72825 केस अंतिम दौर , कानूनी इल्म की रोशनी में केवल इतना सोचे कि ............

कानूनी इल्म की रोशनी में केवल इतना सोचे कि ............
अगर नियुक्ति पत्र मिलना, वेतन मिलना, अवशेष मिलना ही हमारी नौकरी की जमानत ( गारंटी ) है तो शिक्षामित्रों को हमसे पहले नियुक्ति पत्र मिले , वेतन मिला ,अवशेष मिला |

15 वां संशोधन हाई कोर्ट से रद्द होने पर भी तमाम भर्ती हुयी आज उनको भी नियुक्ति पत्र मिल चुके ,वेतन मिल रहा ,अवशेष मिल रहा l
कुछ याचियों को भी भागते भूत की लंगोटी हाथ लगी जो आजकल अपना प्रशिक्षण ले रहे हैं और टेट के अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त मालामाल नेता बनकर बाकी लोगों को भी नौकरी दिलाने की जमानत दे चुके हैं l
मेरे आकाओं जब दीपक मिश्रा जी सबको नौकरी दे ही रहे हैं तो फिर किसी को भी वकील की ज़रुरत ही नहीं l सरकार भी नौकरी देना चाहती है कोर्ट भी नौकरी देना चाहती है तो फिर बवाल कैसा ??? सब लोग गुमराहमूर्ति की तरह अफ़ीम चाटते हुए सोशल मीडिया पर आखरी फैसला देते रहो और लूटमूर्ति को देहली में याचियों के लिए वकील कराने की दलाली खाते रहने दो l
आज के हालात बद से बदतर बनाने वाले वो लोग हैं जिन्होंने अपनी पैसों की हवस पूरी करने के चक्कर में लोगों का इतना विश्वास तोड़ा कि आज वो किसी भी प्रकार जुड़ नहीं रहा और शायद इसीलिए मैं शुरू से एक बात कहता रहा कि जब तक 72825 का केस अंतिम दौर तक पहुंचेगा l टेट के तथाकथित नेता लोगों का विश्वास इस कदर तोड़ चुके होंगे कि ये लोग कटोरा लेकर भी निकलेंगें तो कोई भीख भी न देगा ,आज कुछ ऐसा ही सच होता नज़र आ रहा है l
अकादमिक वालों के वकील राकेश द्विवेदी जिसके कारण आज हम सब इस केस में उलझे हुए हैं उसके पास इस केस में करने के लिए कुछ नहीं था फिर भी वह याचियों को नियुक्ति दिलवा दिया और अगर टेट वालों के अफीमबाज़ विधि विशेषज्ञ यूँ ही सोशल मीडिया पर अपनी अदालत के एपिसोड दिखाते रहे तो वो दिन दूर नहीं जब राकेश द्विवेदी जैसा वकील इस केस में कोई नया मोड़ न ले आये और मान भी लो अफीमचियों ने 72825 का केस सोशल मीडिया पर निस्तारित कर भी दिया तो हम जैसे अज्ञानियों के लिए सुप्रीम कोर्ट से भी निस्तारित हो जाए , इसमे हर्ज़ ही क्या है ??
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