारी ने इन चारों को सुनवाई के लिए बुलाया था, लेकिन एक ही शिक्षक पहुंचा था, जबकि एक महिला शिक्षक के पिता बीएसए तक पहुंचे थे। गुरुवार को बीएसए ने चारों की सेवा समाप्त कर दी। वे पांच माह से दूसरे ब्लाकों में जाकर पढ़ा रहे थे। उन्हें पहला वेतन भी नहीं मिल सका है। पांच माह में कई हजार रुपये स्कूल आने-जाने में ही खर्च कर दिए। इससे पहले शिक्षामित्र थे। तब साए़े तीन हजार रुपये मानदेय मिल रहा था, लेकिन अब उससे भी जाते रहे।
दो और शिक्षकों के अभिलेख फर्जी पाए गए हैं। इनमें सैदनगर क्षेत्र के सूरतसिहंपुर गांव में तैनात शिक्षिका तबस्सुम बी और शाहबाद क्षेत्र के यूसुफनगर में तैनात शिक्षक महबूब अली शामिल हैं। हालांकि बोर्ड से इनका सत्यापन ओके कर दिया गया, लेकिन नेट पर पकड़ा गया। नेट पर इनकी कोई जानकारी नहीं है। इसलिए बीएसए ने दोनों को सुनवाई के लिए तीन ¨सतबर को बुलाया है। गौरतलब है कि सवा पांच सौ शिक्षकों का सत्यापन सही पाया गया है, जिन्हें इस माह वेतन दिया जाएगा।
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