कुछ खुराफातियों द्वारा बीटीसी 2012 की जनवरी/फ़रवरी 2014 की
टीईटी को अवैध घोषित कराए जाने की कोशिश की जा रही हैं। 2012 बैच की टीईटी
की वैधता के सम्बन्ध में राज्य सरकार का कौन सा शासनादेश क्या कहता
है वह बाद की बात है।
लेकिन एनसीटीई की टीईटी आयोजन से सम्बंधित 11 फ़रवरी 2011 को जारी की गई गाइडलाइन में टीईटी में शामिल होने की अर्हता के सम्बन्ध में पैरा 5(ii) कहता है कि:
A person who is pursuing any of
the teacher education courses (recognized by the NCTE or the RCI, as the
case may be) specified in the NCTE Notification dated 23rd August 2010.लेकिन एनसीटीई की टीईटी आयोजन से सम्बंधित 11 फ़रवरी 2011 को जारी की गई गाइडलाइन में टीईटी में शामिल होने की अर्हता के सम्बन्ध में पैरा 5(ii) कहता है कि:
[वह व्यक्ति जो 23 अगस्त 2010 को जारी एनसीटीई नोटिफिकेशन में दिए गए किसी भी शिक्षक प्रशिक्षण कोर्स (एनसीटीई अथवा आरसीआई द्वारा मान्यता प्राप्त) में हिस्सा ले रहा हो।]
साथ ही साथ उक्त गाइडलाइन का पैरा 11 कहता है कि :
The appropriate Government should conduct a TET at least once every year.
(सम्बंधित सरकार को साल में कम से कम एक बार टीईटी का आयोजन करना चाहिए)
अब उक्त तथ्यों तथा खुराफातियों द्वारा बीटीसी 2012 की टीईटी अवैध घोषित कराए जाने के सम्बन्ध में किये जा रहे प्रयासों पर बिना किसी अन्य शासनादेश या आरटीआई को संज्ञान में लिए, चर्चा करें तब निम्न तथ्य सामने आते हैं :
1) 15,000 भर्ती में बीटीसी 2012 के आवेदकों ने जनवरी/फ़रवरी 2014 का टीईटी पास किया है।
2) राज्य सरकार ने जनवरी/फ़रवरी 2014 की टीईटी के बाद से लेकर 15,000 सहायक अध्यापक भर्ती का विज्ञापन निकालने के समय तक से लेकर आज 11 नवंबर 2015 तक टीईटी का आयोजन नहीं कराया है।
3) बीटीसी 2012 को जनवरी/फरवरी 2014 की टीईटी के बाद से अभी तक टीईटी आयोजित न हो पाने के कारण आगामी टीईटी में शामिल होकर पास होने का मौका नहीं दिया गया है।
4) एनसीटीई की 9 फ़रवरी 2011 की गाइडलाइन के पैरा 5(ii) में लिखा है 'pursuing any of the teacher education course', यहाँ यह नहीं लिखा है कि 'Pursuing the last year of teacher education course'.. अर्थात प्रशिक्षण कोर्स के किसी भी वर्ष में टीईटी दिया जा सकता है।
उपरोक्त तथ्यों को क्रमवार पढ़ने तथा 5(ii) की Literal Construction एवं प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत को देखते हुए कोई भी न्याय व्यवस्था बीटीसी 2012 का जनवरी/फ़रवरी 2014 का टीईटी अवैध नहीं कर सकती है। अब बात करते हैं कि मैंने टीईटी में बैठने की अर्हता से सम्बंधित राज्य सरकार के अन्य शासनादेशों को संज्ञान में क्यों नहीं लिया। वह इसलिए क्योंकि एनसीटीई की 11 फ़रवरी 2011 की गाइडलाइन स्टेट पर बाध्य हैं यह पाठक चचा से ले के चौधरी बाबू तक ने रट लिया है तो मुझे यह बोलने की आवश्यकता नहीं है कि उक्त गाइडलाइन स्टेट पर binding (बाध्य) हैं अर्थात सरकार इनसे बच के भाग नहीं सकती। सरकार ने 5(ii) से इतर कोई भी आदेश/शासनादेश यदि पारित किया है तो वह अल्ट्रा वायर्स, वोइड-एब-इनिशियो तथा क्वाश् हो जाएगा। बीटीसी 2012 की टीईटी मार्कशीट कोई भी अवैध नहीं कर सकता। कुछ भाइयों ने इस सम्बन्ध में न्यायालय में वाद दायर किया है और मांग की है कि है
