इलाहाबाद : उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के लिए परीक्षा पहले भी समस्या बन
चुकी है। इससे पहले 2013 का रिजल्ट भी आयोग को संशोधित करना पड़ा था। तब
पंद्रह सवालों के जवाब पर उंगलियां उठी थीं। इस बार
हालांकि दो ही सवाल गलत पाए गए हैं लेकिन आयोग के लिए सिरदर्द ज्यादा है। यदि रिजल्ट संशोधित हुआ तो इसका असर मुख्य परीक्षा और साक्षात्कार पर भी पड़ सकता है।
आयोग परीक्षा की प्रक्रिया पूरी कर चुका है। इसके साक्षात्कार मंगलवार को ही समाप्त हुए हैं और बस रिजल्ट घोषित करना बाकी रह गया था। इसकी मुख्य परीक्षा में 605 अभ्यर्थी साक्षात्कार के लिए सफल घोषित हुए थे। परीक्षा 197 पदों के लिए आयोजित हुई थी। प्रारंभिक परीक्षा के बाद ही अभ्यर्थियों ने प्रश्नों पर आपत्तियां दर्ज करानी शुरू कर दी थी जिसमें आयोग के विशेषज्ञ पैनल ने विचार भी किया था।
इससे पहले 2013 की प्रारंभिक परीक्षा में पहले दस सवालों पर आपत्तियां थीं लेकिन बाद में पंद्रह सवालों को गलत मानते हुए रिजल्ट संशोधित करने के लिए कहा गया था। उस समय मुख्य परीक्षा का पेंच नहीं था इसलिए आयोग को परेशानी भी नहीं हुई थी। यह भी विडंबना ही है कि -2011 की परीक्षा का रिजल्ट भी संशोधित करना पड़ा था। हालांकि यह रिजल्ट त्रिस्तरीय आरक्षण की वजह से संशोधित हुआ था।
खुले हैं सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे : हाईकोर्ट के आदेश की प्रति अभी आयोग को प्राप्त नहीं हुई है, हालांकि इसके विकल्पों पर विचार शुरू हो गया है।
इस बात की भी संभावना है कि कोर्ट के फैसले के खिलाफ आयोग सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाए। सचिव एसके सिंह का कहना है कि आदेश की प्रति आने के बाद उसका विधिक परीक्षण कराकर आयोग की बैठक में रखा जाएगा। अंतिम फैसला आयोग ही करेगा।
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हालांकि दो ही सवाल गलत पाए गए हैं लेकिन आयोग के लिए सिरदर्द ज्यादा है। यदि रिजल्ट संशोधित हुआ तो इसका असर मुख्य परीक्षा और साक्षात्कार पर भी पड़ सकता है।
आयोग परीक्षा की प्रक्रिया पूरी कर चुका है। इसके साक्षात्कार मंगलवार को ही समाप्त हुए हैं और बस रिजल्ट घोषित करना बाकी रह गया था। इसकी मुख्य परीक्षा में 605 अभ्यर्थी साक्षात्कार के लिए सफल घोषित हुए थे। परीक्षा 197 पदों के लिए आयोजित हुई थी। प्रारंभिक परीक्षा के बाद ही अभ्यर्थियों ने प्रश्नों पर आपत्तियां दर्ज करानी शुरू कर दी थी जिसमें आयोग के विशेषज्ञ पैनल ने विचार भी किया था।
इससे पहले 2013 की प्रारंभिक परीक्षा में पहले दस सवालों पर आपत्तियां थीं लेकिन बाद में पंद्रह सवालों को गलत मानते हुए रिजल्ट संशोधित करने के लिए कहा गया था। उस समय मुख्य परीक्षा का पेंच नहीं था इसलिए आयोग को परेशानी भी नहीं हुई थी। यह भी विडंबना ही है कि -2011 की परीक्षा का रिजल्ट भी संशोधित करना पड़ा था। हालांकि यह रिजल्ट त्रिस्तरीय आरक्षण की वजह से संशोधित हुआ था।
खुले हैं सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे : हाईकोर्ट के आदेश की प्रति अभी आयोग को प्राप्त नहीं हुई है, हालांकि इसके विकल्पों पर विचार शुरू हो गया है।
इस बात की भी संभावना है कि कोर्ट के फैसले के खिलाफ आयोग सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाए। सचिव एसके सिंह का कहना है कि आदेश की प्रति आने के बाद उसका विधिक परीक्षण कराकर आयोग की बैठक में रखा जाएगा। अंतिम फैसला आयोग ही करेगा।
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