इलाहाबाद (ब्यूरो)। कोर्ट के आदेश का पालन न करने पर 15 जिलों के बेसिक शिक्षा अधिकारी पुन: तलब किए गए हैं। इन अधिकारियों पर 29334 गणित विज्ञान के सहायक अध्यापकों की भर्ती में अदालत के आदेश का पालन नहीं करने का आरोप है।
इसे लेकर प्रवेश कुमार और 55 अन्य अभ्यर्थियों ने अवमानना याचिकाएं दाखिल की हैं।
कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए इससे पूर्व 15 जिलों के बीएसए को तलब कर स्पष्टीकरण देने का आदेश दिया था। मामले की सुनवाई जस्टिस वीके बिड़ला कर रहे हैं।
बृहस्पतिवार कोबलिया के राकेश सिंह, फिरोजाबाद के बालमुकुंद प्रसाद, हरदोई के बृजेश मिश्र, हापुड़ के एसपी वर्मा, प्रतापगढ़ के माधव जी तिवारी, फतेहपुर के विनय कुमार, गोंडा के फतेहबहादुर सिंह, कौशाम्बी के अशोक कुमार सिंह, कुशीनगर के लालजी यादव और इटावा के बीएसए जेपी राजपूत, लखीमपुर के ओपी राय, अलीगढ़ के संजय शुक्ला, श्रावस्ती के महेश प्रताप सिंह, बरेली के दरविंदर स्वरूप और बांदा जिले के बेसिक शिक्षा अधिकारियों ने हाजिर होकर अपना जवाब दाखिल किया। बताया कि री-शफलिंग के कारण याचीगण को नियुक्तिपत्र नहीं दिया जा सका, क्योंकि इनके अंक कम थे। कोर्ट ने री-शफलिंग को सही नहीं माना। कहा कि री-शफलिंग को हाईकोर्ट अमान्य करार दे चुका है। अधिकारियों को पुन: चार अप्रैल को तलब कर स्पष्टीकरण देने को कहा है।
याची के वकील अनूप त्रिवेदी और विभू राय का कहना था कि याचीगण विज्ञान स्नातक हैं। इनका नाम चयन सूची से बिना कोई कारण बताए हटा दिया गया, जबकि कोर्ट ने 18 दिसंबर के आदेश में कहा था कि 29 अप्रैल 2015 के हाईकोर्ट के आदेश का पालन किया जाए।
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इसे लेकर प्रवेश कुमार और 55 अन्य अभ्यर्थियों ने अवमानना याचिकाएं दाखिल की हैं।
कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए इससे पूर्व 15 जिलों के बीएसए को तलब कर स्पष्टीकरण देने का आदेश दिया था। मामले की सुनवाई जस्टिस वीके बिड़ला कर रहे हैं।
बृहस्पतिवार कोबलिया के राकेश सिंह, फिरोजाबाद के बालमुकुंद प्रसाद, हरदोई के बृजेश मिश्र, हापुड़ के एसपी वर्मा, प्रतापगढ़ के माधव जी तिवारी, फतेहपुर के विनय कुमार, गोंडा के फतेहबहादुर सिंह, कौशाम्बी के अशोक कुमार सिंह, कुशीनगर के लालजी यादव और इटावा के बीएसए जेपी राजपूत, लखीमपुर के ओपी राय, अलीगढ़ के संजय शुक्ला, श्रावस्ती के महेश प्रताप सिंह, बरेली के दरविंदर स्वरूप और बांदा जिले के बेसिक शिक्षा अधिकारियों ने हाजिर होकर अपना जवाब दाखिल किया। बताया कि री-शफलिंग के कारण याचीगण को नियुक्तिपत्र नहीं दिया जा सका, क्योंकि इनके अंक कम थे। कोर्ट ने री-शफलिंग को सही नहीं माना। कहा कि री-शफलिंग को हाईकोर्ट अमान्य करार दे चुका है। अधिकारियों को पुन: चार अप्रैल को तलब कर स्पष्टीकरण देने को कहा है।
याची के वकील अनूप त्रिवेदी और विभू राय का कहना था कि याचीगण विज्ञान स्नातक हैं। इनका नाम चयन सूची से बिना कोई कारण बताए हटा दिया गया, जबकि कोर्ट ने 18 दिसंबर के आदेश में कहा था कि 29 अप्रैल 2015 के हाईकोर्ट के आदेश का पालन किया जाए।
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