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शिक्षामित्रों और 72825 वालों के कोर्ट केसों के कुछ मुद्दे जो हल्के में न लें : पढ़ें

1- जिनका 30-11-11 के विज्ञापन की शर्तों पर 72825 में चयन हो चुका है उन्हें इस केस में टेंशन लेने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि सारी कायनात मिल जाए तो भी उनका कोई  बाल बांका नही कर सकता बशर्ते कि आप लोग यह समझकर ईमानदारी से शिक्षण कार्य करते रहो कि जो नौकरी आपको मिली है वो माता-पिता के आशीर्वाद,परिजनों या मित्रों की शुभकामनाओं से नहीं बल्कि ईश्वर की कृपा से मिली है ......
2-जिन अचयनितों को  Adhoc पर नियुक्ति नहीं मिली है वो अपनी-अपनी याचिकाओं की पैरवी करने वालों पर आँख बंद करके भरोसा करें लेकिन सिर्फ एक ही आँख बंद करें क्योंकि यह मानव की दुर्बलता है कि संकट आने पर उसे सिर्फ अपने ही हितों की रक्षा की चिंता रह जाती है ,,,,,

3-जिन्हें adhoc पर नियुक्ति मिली है उन्हें कपिलदेव यादव का  धन्यवाद देना चाहिए क्योंकि Adhoc पर नियुक्ति का आदेश उसी के वकील की देन है .....

4-समायोजित शिक्षामित्रों को यह सोचकर खुश रहना चाहिए कि भले ही वो सुप्रीम कोर्ट द्वारा बाहर कर दिए जाएँ लेकिन अपात्र होते हुए भी उन्होंने सरकार से इतनी  रकम प्राप्त कर ली है जितनी प्राप्त करने के लिए उन्हें सारी जिंदगी शिक्षामित्र के रूप में बितानी होती ,,,,,,

5- जिन शिक्षामित्रों को हाईकोर्ट के उनको निकालने के आर्डर से दुःख हुआ है उन्हें Himanshu Rana को गरियाना चाहिए क्योंकि यदि राणा का वकील सुप्रीम कोर्ट में non tet समायोजित sm का मुद्दा ना उठाता तो हाईकोर्ट उनका केस उसी तरह लटकाए रखता जैसे जूनियर वाला लटकाए हुए है ....

6-यदि sm को किसी के प्रति कृतज्ञता प्रकट करनी हो तो एस के पाठक के चरण छूने चाहिए क्योंकि sm की ट्रेनिंग को बचाने का श्रेय श्री अशोक खरे को ही जाता है वरना जिस ट्रेनिंग को इंटर पास लोग कर सकते हों वो बीटीसी के समतुल्य कैसे मानी जा सकती है .... ?
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