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आपके हाथ नहीं आएगी सातवें वेतन आयोग की बढ़ी हुई पूरी सैलेरी

आपके हाथ नहीं आएगी सातवें वेतन आयोग की बढ़ी हुई पूरी सैलेरी : सातवें वेतन आयोग के तहत वेतन में हुई बढ़ोतरी का 50 फीसदी हिस्सा पहले दो वर्षों में अनिवार्य रूप से बैंक कैपिटलाइजेशन बॉन्ड्स में करना होगा निवेश

नई दिल्ली। सरकार ने 1 जनवरी 2016 से सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू कर दिया है लेकिन अब सरकार एक अगल स्कीम के प्रस्ताव पर विचार कर रही है। अगर यह प्रस्ताव पारित हुआ तो सातवें वेतन आयोग के तहत वेतन में हुई बढ़ोतरी का 50 फीसदी हिस्सा पहले दो वर्षों में अनिवार्य रूप से बैंक कैपिटलाइजेशन बॉन्ड्स में निवेश करना होगा।
पेंशनभोगियों को कम वेतन पाने वालों के लिए राहत
हालांकि यह नियम केवल ज्यादा इनकम पाने वाले सरकारी कर्मचारियों के लिए ही होगा और 5200 से 20200 रुपए के सैलेरी ब्रैकेट में आने वालों व पेंशनभोगिरयों को यह छूट होगी कि वे चाहें तो इस स्कीम में निवेश करें और चाहें तो न करें। बॉन्ड की रकम का इस्तेमाल बैंकों को पूंजी मुहैया कराने में होगा और इस तरह सरकारी खजाने पर अतिरिक्त बोझ नहीं आएगा।
मिलेगी टैक्स में छूट
ऐसा होने से ऊंचा वेतन पाने वालों के हाथ कम कैश आएगा, लेकिन इन बॉन्ड़स पर उन्हें इनकम टैक्स छूट मिलेगी। जो लोग टैक्स बचाने के लिए वेतन बढ़ोतरी का 50 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सा निवेश करना चाहेंगे, उन्हें ऐसा करने की इजाजत होगी।
बॉन्ड से होगा यह फायदा
वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक बैंकों को बॉन्ड की रकम एक स्पेशल बैंक कैपिटलाइजेशन फंड के जरिए दी जाएगी। इस रकम का निवेश बैंकों की ओर से जारी परपेचुअल नॉन-रिडीमेबल प्रिफरेंस शेयरों में किया जाएगा। बैंक 5.1 प्रतिशत लाभांश देंगे और उस पर लाभांश वितरण टैक्स ना लेने का प्रस्ताव भी है। फंड सरकारी कर्मचारियों को 5 प्रतिशत ब्याज देगा और एडमिनिस्ट्रेटिव चार्ज के रूप में 0.1 प्रतिशत अपने पास रखेगा। आधिकारी ने बताया कि यह ब्याज भी कर्मचारियों के लिए टैक्स फ्री होगा। सरकार 8, 9,10 और 11 वर्षों बाद कर्मचारियों को रमक का भुगतान करेगी।

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