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Breaking - हाई कोर्ट ने शिक्षा मित्रों को TET से छूट देने संबंधी शासनादेश को कर दिया निरस्त

कोर्ट के ताजा फैसले से शिक्षकों की उम्मीदों को करारा झटका
Breaking - नैनीताल : हाई कोर्ट ने शिक्षा मित्रों को शिक्षक पात्रता परीक्षा से छूट देने संबंधी शासनादेश को निरस्त करते हुए साफ कर दिया है कि अनिवार्य शिक्षा अधिनियम के अंतर्गत शिक्षकों के लिए टीईटी पास करना अनिवार्य है। कोर्ट के ताजा फैसले से नियमित शिक्षक का ख्वाब देख रहे राज्य के

करीब 1298 शिक्षकों की
उम्मीदों को करारा झटका लगा है। कोर्ट ने सरकार को
प्रत्येक तीन माह में शिक्षक पात्रता
परीक्षा कराने के आदेश पारित किए हैं।
1नैनीताल निवासी गीता पांडे व
अन्य ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि वह नियमित
बीटीसी धारक हैं। उन्होंने
प्रतियोगात्मक परीक्षा पास कर अध्यापन के लिए विशेष
प्रशिक्षण हासिल किया है, जबकि शिक्षा मित्रों के लिए सरकार ने
दरियादिली दिखाते हुए शासनादेश जारी कर
टीईटी से छूट प्रदान कर दी।
इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया
की एकल पीठ में हुई। याचिका पर सुनवाई
के दौरान शिक्षा मित्रों की ओर से कहा गया कि वह
पिछले कई सालों से अध्यापन कार्य कर रहे हैं।
नेशनल काउंसिल आफ टीचर्स एजुकेशन अर्थात
एनसीटीई की ओर से उन्हें
टीईटी से छूट प्रदान करने
संबंधी निर्देश सरकार को दिए गए थे। हाई कोर्ट ने
शिक्षा मित्रों के तर्काे को नकारते हुए कहा कि शिक्षा का अधिकार
अधिनियम के अंतर्गत प्रत्येक शिक्षक को
टीईटी पास करना जरुरी है,
जिससे बच्चों को अच्छे शिक्षक मिल सकें। कोर्ट ने यह
भी साफ किया कि एनसीटीई व
सरकार द्वारा शिक्षा मित्रों को टीईटी से छूट
प्रदान कर असंवैधानिक है, जिसके बाद एकल पीठ ने
सरकार द्वारा शिक्षा मित्रों को टीईटी से छूट
देने संबंधी शासनादेश को निरस्त कर दिया

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