इलाहाबाद : अशासकीय सहायता प्राप्त कॉलेजों में एलटी ग्रेड हिंदी शिक्षकों
की नियुक्ति पुराने पैटर्न पर ही होने के आसार हैं। इसकी अर्हता बदलने का
मामला माध्यमिक शिक्षा परिषद को उल्टा पड़ गया है, क्योंकि जिन
युवाओं को लाभ दिया गया उन्होंने आगे आकर खुशी नहीं जताई, बल्कि जो शिक्षक बनने की रेस से बाहर हुए उन्होंने आंदोलन शुरू कर दिया।
इससे शासन को प्रस्ताव भेजा गया है कि वह अर्हता बदलने के निर्णय पर पुनर्विचार करे। माना जा रहा है कि इसी सप्ताह परिषद को निर्देश मिल जाएगा। माना जा रहा है कि पुराने पैटर्न पर ही नियुक्ति होगी।
प्रदेश के राजकीय एवं अशासकीय कालेजों में एलटी ग्रेड हिंदी शिक्षक बनने की वर्षो से अर्हता अलग-अलग रही है। अशासकीय सहायता प्राप्त कालेजों में हिंदी व संस्कृत विषय से स्नातक करने वालों को मौका मिलता था, वहीं राजकीय कालेजों में इंटरमीडिएट में संस्कृत व स्नातक हिंदी विषय से करने वाले अर्ह होते थे। शासन के निर्देश पर दोनों की अर्हता पिछले महीने समान कर दी गई। यानी इंटरमीडिएट में संस्कृत और हिंदी के साथ स्नातक करने वाले ही आगे से हिंदी के एलटी ग्रेड शिक्षक बनेंगे। माध्यमिक शिक्षा परिषद ने अर्हता बदलने पर मुहर लगाने के बाद उसका राजकीय मुद्रणालय से प्रकाशन भी करा दिया। इससे हिंदी शिक्षक बनने को आतुर युवाओं का एक समूह आहत है। 1इस बदलाव के विरोध में माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड उप्र से लेकर माध्यमिक शिक्षा परिषद एवं शिक्षा निदेशक के कैंप कार्यालय लखनऊ तक में प्रदर्शन हुए।
चयन बोर्ड, परिषद व कैंप कार्यालय के अफसरों ने शासन को इस घटनाक्रम से अवगत कराया, तब तक नए गजट को ज्यों का त्यों फाइल में कैद है। इस मामले में परिषद ने दो बार शासन को पत्र भेजा है, लेकिन शासन की ओर से कोई जवाब नहीं आया है। माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड ने मंगलवार को 2016 की नई नियुक्तियां 10 मई तक जारी करने का निर्णय किया है। इससे परिषद ने भी तेजी दिखाई है और शासन तक इस प्रकरण को पहुंचाया है। माना जा रहा है कि इसी हफ्ते शासन से निर्देश आ जाएगा, आसार हैं कि नियुक्ति पुराने पैटर्न पर ही होगी।
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युवाओं को लाभ दिया गया उन्होंने आगे आकर खुशी नहीं जताई, बल्कि जो शिक्षक बनने की रेस से बाहर हुए उन्होंने आंदोलन शुरू कर दिया।
इससे शासन को प्रस्ताव भेजा गया है कि वह अर्हता बदलने के निर्णय पर पुनर्विचार करे। माना जा रहा है कि इसी सप्ताह परिषद को निर्देश मिल जाएगा। माना जा रहा है कि पुराने पैटर्न पर ही नियुक्ति होगी।
प्रदेश के राजकीय एवं अशासकीय कालेजों में एलटी ग्रेड हिंदी शिक्षक बनने की वर्षो से अर्हता अलग-अलग रही है। अशासकीय सहायता प्राप्त कालेजों में हिंदी व संस्कृत विषय से स्नातक करने वालों को मौका मिलता था, वहीं राजकीय कालेजों में इंटरमीडिएट में संस्कृत व स्नातक हिंदी विषय से करने वाले अर्ह होते थे। शासन के निर्देश पर दोनों की अर्हता पिछले महीने समान कर दी गई। यानी इंटरमीडिएट में संस्कृत और हिंदी के साथ स्नातक करने वाले ही आगे से हिंदी के एलटी ग्रेड शिक्षक बनेंगे। माध्यमिक शिक्षा परिषद ने अर्हता बदलने पर मुहर लगाने के बाद उसका राजकीय मुद्रणालय से प्रकाशन भी करा दिया। इससे हिंदी शिक्षक बनने को आतुर युवाओं का एक समूह आहत है। 1इस बदलाव के विरोध में माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड उप्र से लेकर माध्यमिक शिक्षा परिषद एवं शिक्षा निदेशक के कैंप कार्यालय लखनऊ तक में प्रदर्शन हुए।
चयन बोर्ड, परिषद व कैंप कार्यालय के अफसरों ने शासन को इस घटनाक्रम से अवगत कराया, तब तक नए गजट को ज्यों का त्यों फाइल में कैद है। इस मामले में परिषद ने दो बार शासन को पत्र भेजा है, लेकिन शासन की ओर से कोई जवाब नहीं आया है। माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड ने मंगलवार को 2016 की नई नियुक्तियां 10 मई तक जारी करने का निर्णय किया है। इससे परिषद ने भी तेजी दिखाई है और शासन तक इस प्रकरण को पहुंचाया है। माना जा रहा है कि इसी हफ्ते शासन से निर्देश आ जाएगा, आसार हैं कि नियुक्ति पुराने पैटर्न पर ही होगी।
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