2 नवम्बर को एक बार फ़िर दिल्ली में सबसे बड़ी पंचायत : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News

2 नवम्बर को एक बार फ़िर दिल्ली में सबसे बड़ी पंचायत लगेगी,महापंच का खौफ पैदा करके टीईटी सम्प्रदाय के विभिन्न मठाधीश खेँचमंथन की प्रक्रिया को सम्पन्न करने के लिये अज्ञात प्रवास त्याग अपने अपने अय्यारों संग राजधानी दिल्ली में अपने अस्थाई मठ बना कर आगे का भय यहीं से फ्न्बूक और वाएप से फैलायेंगे

और इसमें इनकी मदद पूरे ऊपी में फैले इनके चीलुये-पीलुये करेंगे,अब देखने की बात ये होगी की इनके खेँचमँत्रों के मोहपाश में आकर कितने आम टेटियन अपना सब अर्पण कर जय जय कार करने को सम्मोहित होते हैं !
मठाधीश समाज से बर्खास्त सुल्तानपुडी मठ के मठाधीश ऐलाह्बाद मठ की शरण में जाकर पहले ही एक प्रयास कर भोले नये टेटियन को ऐल्हाबाद में अपने डमरू की ताल पर ता ता थैया करवा चुके हैं हालाँकि लोगों को जब पता लगा तो खासी नाराजगी है.,गन्जेडि महान आत्मा की पूर्ण विदाई के बाद लखनवी मठ अपने साथ कई पेटियों का जखीरा लेकर दिली में अपना मठ स्थापित कर चुके हैं,इनके जखीरे में होने वाले होम जज्ञ की हर आहुति के लिये अलग अलग ब्रांड की उपलब्ध है,
वही बिना बालों वाले अघोरि सम्प्रदाय के घुमंतू बाबा और परेशान जौनपुरिया अपने को मठाधीश की जमात में शामिल करने को लेकर इत उत झक मारने में लगे हैं तो सभी को मठाधीश बनाने की पूर्ण सामयौज्न की माँग लेकर आशु दाना भी नृत्य की लीला की अपनी पारंगतता दिखा आउल पाने व अजेय मठ से बेहतरी सिद्ध कर रहे हैं,पर इस बार देवडिया वाले संतश्री शांत हैं तो उनके ही सम्प्रदाय के ज्न्डु ने सनील चापलत के साथ मिलकर मठ स्थापित करने का निर्णय किया है,
पर इस बार मुकाबले में चाइनीस इच्छामित्र मठ के भाजी भाला के आने से विचित्र भयावह माहौल बना हुआ है
इन सब को फ्ण्बूक से जानकर अनजान बने रहने की कला में महारत हासिल किये घुटे हुये लौंडे अभी भी बरमूडा नेकर और टी शर्ट में चाय का कप पकड़ घर से ही मजे ले लेकर अपनी मौलिकता की तैयारियों में लगे हैं और इन्हें पूर्ण विश्वास है की जल्द ही इनकी अमौलिकता ख़त्म होगी !
हर बार चंदे के समय विलोप होने वाले इन घुटे लौंडो ने प्राप्त मानदे भी औरों से ज्यादा बनाया है,जहाँ छुआछूत से पीडित सुकुमारीयों ने भूखों मरकर भी मध्याहन भोजन पानी को नहीँ चखा तो वहीँ घुटे हुये लौंडो ने रोज़ डकार कर खाते हुये कई कई बोरे राशन शाशन की आँखों के नीचे से सटाकर पैसा बना अपनी कला की नुमाइश की,राशन ही नयी रसोई की गेस,लकड़ी के गट्ठर,पुरानी पड़ी रद्दी और यहाँ तक नयी किताबें,हरे पेड़,थाली ग्लास भी बेंच ठसक से पूरी तनखा वसूली !
खैर 2 को जो भी होगा सब महापंच तय कर लिये हैं ! अब मैं भी चला,हमारे यहाँ राशन के कई खाली बोरे पड़े हैं,उन्हीं को सटाके बीडी सिगरेट का दाम निकाल लूँ,
आप नज़र रखीये,समझिये बाजीगरों की कला को,सिखिये,परख कीजिये,...
मैं चला...तू पैसा पैसा करती है..,पैसे पर ही मरती है !


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