आर्थिक सहयोग पर लोगों की टिप्पणियाँ 👇👇👇
➡ अब कुछ नहीं होगा
➡ फ़ालतू का ड्रामा है ....केस मे अब कुछ बचा ही नहीं
➡ फ़ालतू का ड्रामा है ....केस मे अब कुछ बचा ही नहीं
➡ लूट चालू ➡ आ गए चंदा चोर
➡ चोर कमेटी वाले आए हैं.
➡ सब डराते हैं , होता कुछ नहीं है
➡ एक पैसा न दिया है न दूँगा
➡ जो सबके साथ होगा वो हमारे साथ होगा ➡ किस्मत में जो लिखा है वो ही होगा ....
➡ अगर किस्मत में नौकरी है तो मिलेगी , न कोर्ट छीन पाएगी न सरकार .............................................
उपर्युक्त निर्लज्ज उद्गार हमारे 72825 भर्ती समूह में सम्मिलित साथियों के ही हैं.......जो किस्मत के सहारे नहीं बल्कि दूसरे कंधे पर पैर रखकर चढ़े हैं और लक्ष्य को छूने की कगार पर हैं पर ये बात मानने को आज भी तैयार नहीं हैं..... _________________________
👇👇👇👇👇👇👇👇👇 पर ध्यान रहे.......आपके नाम से पहले जो सम्मानसूचक शब्द लग रहा है वह तब तक ही लगेगा जब तक आप इस भर्ती के अंग बने रहेंगे .......
सुकून की बात ये है कि भर्ती सर्वोच्च न्यायालय के आदेश/निर्देश पर हो रही है इसलिए अन्य किसी भी व्यवधान की चिंता नहीं है........ लेकिन जब ख़ुद सर्वोच्च न्यायालय में ही आप पूर्ण रूप से अभयदान प्राप्त न कर पाए हों तो चिंता की बात है..... इसलिए हर उस तारीख़ को लामबंद हो जाया करिए जिस तारीख़ को सु.कोर्ट में हमारी भर्ती को लेकर कोई बहस होनी हो......... नहीं तो नाम से पहले लगा सम्मानसूचक शब्द आज जितना आनंद और सुख की अनुभूति करा देता है ......
प्रतिकूल परिस्थितियों में यही शब्द नश्तर सरीखा चुभेगा और बार बार ,, हर बार आपको आपकी ग़लती की याद दिलाया करेगा .........और तब आप अफ़सोस भी न कर पाएंगे.....आख़िर किससे जताएंगे ?
सोचिए ......... सोचकर निर्णय लीजिए...आज ही।