जैसाकि आप सभी इन तथ्यों से अवगत है कि प्रतीक्षा सिंह जी की रिट पर
हाईकोर्ट से यह आर्डर पास हुआ है कि सभी व्हाइटनर यूज़र्स को 3 मई तक बाहर
किया जाये और उनको प्राप्त वेतन की रिकवरी की जाये।(यद्यपि यह सूचना सोशल
मीडिया पर आधारित है।)
अब यहां पर प्रश्न यह उठता है कि वे लोग जिन्होंने व्हाइटनर(सफेदा),ब्लेड, रबड़ एवम् अन्य साधनों का प्रयोग त्रुटिवश अपनी ओएमआर में किया है और आज प्राथमिक शिक्षक की नौकरी कर रहे हैं वह सभी लोग इस मामले को लेकर कितना संवेदनशील हैं।
1-क्या केवल चुप रहने से इस समस्या का समाधान हो जायेगा?
2-क्या हम सभी के चुप रहने से हमारी ओएमआर शीट पर लगा व्हाइटनर गायब हो जायेगा?
3-क्या हम सभी के शांत बैठे रहने से इस समस्या का समाधान हो जायेगा?
4-क्या हम सभी के शांत बैठे रहने से हम कोर्ट को सच से अवगत करा सकते हैं?
5-क्या ये कोर्ट के आदेश मात्र दिखावा हैं?
6- क्या हम सभी को अपना पक्ष कोर्ट में नही रखना चाहिए?
साथियों यह नितान्त ही चिंतन का विषय है कि जो अचयनित हैं वह मात्र इस आशा से याची बन रहे हैं कि हो सकता है कि उनको न्यायालय से नौकरी मिल जाये और दूसरी तरफ हम लोग हैं जो नौकरी कर रहे हैं लेकिन फिर भी इस मुद्दे पर शांत बैठे हैं जबकि हम सभी व्हाइटनर , ब्लेड और रबड़ आदि का प्रयोग किये बैठे हैं।
क्या इसी तरह केवल बैठे रहने से इस समस्या का इलाज हो जायेगा?
यदि किसी रोग का इलाज समय पर न किया जाये तो वह और भी भयंकर रूप धारण कर लेता है। उदाहरण- यदि किसी फोड़ा का इलाज़ न किया जाये तो वह नासूर बन जाता है। ठीक इसी प्रकार यदि हम लोगों ने समय रहते सफेदा, ब्लेड एवम् व्हाइटनर मुद्दे का उचित समाधान (इलाज़)नही किया तो भविष्य में इसके दूरगामी और भयंकर परिणाम हम लोगों को भुगतने पड़ सकते हैं।
चयनित साथियों (व्हाइटनर यूज़र्स) आप सभी एक बात हर हाल में समझ लें कि कोई भी विधि विशेषज्ञ और कोई भी नेता आपके लिए लड़ने नही आएगा क्योंकि अब इन नेताओं का एकमात्र उद्देश्य चन्दा खाना रह गया है। कोई नेता खरे साहब से इस मामले का निस्तारण करवा रहा था तो कोई नेता अपना अकाउंट नंबर जारी करके कोई भी वकील नही भेज रहा ।
खैर किसी की टांग खिंचाई करना मेरा उद्देश्य नही है। मेरा कहना सिर्फ इतना है कि मामले की नजाकत को आप सभी समझे और अपनी लड़ाई स्वयं लड़ने के लिए तैयार हो।
ध्यान रहे पहले हमारे खिलाफ केवल अकादमिक खेमा और सरकार थी ,लेकिन आज के परिदृश्य में हमारे सामने दुश्मन के रूप में अचयनित खेमा, अकादमिक खेमा, शिक्षा मित्र,बॉर्डर लाइन खेमा, सभी के समायोजन का खेमा, याचियों का खेमा एवम् चयनितों में छुपे हुए जयचन्द भी हमारे दुश्मन हैं। अतः अब हमें बहुत ही सतर्क रहने की आवश्यकता है क्योंकि अब विरोधियों की संख्या बहुत अधिक है और हमारी संख्या बहुत कम।
इसलिए अब चुपचाप बैठने से काम नही चलेगा। क्योंकि कोई भी रोग अगर छिपाकर रखा गया तो कुछ समय बाद वह अपना भयंकर रूप प्रस्तुत करता है।
इसलिए साथियों जाग जाओ और सत्य की लड़ाई में आप सभी मेरा सहयोग करें।
साथियों अभी यह उपयुक्त समय है कि हम सभी मिलकर दुश्मनों पर पूर्ण योग के साथ प्रहार करें और दुश्मन को नेस्तनाबूद कर दें।
आप सभी साथियों का सहयोग अपेक्षित है जिससे हम अपने पक्ष को मजबूती से न्यायालय में रख सकें। इसलिए साथियों आगे आओ और सभी मिलकर इस सत्य की लड़ाई को लड़ते हैं और दुश्मन को धूल चटा देते है।
आप सभी के सहयोग और स्नेह का आकांक्षी हूँ।
आप सभी की मंगल कामना के साथ
सधन्यवाद
आपका
पूर्णेश शुक्ल (महाकाल)
सहायक अध्यापक (कोर्ट के अंतरिम आदेशानुसार)
सीतापुर ।
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अब यहां पर प्रश्न यह उठता है कि वे लोग जिन्होंने व्हाइटनर(सफेदा),ब्लेड, रबड़ एवम् अन्य साधनों का प्रयोग त्रुटिवश अपनी ओएमआर में किया है और आज प्राथमिक शिक्षक की नौकरी कर रहे हैं वह सभी लोग इस मामले को लेकर कितना संवेदनशील हैं।
1-क्या केवल चुप रहने से इस समस्या का समाधान हो जायेगा?
