राहुल विशेष का सभी को नमस्कार, 9 जनवरी 2016 को कोर्ट नम्वर 2 पे केस नम्बर 4 पे जितेंद्र सिंह सेंगर कि wp पे सुनवाई जज दीपक मिश्रा जी और भनुमति कि बेंच पे 10 बजकर 40 मिनट पे शुरू हुई।
इसके बाद शाही जी के बहुपरिक्षित वकील हरीश साल्वे जी अपनी लय के साथ उतर आये और अपनी बात को बेहतर तरीके से रखा।
कहा क़ि मयलॉर्ड ट्रेनिंग वाला केस सुप्रीम केस सुन चुका है और उसी के आदेशानुसार हाइकोर्ट में सुनवाई हो चुकी है और ट्रेनिंग वैध है इसका आदेश कोर्ट कर चुका है।ये लोग कोर्ट का समय बर्बाद कर रहे है इसपे जज महोदय नाराज हुए।
आज आनंद नंदन कि बोलती नहीं निकली जो सोचनीय प्रश्न है ।
जो हिमांशु राणा खुद को जज समझता था आज उसके वकील का चेहरा देखने लायक था।
मामले को 22 में टैग कर दिया जज महोदय ने।
विरोधी का कोई लोकस नहीं ये बात समझाने के लिए शिक्षामित्रो को 21 नवंबर, 7 दिसम्बर और 9 जनवरी तीन डेट लगी ।
Ncte के रूल के अनुसार 1 से 5 तक केवल दो वर्षीय btc अनिवार्य है तो बीएड वालो का हित कैसे प्रभावित हो रहा है?
मात्र ये बात सरकारी वकील ना शिक्षामित्रो के वकील नहीं समझा पाये।
ये बहुत बड़ा सोचनीय प्रश्न है।
पहली बार शिक्षामित्रो ने बुद्धिमानी वाला काम किया मतलब बिना प्रोपोगंडा के साल्वे को लाये नहीं आजतक वकील सोसल मिडिया पे ही होते थे ना कि कोर्ट के अंदर ।
हाइकोर्ट से लेके सुप्रीम कोर्ट तक सरकारी वकील और शिक्षामित्रो के वकील जज को ये नहीं बता पाये कि शिक्षामित्र इंटर नहीं बल्कि btc पास है किंतु विरोधी ने जितेंद्र सिंह सेंगर कि wp के जरिये जज महोदय को ये बता दिया कि शिक्षामित्र इंटर नहीं बल्कि btc है और टेट भी पास है।
मतलब जिस योग्यता पे बीएड वाले उछल कूद मचाया करते है उससे कही बेहतर योग्यता शिक्षामित्रो के पास है और 1 से 5 तक केवल btc और शिक्षामित्र ही अर्ह है ना क़ि बीएड वाले।
बीएड वाले कक्षा 6 के ऊपर के लिए अर्ह है।
आज बहुत लोग इस सदमे से नहीं उबर पा रहे है क़ि साल्वे जी को शाही जी कैसे ले आये तो उसके पीछे भी राज है ।
क्योकि शाही जी मझा हुआ खिलाड़ी है ।भले ही गोमती किनारे धरने के कारण शिक्षामित्रो कि नियमावली कमजोर हुई किन्तु ये भी पता है कि अगर ट्रेनिंग पे कोई आंच आयी तो शिक्षामित्र समायोजित और सीधी भर्ती तो दूर की बात संविदा कर्मी के रूप में भी काम नहीं कर सकते ।इसलिए शाही जी ये कभी नहीं चाहेंगे क़ि ट्रेनिंग पे कोई खतरा आये।
कुल मिला के 22 को घमाशाम के लिए मंच तैयार हो चुका है।
अभी तक खूब लापरवाही हुई शिक्षामित्रो कि तरफ किन्तु अगर 22 को हुई तो उसके लिए खुद को तैयार रखना होगा।
आज कि डेट में सबसे बड़ी बात ये रही क़ि टेट पास शिक्षामित्रो और चयनित सीधी भर्ती कि तरफ से कोई भी वकील ना होना सोचनीय है।
