टीईटी अंकों को वेटेज देना है या नहीं , तय करने का अधिकार राज्य सरकार के पास : सुप्रीम कोर्ट

यूपी के तकरीबन एक लाख सरकारी शिक्षकों की नौकरी से संकट टलने के आसार हैं। राजस्थान के एक मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले से एकेडमिक मेरिट के आधार पर प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में नियुक्त शिक्षकों ने राहत की सांस ली है।

18 अक्तूबर के एक आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि शिक्षक भर्ती के लिए टीईटी अंकों को वेटेज देना है या नहीं या फिर कितना वेटेज देना यह तय करने का अधिकार राज्य सरकार के पास है। इससे साफ है कि टीईटी की अनिवार्यता तो रहेगी लेकिन वेटेज का मसला नौकरी के लिए खतरा नहीं है।
पांच साल बाद गांव से शहर आएंगे शिक्षक
इससे उन तकरीबन एक लाख शिक्षकों को राहत मिली है जो पिछले चार सालों के दौरान बेसिक शिक्षा परिषद के उच्च प्राथमिक स्कूलों में 29,334 के अलावा प्राइमरी स्कूलों की कई भर्तियों में एकेडमिक मेरिट के आधार पर नियुक्त हुए हैं।
दरअसल टीईटी 2011 में धांधली के आरोपों के बीच सपा सरकार ने 72,825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती एकेडमिक मेरिट के आधार पर किए जाने के लिए दिसंबर 2012 में विज्ञापन जारी किया थ। हालांकि हाईकोर्ट ने एकेडमिक की बजाय टीईटी मेरिट पर भर्ती के निर्देश दिए।
सुप्रीम कोर्ट ने भी हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा। इस बीच कुछ अभ्यर्थियों ने 72,825 प्रशिक्षु शिक्षक भर्ती के अलावा अन्य सभी भर्तियां भी टीईटी मेरिट पर करने के लिए याचिका कर दी। यह मामला फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है।
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