नौ अक्टूबर 2000 से चार अप्रैल 2002 के बीच बेसिक शिक्षा विभाग में फर्जी
कागजात के आधार पर 16 शिक्षकों की फर्जी नियुक्ति की गई और विभिन्न स्कूलों
में ट्रांसफर देकर इनमें से कुछ को ज्वाइन भी करा दिया गया।
तत्कालीन एडी बेसिक योगेंद्र पाल सिंह ने मामला पकड़ा तो उस समय तैनात डीएम रमारमण के आदेश पर जांच विजिलेंस को चली गई।
सालों लंबी जांच चली और 12 अगस्त को विजिलेंस के इंस्पेक्टर वीर सिंह नायक ने इस मामले की रिपोर्ट दर्ज कराई। जिसमें तत्कालीन बीएसए, कई एबीएसए, शिक्षा विभाग के बाबू और 16 फर्जी शिक्षक समेत 29 लोगों को आरोपी बनाया गया। इनमें से एक एबीएसए समेत चार की अब मौत हो चुकी है।1ऐसे गायब हुए दस्तावेज1सूत्रों की मानें तो मामला पकड़े जाने के बाद सारे स्कूलों से दस्तावेज एडी बेसिक के ऑफिस पहुंचे। वहां से बीएसए ऑफिस पहुंचे। मगर अब कहां हैं, इसका कुछ पता नहीं। मुकदमा दर्ज होने के बाद वर्ष 2013 से अब तक विजिलेंस यहां तैनात रहे विभिन्न बीएसए को नोटिस व सात बार उसका रिमाइंडर दे चुकी है, लेकिन इस मामले से जुड़े मूल दस्तावेज अब तक नहीं दिए। मामले के विवेचक इंस्पेक्टर दयाराम सिंह की मानें तो हर बार कोई न कोई कारण बताकर टाल दिया जाता है।
दीपचंद्र प्रजापति, तत्कालीन बीएसए
सोहनलाल वर्मा, एबीएसए फरीदपुर
एससी दीक्षित, एबीएसए फरीदपुर
राधेश्याम रस्तोगी, सहायक अध्यापक बीएसए कार्यालय से संबद्ध
शाहिद खां, सहायक अध्यापक बीएसए कार्यालय से संबद्ध
अरुण कुमार सक्सेना, पटल सहायक
किशन स्वरूप सक्सेना, तत्कालीन प्रधान लिपिक बीएसए ऑफिस
ब्रजपाल सिंह, लिपिक बीएसए ऑफिस
इतरत अली, प्रधानाध्यापक प्रा.वि. केहरा, फतेहगंज पश्विमी
जंगबहादुर शर्मा, प्रधानाध्यापक प्रा.वि. चमरौआ, फतेहगंज पश्चिमी
श्यामसुंदर, प्रधानाध्यापक प्रा.वि. रंपुरा, फतेहगंज पश्चिमी
हरीप्रसाद, प्रधानाध्यापक प्रा.वि. धौरेरा, भुता
रघुनंदन प्रसाद, प्रधानाध्यापक प्रा.वि. सुकटिया, भुता
सत्यप्रकाश गंगवार, प्रधानाध्यापक प्रा.वि. कुरमुरी, भुता
रामस्वरूप गंगवार, प्रधानाध्यापक प्रा.वि. बड़रा कासिमपुर, भुता
अंजू गुप्ता...
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तत्कालीन एडी बेसिक योगेंद्र पाल सिंह ने मामला पकड़ा तो उस समय तैनात डीएम रमारमण के आदेश पर जांच विजिलेंस को चली गई।
सालों लंबी जांच चली और 12 अगस्त को विजिलेंस के इंस्पेक्टर वीर सिंह नायक ने इस मामले की रिपोर्ट दर्ज कराई। जिसमें तत्कालीन बीएसए, कई एबीएसए, शिक्षा विभाग के बाबू और 16 फर्जी शिक्षक समेत 29 लोगों को आरोपी बनाया गया। इनमें से एक एबीएसए समेत चार की अब मौत हो चुकी है।1ऐसे गायब हुए दस्तावेज1सूत्रों की मानें तो मामला पकड़े जाने के बाद सारे स्कूलों से दस्तावेज एडी बेसिक के ऑफिस पहुंचे। वहां से बीएसए ऑफिस पहुंचे। मगर अब कहां हैं, इसका कुछ पता नहीं। मुकदमा दर्ज होने के बाद वर्ष 2013 से अब तक विजिलेंस यहां तैनात रहे विभिन्न बीएसए को नोटिस व सात बार उसका रिमाइंडर दे चुकी है, लेकिन इस मामले से जुड़े मूल दस्तावेज अब तक नहीं दिए। मामले के विवेचक इंस्पेक्टर दयाराम सिंह की मानें तो हर बार कोई न कोई कारण बताकर टाल दिया जाता है।
कार्रवाई की जद में एबीएसए व लिपिक
दस्तावेज न मिलने के चलते अब इस मामले में कई अन्य भी कार्रवाई की जद में हैं। इसमें पांच खंड के एबीएसए व लिपिक शामिल हैं।मुकदमे में आरोपी
मदनपाल कुशवाहा, तत्कालीन बीएसएदीपचंद्र प्रजापति, तत्कालीन बीएसए
सोहनलाल वर्मा, एबीएसए फरीदपुर
एससी दीक्षित, एबीएसए फरीदपुर
राधेश्याम रस्तोगी, सहायक अध्यापक बीएसए कार्यालय से संबद्ध
शाहिद खां, सहायक अध्यापक बीएसए कार्यालय से संबद्ध
अरुण कुमार सक्सेना, पटल सहायक
किशन स्वरूप सक्सेना, तत्कालीन प्रधान लिपिक बीएसए ऑफिस
ब्रजपाल सिंह, लिपिक बीएसए ऑफिस
इतरत अली, प्रधानाध्यापक प्रा.वि. केहरा, फतेहगंज पश्विमी
जंगबहादुर शर्मा, प्रधानाध्यापक प्रा.वि. चमरौआ, फतेहगंज पश्चिमी
श्यामसुंदर, प्रधानाध्यापक प्रा.वि. रंपुरा, फतेहगंज पश्चिमी
हरीप्रसाद, प्रधानाध्यापक प्रा.वि. धौरेरा, भुता
रघुनंदन प्रसाद, प्रधानाध्यापक प्रा.वि. सुकटिया, भुता
सत्यप्रकाश गंगवार, प्रधानाध्यापक प्रा.वि. कुरमुरी, भुता
रामस्वरूप गंगवार, प्रधानाध्यापक प्रा.वि. बड़रा कासिमपुर, भुता
अंजू गुप्ता...
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