कि चूँकि बीटीसी 2012 ने टीईटी जनवरी 2014 में आवेदन के समय तक बीटीसी फाइनल इयर में कदम नहीं रखा था अतः इनकी टीईटी अवैध घोषित की जाए। मित्रों, याचियों द्वारा किया गया केस साफ़ दर्शाता है कि यह केस द्वेष एवं असुरक्षा की भावना से किया गया है तथा याचियों का मकसद बीटीसी 2012 को भर्ती से पूर्ण रूप से बाहर करना है। वैसे तो बीटीसी 2012 को भर्ती से बाहर करने की कई कोशिश की जा चुकी हैं और लगातार की जा रही हैं लेकिन इस प्रकार के केस साफ़ दर्शाते हैं कि याची किस हद तक 'डेस्पेरेट' हैं बीटीसी 2012 को भर्ती से बाहर करने को लेकर।
इस पोस्ट को आप सभी सेव कर लें तथा मैंने जो ऊपर 4 पॉइंट बताएं हैं इनका मिलान इस केस का निर्णय आने पर कर लें। अब लोग मुझसे कहेंगे कि तुम फसबुकिया जज हो अथवा वकील हो, फलाना ढिमाका आदि। ऐसे भाइयों से मैं सिर्फ इतना कहूँगा कि जज व वकील भी मनुष्य ही होते हैं, कोई परग्रही नहीं होते। जो तथ्यों पर आधारित बहस हम करते हैं उनके 90% तथ्य कोर्ट में भी रखे जाते हैं। फर्क सिर्फ इतना होता है कि उनको अंग्रेजी में और थोडा घुमा फिराकर स्टाइल में रखा जाता है। ज्ञानी पुरुष, वकील तथा जज में सिर्फ इतना फर्क होता है कि तथ्यों की जानकारी रखने वाला ज्ञानी कहलाता है, तथ्यों की जानकारी तथा उन तथ्यों को घुमा फिराकर पेश करने वाला वकील बन जाता है तथा जो इन घूमे फिरे तथ्यों को इनके वास्तविक रूप में देखने व परखने की क्षमता रखता है वह जज कहलाता है।
फिलहाल हमारा टीईटी वैलिड है और इसका प्रमाण हमारे पास पीएनपी उप रजिस्ट्रार से 6 अगस्त 2015 को प्राप्त आरटीआई है। कुछ भाई सन् 2011 का एक उत्तर प्रदेश सरकार का शासनादेश लिए लिए फिर रहे हैं जो कि अब प्रभाव में नहीं है। इस आरटीआई में भी यह ही लिखा है कि शिक्षक प्रशिक्षण परीक्षाओं में सम्मिलित हो रहे अभ्यर्थी भी टीईटी में आवेदन कर सकते हैं। कहीं भी यह नहीं लिखा है कि फाइनल इयर वाला ही टीईटी हेतु अर्ह है। इसमें यह भी लिखा है कि टीईटी की मार्कशीट सम्बंधित शिक्षक प्रशिक्षण परीक्षा उत्तीर्ण करने पर ही मान्य होगी। जब यहाँ यह शर्त लगा ही दी है कि टीईटी का सर्टिफिकेट सम्बंधित शिक्षक प्रशिक्षण परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद ही मान्य होगा तब फिर इस बात का कोई औचित्य ही नहीं रह जाता है कि टीईटी में आवेदन कब किया गया है। खैर यह सब न्यायालय के मुद्दे हैं।
बाकी याची को जितना झोरना है झोरते रहें। यदि किसी जिले में किसी डेस्पेरेट व्यक्ति द्वारा पगलौटी फैलाने की कोशिश की जा रही हो तब आप सभी इस आरटीआई तथा एनसीटीई की 11 फ़रवरी 2011 की गाइडलाइन का पैरा 5(ii) को अपने अपने डीएम् एवं बीएसए को दिखा कर उनकी व्यग्रता को शांत करें। बाकी इन खुराफातियों से कोर्ट में हम निपट लेंगे।
धन्यवाद।
- जुझारू प्रत्याशी
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