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यूपी का ऐसा विश्वविद्यालय जहां शिक्षकों की नहीं लगती अटेंडेंस

बरेली। रुहेलखंड विश्वविद्यालय में गुरुजी पढ़ाने आएं या नहीं। नौकरी छोड़ जाएं या फिर महीनों विवि से नदारद रहे पर उनको वेतन बराबर मिलता रहता है। न तो हेड व डीन फाइनेंस विभाग को अटेंडेंस रिपोर्ट भेजते हैं और न ही फाइनेंस विभाग ने इसकी कभी जरुरत समझी।
इस खामी के कारण कई मामले ऐसे सामने आए जिसमें नौकरी छोड़ चुके शिक्षकों के खाते में बराबर वेतन पहुंचता रहा।

व्यवस्था में खामी का पता इससे ही लगेगा कि एक बार नौकरी लग गई तो चिंता की कोई बात ही नहीं है। नौकरी छोड़ भी देंगे तो पैसा तो पहुंचता रहेगा। नौकरी छोड़ने के बाद भी वेतन जारी होने के कई मामले सामने आने के बाद अब यूनिवर्सिटी प्रशासन की नींद खुली है। कई बार तो सालभर तक पैसा गया और इनकम टैक्स डिक्लरेशन के दौरान खुलासा हुआ। काफी मामले विवि के रिकार्ड में दर्ज हो चुके हैं तो सैलरी सिस्टम की खामी दिखाते हैं। जिससे विभागीय स्तर पर मिलीभगत से कोई भी शिक्षक महीनों न आए और उसको वेतन जारी होता रहेगा। अभी यही स्थिति है और हेड डीन से उपस्थति का अप्रूवल आए बिना ही वित्त विभाग वेतन जारी कर देता है।

केस-1

रुहेलखंड विवि लॉ विभाग की एक महिला शिक्षक ने इस्तीफा देकर लखनऊ के शकुंतला मिश्रा यूनिवर्सिटी में ज्वाइन कर लिया। ज्वाइनिंग के बाद करीब 4 महीने तक वेतन उनके खाते में जाता रहा। बाद में मामला सामने आए तो विवाद छिड़ा। किसी तरह विवि ने वेतन वापस मंगाया।

केस-2

इकनामिक्स के एक शिक्षक नौकरी छोड़ अमेरिका शिफ्ट हो गए। विभाग से कोई सूचना नहीं मिली। उनका वेतन सालभर जाता रहा। मार्च में इनकम टैक्स का डिक्लेरेशन मांगा गया तो नहीं मिला। नोटिस भेजा गया तो पता चला कि वे तो देश में है ही नहीं। इसके रिकवरी हुई।

हेड और डीन द्वारा किसी के अनुपस्थिति के बारे में कोई सूचना नहीं दी जाती है। इसलिए उनको उपस्थित मान लिया जाता है और सैलरी जारी कर दी जाती है। अनुपस्थिति के बाद भी किसी का वेतन जारी होगा तो जवाबदेही हेड व डीन की होगी। -- डॉ. साहब लाल मौर्या

कुलसचिव, रुविवि
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