साल्वे जी को शाही जी लाये ,जो आजतक खुद टेट का विरोध करते रहे है वो आज इनको बचाने के लिए कभी सिंघवी तो कभी साल्वे को ला रहे है ।
अभी समय है और 22 को बेहतर तैयारी के साथ टेट पास शिक्षामित्रो को सिंघवी और चयनित सीधी भर्ती वाले शिक्षामित्रो को राजीव धवन को लाना होगा अगर केस को जीतना हो नहीं खूब अलग अलग गुट बाजी करते रहो।
टेट पास शिक्षामित्रो कि जितनी भी टीमे है चाहे देवीलाल ,सलमान आरफी ,बलिया टीम या विशेष सक्रीय टीम सभी को मिल के 22 के लिए बेहतर करना होगा क्योंकि इसके अलावा दुसरा विकल्प नहीं है और 15000और 16448 में सभी चयनित शिक्षामित्रो को एक वकील करना होगा नहीं फिर जो होगा सोच नहीं पाओगे।
अत्यधिक विधिक जानकारों के चक्कर में ना पड़े जो बताया करते है कुछ नहीं होगा अब और हम जो कहेंगे वही जज महोदय करेंगे ।
ऐसे लोगो से बहुत ही सतर्क रहने कि जरूरत है जिनकी बात का कोई ठिकाना है ।कभी कहते है क़ि हम किसी से चंदा नहीं मानेंगे फिर खाता नम्वर जारी करते है और रोज धन का रोना रोते रहते है क़ि हमारे पास धनाभाव है नहीं हम तीर मार देते।दूसरे को बताते है क़ी टीम से संघ बना लिए और जब खुद टीम से संघ बना लिए तो उनके भक्त लोगो कि बोलती नहीं निकली।
इस लिए ऐसे बहुरूपये से सावधान रहे जिनका वकील आज तक कोर्ट मे कुछ नहीं कर पाया केवल उनका aor हर बार नाम ऐड करवा देता है आदेश में।
अच्छा वकील वो होता है जो बहस कर सके विरोधी को दबा के ना कि अपनी बारी का इंतजार करता रहे और तब तक जज आदेश बोल दे।
नोकरी अपनी है और इसको कैसे बचाना है ये स्वयं निर्णय लेना है ।
इसलिए जिसको जो उचित लगे उसको सहयोग करे क्योकि 22 फरवरी के बाद भगवान ने चाहा तो फिर किसी को सहयोग नहीं करना होगा।
धन्यवाद।
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इसके बाद शाही जी के बहुपरिक्षित वकील हरीश साल्वे जी अपनी लय के साथ उतर आये और अपनी बात को बेहतर तरीके से रखा।
कहा क़ि मयलॉर्ड ट्रेनिंग वाला केस सुप्रीम केस सुन चुका है और उसी के आदेशानुसार हाइकोर्ट में सुनवाई हो चुकी है और ट्रेनिंग वैध है इसका आदेश कोर्ट कर चुका है।ये लोग कोर्ट का समय बर्बाद कर रहे है इसपे जज महोदय नाराज हुए।
आज आनंद नंदन कि बोलती नहीं निकली जो सोचनीय प्रश्न है ।
जो हिमांशु राणा खुद को जज समझता था आज उसके वकील का चेहरा देखने लायक था।
मामले को 22 में टैग कर दिया जज महोदय ने।
विरोधी का कोई लोकस नहीं ये बात समझाने के लिए शिक्षामित्रो को 21 नवंबर, 7 दिसम्बर और 9 जनवरी तीन डेट लगी ।
Ncte के रूल के अनुसार 1 से 5 तक केवल दो वर्षीय btc अनिवार्य है तो बीएड वालो का हित कैसे प्रभावित हो रहा है?