2-क्या हम सभी के चुप रहने से हमारी ओएमआर शीट पर लगा व्हाइटनर गायब हो जायेगा?
3-क्या हम सभी के शांत बैठे रहने से इस समस्या का समाधान हो जायेगा?
4-क्या हम सभी के शांत बैठे रहने से हम कोर्ट को सच से अवगत करा सकते हैं?
5-क्या ये कोर्ट के आदेश मात्र दिखावा हैं?
6- क्या हम सभी को अपना पक्ष कोर्ट में नही रखना चाहिए?
साथियों यह नितान्त ही चिंतन का विषय है कि जो अचयनित हैं वह मात्र इस आशा से याची बन रहे हैं कि हो सकता है कि उनको न्यायालय से नौकरी मिल जाये और दूसरी तरफ हम लोग हैं जो नौकरी कर रहे हैं लेकिन फिर भी इस मुद्दे पर शांत बैठे हैं जबकि हम सभी व्हाइटनर , ब्लेड और रबड़ आदि का प्रयोग किये बैठे हैं।
क्या इसी तरह केवल बैठे रहने से इस समस्या का इलाज हो जायेगा?
यदि किसी रोग का इलाज समय पर न किया जाये तो वह और भी भयंकर रूप धारण कर लेता है। उदाहरण- यदि किसी फोड़ा का इलाज़ न किया जाये तो वह नासूर बन जाता है। ठीक इसी प्रकार यदि हम लोगों ने समय रहते सफेदा, ब्लेड एवम् व्हाइटनर मुद्दे का उचित समाधान (इलाज़)नही किया तो भविष्य में इसके दूरगामी और भयंकर परिणाम हम लोगों को भुगतने पड़ सकते हैं।
चयनित साथियों (व्हाइटनर यूज़र्स) आप सभी एक बात हर हाल में समझ लें कि कोई भी विधि विशेषज्ञ और कोई भी नेता आपके लिए लड़ने नही आएगा क्योंकि अब इन नेताओं का एकमात्र उद्देश्य चन्दा खाना रह गया है। कोई नेता खरे साहब से इस मामले का निस्तारण करवा रहा था तो कोई नेता अपना अकाउंट नंबर जारी करके कोई भी वकील नही भेज रहा ।
खैर किसी की टांग खिंचाई करना मेरा उद्देश्य नही है। मेरा कहना सिर्फ इतना है कि मामले की नजाकत को आप सभी समझे और अपनी लड़ाई स्वयं लड़ने के लिए तैयार हो।
ध्यान रहे पहले हमारे खिलाफ केवल अकादमिक खेमा और सरकार थी ,लेकिन आज के परिदृश्य में हमारे सामने दुश्मन के रूप में अचयनित खेमा, अकादमिक खेमा, शिक्षा मित्र,बॉर्डर लाइन खेमा, सभी के समायोजन का खेमा, याचियों का खेमा एवम् चयनितों में छुपे हुए जयचन्द भी हमारे दुश्मन हैं। अतः अब हमें बहुत ही सतर्क रहने की आवश्यकता है क्योंकि अब विरोधियों की संख्या बहुत अधिक है और हमारी संख्या बहुत कम।
इसलिए अब चुपचाप बैठने से काम नही चलेगा। क्योंकि कोई भी रोग अगर छिपाकर रखा गया तो कुछ समय बाद वह अपना भयंकर रूप प्रस्तुत करता है।
इसलिए साथियों जाग जाओ और सत्य की लड़ाई में आप सभी मेरा सहयोग करें।
साथियों अभी यह उपयुक्त समय है कि हम सभी मिलकर दुश्मनों पर पूर्ण योग के साथ प्रहार करें और दुश्मन को नेस्तनाबूद कर दें।
आप सभी साथियों का सहयोग अपेक्षित है जिससे हम अपने पक्ष को मजबूती से न्यायालय में रख सकें। इसलिए साथियों आगे आओ और सभी मिलकर इस सत्य की लड़ाई को लड़ते हैं और दुश्मन को धूल चटा देते है।
आप सभी के सहयोग और स्नेह का आकांक्षी हूँ।
आप सभी की मंगल कामना के साथ
सधन्यवाद
आपका
पूर्णेश शुक्ल (महाकाल)
सहायक अध्यापक (कोर्ट के अंतरिम आदेशानुसार)
सीतापुर ।
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