शिक्षक शिक्षिकाओं के विनियमितीकरण का रास्ता साफ , उच्च न्यायालय से निकला शिक्षक हित का फैसला : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News

प्रदेश के सहायता प्राप्त डिग्री कालेजों में निश्चित मानदेय पर 18 साल से पढ़ा रहे शिक्षक शिक्षिकाओं के विनियमितीकरण का रास्ता साफ हो गया है। बुधवार को उच्च न्यायालय के एक फैसले से शिक्षकों को यह बड़ी
खुशी मिली है।
1998 में डिग्री कालेजों में शिक्षकों की कमी दूर करने के लिए तत्कालीन सरकार ने रिक्त पदों पर यूजीसी से तय अर्हता वाले मानदेय शिक्षकों की नियुक्तियां की थीं। बाद में सपा सरकार ने उन्हें विनियमित करने का फैसला किया परंतु चुनाव से पहले प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी। इसके बाद आई बसपा सरकार ने इस मामले को चुनावी नजर से देखा और विनियमितीकरण अटक गया। सपा सरकार के दोबारा लौटने पर शिक्षकों की मांग पर इस बाबत अध्यादेश जारी किया परंतु विरोधी अभ्यर्थियों ने उसको उच्च न्यायालय में चुनौती दी। जितेंद्र कुमार बनाम यूपी सरकार की यह याचिका लंबे समय से न्यायालय में विचाराधीन थी। उच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश डॉ. डीवाई चंद्रचूड़ ने मामले पर सुनवाई करते हुए जितेंद्र कुमार की याचिका खारिज कर दी। याचिका खारिज होने से अध्यादेश, जो कि अब कानून का रूप ले चुका है, फिर से प्रभावी हो गया है जिसके चलते शिक्षकों का विनियमित करने का रास्ता साफ हो गया है। फुपुक्टा एवं कूटा महामंत्री डॉ. विवेक द्विवेदी ने बताया कि मानदेय पर कार्य कर रहे कई शिक्षक सेवानिवृत्त हो चुके हैं तो कई दो से तीन साल में सेवानिवृत्त होने वाले हैं।
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