दस हजार शिक्षक भर्ती में नियुक्ति के बाद बदले गए थे दस्तावेज

जागरण संवाददाता, मैनपुरी : बेसिक शिक्षा विभाग में हुईं पांच नियुक्तियों में फर्जी शिक्षकों की बड़ी संख्या अभी भी मौजूद है। कमाल की बात तो यह है कि दस हजार शिक्षक भर्ती में पकड़े गए फर्जी शिक्षकों के दस्तावेजों में नियुक्ति के बाद भी हेरफेर किया गया है।
दो शिक्षकों के आवेदन के बाद में शिक्षक पात्रता परीक्षा का प्रमाण पत्र पत्रावली में मौजूद है। नियुक्ति प्रक्रिया समाप्त होने के बाद कुछ कागजों को निकाला गया है, जिसके कारण शक की सुई विभागीय अधिकारियों पर घूम गई है।
दस हजार शिक्षक भर्ती प्रक्रिया तत्कालीन जिला बेसिक शिक्षाधिकारी प्रदीप कुमार के कार्यकाल में हुई थी। इस प्रक्रिया में 150 शिक्षकों को नियुक्ति दी गई थी। नियुक्ति के बाद शिक्षकों के दस्तावेजों का सत्यापन विभागीय अधिकारी करते हैं। हाईस्कूल और इंटरमीडिएट का सत्यापन बोर्ड से होने जाता है, जबकि स्नातक की अंकतालिका का सत्यापन विवि से कराया जाता है। शिक्षक पात्रता परीक्षा प्रमाण पत्र का सत्यापन विभागीय अधिकारी ऑनलाइन करते हैं। इसके बाद परीक्षा नियामक प्राधिकारी इलाहाबाद से कराते हैं, लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि जब इन पांच शिक्षकों का सत्यापन कराया गया, उस समय इनकी शिक्षक पात्रता परीक्षा की अंकतालिका ऑनलाइन सत्यापित किस आधार पर और किस अधिकारी ने कर दी।
एक माह पहले पुराने बीएसए कार्यालय के दो कमरों के ताले टूटे थे। इन्हीं कमरों में नियुक्ति संबंधी दस्तावेज रखे थे। कोई भी दस्तावेज यहां से चोरी नहीं गया था। आखिर ताले तोड़ने वाले लोग कहीं इसी फर्जीवाड़े से संबंधित तो नहीं थे। फिलहाल इस भर्ती प्रक्रिया की जांच चल रही है। अभी कई और शिक्षकों के प्रमाण पत्र फर्जी होने का पूरा अंदेशा है।
'दस हजार शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में पांच शिक्षकों के शिक्षक पात्रता परीक्षा प्रमाण पत्र फर्जी निकल आए हैं। जांच चल रही है, कुछ शिक्षकों के दस्तावेजों में नियुक्ति के बाद हेरफेर होने का मामला सामने आया है। जांच पूरी होने के बाद ही जो दोषी होंगे, सभी के विरुद्ध कार्रवाई होगी।'
रामकरन यादव, बीएसए।
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