राज्य ब्यूरो, इलाहाबाद : बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से संचालित स्कूल एवं अन्य कार्यक्रमों की जमीनी हकीकत जांची गई है। यह निरीक्षण प्रदेश के सिर्फ 29 जिलों में शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अफसरों ने किया। प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा आशीष गोयल खुद निरीक्षण पर निकले।
इसमें करीब एक दर्जन से अधिक अफसरों को जांच को जिम्मा सौंपा गया। हर अधिकारी को लगभग दो जिले दिए गए। खास बात यह है कि इस जांच से पहले सभी मंडलीय बेसिक शिक्षा अधिकारियों ने बेसिक शिक्षा अधिकारियों को पत्र भेजकर स्कूल एवं कार्यालयों में व्यवस्था दुरुस्त करने के कड़े निर्देश दिए थे। इसमें करीब 53 बिंदुओं पर स्कूल को चुस्त-दुरुस्त करने को कहा गया था। यही नहीं, बीएसए एवं उनके मातहतों ने भी औचक निरीक्षण किया। इसके बाद भी वरिष्ठ अधिकारियों के निरीक्षण में कमियां मिली हैं। काफी हद तक संसाधनों को चमकाने का प्रयास हुआ, लेकिन चंद दिन में ही शैक्षिक धरातल पर कोई बदलाव नहीं हो सका। इसलिए बच्चे अपेक्षित जवाब नहीं दे पाए। कई स्कूलों में शौचालय में ताला लटकता मिलना एवं रंगाई-पुताई व बैठने के नियमित इंतजाम न होने की समस्याएं दिखीं। ऐसे ही शिक्षकों की कमी और मिडडे-मील नियमित न बंटने की बात बच्चों ने ही बयां कर दी। ऐसे ही कार्यालयों एवं कस्तूरबा स्कूलों में भी गड़बड़ियां मिली हैं। कुछ स्कूल ऐसे भी मिले जहां पठन-पाठन एवं विद्यालय की रंगत देखकर अफसर खुश हो गए। शासन ने सभी अफसरों को जांच रिपोर्ट देने के लिए पूरा प्रारूप दिया था उसमें बिंदुवार जवाब देना है। यह जवाब 15 जनवरी तक मांगा गया है। सभी अधिकारी उसे पूरा कर रहे हैं।
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इसमें करीब एक दर्जन से अधिक अफसरों को जांच को जिम्मा सौंपा गया। हर अधिकारी को लगभग दो जिले दिए गए। खास बात यह है कि इस जांच से पहले सभी मंडलीय बेसिक शिक्षा अधिकारियों ने बेसिक शिक्षा अधिकारियों को पत्र भेजकर स्कूल एवं कार्यालयों में व्यवस्था दुरुस्त करने के कड़े निर्देश दिए थे। इसमें करीब 53 बिंदुओं पर स्कूल को चुस्त-दुरुस्त करने को कहा गया था। यही नहीं, बीएसए एवं उनके मातहतों ने भी औचक निरीक्षण किया। इसके बाद भी वरिष्ठ अधिकारियों के निरीक्षण में कमियां मिली हैं। काफी हद तक संसाधनों को चमकाने का प्रयास हुआ, लेकिन चंद दिन में ही शैक्षिक धरातल पर कोई बदलाव नहीं हो सका। इसलिए बच्चे अपेक्षित जवाब नहीं दे पाए। कई स्कूलों में शौचालय में ताला लटकता मिलना एवं रंगाई-पुताई व बैठने के नियमित इंतजाम न होने की समस्याएं दिखीं। ऐसे ही शिक्षकों की कमी और मिडडे-मील नियमित न बंटने की बात बच्चों ने ही बयां कर दी। ऐसे ही कार्यालयों एवं कस्तूरबा स्कूलों में भी गड़बड़ियां मिली हैं। कुछ स्कूल ऐसे भी मिले जहां पठन-पाठन एवं विद्यालय की रंगत देखकर अफसर खुश हो गए। शासन ने सभी अफसरों को जांच रिपोर्ट देने के लिए पूरा प्रारूप दिया था उसमें बिंदुवार जवाब देना है। यह जवाब 15 जनवरी तक मांगा गया है। सभी अधिकारी उसे पूरा कर रहे हैं।
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