मात्र ये बात सरकारी वकील ना शिक्षामित्रो के वकील नहीं समझा पाये।
ये बहुत बड़ा सोचनीय प्रश्न है।
पहली बार शिक्षामित्रो ने बुद्धिमानी वाला काम किया मतलब बिना प्रोपोगंडा के साल्वे को लाये नहीं आजतक वकील सोसल मिडिया पे ही होते थे ना कि कोर्ट के अंदर ।
हाइकोर्ट से लेके सुप्रीम कोर्ट तक सरकारी वकील और शिक्षामित्रो के वकील जज को ये नहीं बता पाये कि शिक्षामित्र इंटर नहीं बल्कि btc पास है किंतु विरोधी ने जितेंद्र सिंह सेंगर कि wp के जरिये जज महोदय को ये बता दिया कि शिक्षामित्र इंटर नहीं बल्कि btc है और टेट भी पास है।
मतलब जिस योग्यता पे बीएड वाले उछल कूद मचाया करते है उससे कही बेहतर योग्यता शिक्षामित्रो के पास है और 1 से 5 तक केवल btc और शिक्षामित्र ही अर्ह है ना क़ि बीएड वाले।
बीएड वाले कक्षा 6 के ऊपर के लिए अर्ह है।
आज बहुत लोग इस सदमे से नहीं उबर पा रहे है क़ि साल्वे जी को शाही जी कैसे ले आये तो उसके पीछे भी राज है ।
क्योकि शाही जी मझा हुआ खिलाड़ी है ।भले ही गोमती किनारे धरने के कारण शिक्षामित्रो कि नियमावली कमजोर हुई किन्तु ये भी पता है कि अगर ट्रेनिंग पे कोई आंच आयी तो शिक्षामित्र समायोजित और सीधी भर्ती तो दूर की बात संविदा कर्मी के रूप में भी काम नहीं कर सकते ।इसलिए शाही जी ये कभी नहीं चाहेंगे क़ि ट्रेनिंग पे कोई खतरा आये।
कुल मिला के 22 को घमाशाम के लिए मंच तैयार हो चुका है।
अभी तक खूब लापरवाही हुई शिक्षामित्रो कि तरफ किन्तु अगर 22 को हुई तो उसके लिए खुद को तैयार रखना होगा।
आज कि डेट में सबसे बड़ी बात ये रही क़ि टेट पास शिक्षामित्रो और चयनित सीधी भर्ती कि तरफ से कोई भी वकील ना होना सोचनीय है।
साल्वे जी को शाही जी लाये ,जो आजतक खुद टेट का विरोध करते रहे है वो आज इनको बचाने के लिए कभी सिंघवी तो कभी साल्वे को ला रहे है ।
अभी समय है और 22 को बेहतर तैयारी के साथ टेट पास शिक्षामित्रो को सिंघवी और चयनित सीधी भर्ती वाले शिक्षामित्रो को राजीव धवन को लाना होगा अगर केस को जीतना हो नहीं खूब अलग अलग गुट बाजी करते रहो।
टेट पास शिक्षामित्रो कि जितनी भी टीमे है चाहे देवीलाल ,सलमान आरफी ,बलिया टीम या विशेष सक्रीय टीम सभी को मिल के 22 के लिए बेहतर करना होगा क्योंकि इसके अलावा दुसरा विकल्प नहीं है और 15000और 16448 में सभी चयनित शिक्षामित्रो को एक वकील करना होगा नहीं फिर जो होगा सोच नहीं पाओगे।
अत्यधिक विधिक जानकारों के चक्कर में ना पड़े जो बताया करते है कुछ नहीं होगा अब और हम जो कहेंगे वही जज महोदय करेंगे ।
ऐसे लोगो से बहुत ही सतर्क रहने कि जरूरत है जिनकी बात का कोई ठिकाना है ।कभी कहते है क़ि हम किसी से चंदा नहीं मानेंगे फिर खाता नम्वर जारी करते है और रोज धन का रोना रोते रहते है क़ि हमारे पास धनाभाव है नहीं हम तीर मार देते।दूसरे को बताते है क़ी टीम से संघ बना लिए और जब खुद टीम से संघ बना लिए तो उनके भक्त लोगो कि बोलती नहीं निकली।
इस लिए ऐसे बहुरूपये से सावधान रहे जिनका वकील आज तक कोर्ट मे कुछ नहीं कर पाया केवल उनका aor हर बार नाम ऐड करवा देता है आदेश में।
अच्छा वकील वो होता है जो बहस कर सके विरोधी को दबा के ना कि अपनी बारी का इंतजार करता रहे और तब तक जज आदेश बोल दे।
नोकरी अपनी है और इसको कैसे बचाना है ये स्वयं निर्णय लेना है ।
इसलिए जिसको जो उचित लगे उसको सहयोग करे क्योकि 22 फरवरी के बाद भगवान ने चाहा तो फिर किसी को सहयोग नहीं करना होगा।
धन्यवाद।
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