अमर उजाला ब्यूरो, इलाहाबाद प्राथमिक विद्यालयों में 16448 सहायक अध्यापकों की नियुक्ति हाईकोर्ट के निर्णय के अधीन रहेगी। चयनित अभ्यर्थियों को इस शर्त के साथ नियुक्ति पत्र दिया जाएगा कि उनका चयन हाईकोर्ट में लंबित याचिका के निर्णय पर निर्भर करेगा।
भर्ती प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति मनोज मिश्र ने प्रदेश सरकार और बेसिक शिक्षा विभाग को निर्देश दिया है कि नियुक्तिपत्र जारी करते समय इस शर्त का अनिवार्य रूप से उल्लेख किया जाए।
याचिका में तीन जिलों के अभ्यर्थियों को सभी जिलों से आवेदन करने की छूट देने के आदेश को चुनौती दी गई है। याची राहुल श्रीवास्तव का पक्ष रखते हुए अधिवक्ता सीमांत सिंह ने कहा कि 16448 पदों पर भर्ती केलिए 16 जून 2016 को शासनादेश जारी हुआ। इसके बाद 25 जून को सचिव बेसिक शिक्षा परिषद ने एक गाइड लाइन जारी की कि उर्दू बीटीसी और विशिष्ट बीटीसी के अभ्यर्थी उन्हीं जिलों से आवेदन करेंगे जहां से उन्होंने प्रशिक्षण प्राप्त किया है, जबकि हापुड़, बागपत और जालौन के अभ्यर्थियों तथा डीएलएड, चार वर्षीय विशेष डिप्लोमा, बीएलएड के अभ्यर्थियों को प्रथम वरीयता देते हुए सभी जिलों से आवेदन करने की छूट दी गई है।
अधिवक्ता का कहना था कि ऐसा करने से अधिक रिक्तियों वाले जिलों में अधिकांश सीटें ऐसे लोगों को मिल जाएंगी जिन्होंने कई जिलों से आवेदन किया है जबकि उसी जिले में प्रशिक्षण पाने वाले अभ्यर्थी चयन से बाहर हो जाएंगे। दलील दी गई कि सचिव की गाइड लाइन सहायक अध्यापक भर्ती नियमावली 1981 के विपरीत है। क्योंकि नियमावली में प्रावधान है कि अभ्यर्थी जिस जिले से प्रशिक्षण प्राप्त करेगा उसी जिले से आवेदन कर सकेगा।
याचिका में मांग की गई है कि या तो सभी अभ्यर्थियों को सभी जिलों से आवेदन की छूट दी जाए या सभी को मात्र प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले जिले से आवेदन की छूट हो। कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई के प्रश्न तय करते हुए कहा है कि क्या भर्ती नियमावली के अनुसार सिर्फ प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले जिले से ही आवेदन किया जा सकता है। यह भी बिंदु तय किया है कि क्या सचिव द्वारा जारी गाइड लाइन से समान अवसर पाने के अधिकार (अनुच्छेद 14) का उल्लंघन होता है। इन दोनों बिंदुओं पर 19 सितंबर को सुनवाई होेगी। प्रदेश सरकार से इस पर जवाब दाखिल करने को कहा है।
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ख़बरें अब तक - 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती - Today's Headlines
भर्ती प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति मनोज मिश्र ने प्रदेश सरकार और बेसिक शिक्षा विभाग को निर्देश दिया है कि नियुक्तिपत्र जारी करते समय इस शर्त का अनिवार्य रूप से उल्लेख किया जाए।
याचिका में तीन जिलों के अभ्यर्थियों को सभी जिलों से आवेदन करने की छूट देने के आदेश को चुनौती दी गई है। याची राहुल श्रीवास्तव का पक्ष रखते हुए अधिवक्ता सीमांत सिंह ने कहा कि 16448 पदों पर भर्ती केलिए 16 जून 2016 को शासनादेश जारी हुआ। इसके बाद 25 जून को सचिव बेसिक शिक्षा परिषद ने एक गाइड लाइन जारी की कि उर्दू बीटीसी और विशिष्ट बीटीसी के अभ्यर्थी उन्हीं जिलों से आवेदन करेंगे जहां से उन्होंने प्रशिक्षण प्राप्त किया है, जबकि हापुड़, बागपत और जालौन के अभ्यर्थियों तथा डीएलएड, चार वर्षीय विशेष डिप्लोमा, बीएलएड के अभ्यर्थियों को प्रथम वरीयता देते हुए सभी जिलों से आवेदन करने की छूट दी गई है।
अधिवक्ता का कहना था कि ऐसा करने से अधिक रिक्तियों वाले जिलों में अधिकांश सीटें ऐसे लोगों को मिल जाएंगी जिन्होंने कई जिलों से आवेदन किया है जबकि उसी जिले में प्रशिक्षण पाने वाले अभ्यर्थी चयन से बाहर हो जाएंगे। दलील दी गई कि सचिव की गाइड लाइन सहायक अध्यापक भर्ती नियमावली 1981 के विपरीत है। क्योंकि नियमावली में प्रावधान है कि अभ्यर्थी जिस जिले से प्रशिक्षण प्राप्त करेगा उसी जिले से आवेदन कर सकेगा।
याचिका में मांग की गई है कि या तो सभी अभ्यर्थियों को सभी जिलों से आवेदन की छूट दी जाए या सभी को मात्र प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले जिले से आवेदन की छूट हो। कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई के प्रश्न तय करते हुए कहा है कि क्या भर्ती नियमावली के अनुसार सिर्फ प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले जिले से ही आवेदन किया जा सकता है। यह भी बिंदु तय किया है कि क्या सचिव द्वारा जारी गाइड लाइन से समान अवसर पाने के अधिकार (अनुच्छेद 14) का उल्लंघन होता है। इन दोनों बिंदुओं पर 19 सितंबर को सुनवाई होेगी। प्रदेश सरकार से इस पर जवाब दाखिल करने को कहा है।
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