मानदेय के सम्बन्ध गणेश दीक्षित महोदय के विचार : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News

हाई कोर्ट इलाहाबाद के जस्टिस बी0 अमित स्थलेकर की बेंच ने अद्यतन मानदेय के सम्बन्ध में रिट संख्या 15321/2016, संतोष प्रजापति एवम् अन्य बनाम उत्तर प्रदेश सरकार बनाम अन्य पर जो आदेश जारी किया है
उसके सम्बन्ध में कल गणेश दीक्षित महोदय के विचार मैंने पढ़े,,,श्रीमान जी लिखते हैं की हड़बड़ी और जल्दीबाजी में गोलमोल आदेश आया है,,,मैं सीधा प्रश्न गणेश दीक्षित से पूछता हूँ की महाशय आप द्वारा शिक्षामंत्री जी की पैलग्गी पिछले एक वर्ष से की जा रही है लेकिन उन्होंने ऐसा 'गोलमोल' आदेश दे दिया होता तो हमें कोर्ट जाने की नौबत ना आती और अब तक अद्यतन मानदेय भी मिल चुका होता,अगर यह प्रथम दृष्ट्या हमारे मौलिक अधिकारों का मामला था तो आज तक आपकी गुहार पर मंत्री जी ने आपको आपका मौलिक अधिकार क्यों नहीं दिया,,,दूसरी बात इस रिट के लिए साहसिक कदम उठाने वाले तीनों
Sponsored links : लोगों ने चवन्नी तक किसी और से नहीं माँगी और खुद सार्वजनिक हित में कदम उठाया तो उसे दो शब्द प्रोत्साहन के बोलने की बजाय आपको अपनी नेतागिरी कमतर महसूस होती लगने लगी और आप विषवमन करने लगे,,,अरे महाशय यह तो सोचा होता की इससे बेहतर ऑर्डर भला सिंगल बेंच से हो भी क्या सकता था वह भी पहली हियरिंग में,,,जिस एडवोकेट को आप थोड़ा कम लेवल का बताना चाह रहे हो तो आपको इस बढ़ती उम्र में याद दिलाये देता हूँ की लखनऊ खण्डपीठ में जब कपिलदेव यादव ने टेट के खिलाफ साधना मिश्रा के नाम से एक गुप्त रिट डाली थी जिसका पता एकदम अंतिम समय में चला था और विपक्षी एडवोकेट लखनऊ कोर्ट में बादशाहत का नाम था कालिया साहब का, उस समय गणेश जी आप खुद दो लाख रूपये एडवोकेट जे0एन0 माथुर के नाम पर फूँकना चाहते थे जबकि हमें पता था की फर्स्ट डेट पर सिर्फ काउंटर कॉल हो सकता था और कुछ नहीं,,,आपने जनता को भय दिखाकर लूटना चाहा लेकिन जनता समझदार निकली और उसने हमपर भरोसा किया,फलस्वरूप हमारे उसी एडवोकेट ने हमारी पुकार पर रातोंरात इलाहाबाद से लखनऊ पहुँचकर सुबह आपके तथाकथित एडवोकेट कालिया साहेब की धज्जियाँ उड़ा दी थीं और वह भी मात्र 35 हजार में,,,गणेश दीक्षित महोदय जनता कल भी समझदार थी और आज भी है,अतः आपको बिना चढ़ावा चढ़ाये इस आदेश को शिरोधार्य कर रही है,बेहतर होगा की अब बदले जमाने के संग चलना सीखते हुए अपनी नेतागिरी जेब में रखो और सामूहिक हित की बात सोचो,वह जमाना गया जब हर काम में आपको अपना हिस्सा चाहिए होता था, अब भी समय है सम्भल जाओ अन्यथा एक वह भी समय आएगा जब लोग कहेंगे 'कौन गणेश दीक्षित ?'
Sponsored links :


Sponsored links :
ताज़ा खबरें - प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Breaking News: सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC