आबादी के लिहाज से देश का सबसे बड़ा प्रदेश लेकिन विकास के मामले में फिसड्डी। यह कड़वी हकीकत उत्तर प्रदेश की है। बीते चार साल में यूपी की विकास दर एक बार भी देश की विकास दर का आंकड़ा नहीं छू पायी है।
बात यह है कि अगर यूपी में विकास की रफ्तार इसी तरह सुस्त रही तो देश की बराबरी पर इसे आने में दो चार साल नहीं बल्कि कई दशक लग जाएंगे।1उत्तर प्रदेश सरकार की एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2012-13 से 2015-16 के दौरान यूपी की विकास दर 3.9 प्रतिशत से 6.6 प्रतिशत के बीच रही जबकि देश की विकास दर इस अवधि में 5.6 प्रतिशत से 7.6 प्रतिशत के बीच थी। खास बात यह है कि इन चार वर्षो में एक बार भी यूपी की विकास दर देश की आर्थिक वृद्धि के बराबर नहीं आ सकी। अगर यही हाल रहा तो यूपी को देश की बराबरी पर आने में कई वर्ष लग जाएंगे। 1उल्लेखनीय है कि 2012 में ही मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी सत्ता में आयी। सपा के कार्यकाल में आगरा से लखनऊ तक एक्सप्रेस-वे जैसी बड़ी परियोजनाएं हुई हैं लेकिन राज्य की विकास दर में अपेक्षानुरूप वृद्धि नहीं हुई है। 1यूपी की विकास दर बढ़ना इसलिए जरूरी है क्योंकि यहां देश की सर्वाधिक आबादी है और इसकी प्रति व्यक्ति आय देश के मुकाबले लगभग आधी है। ऐसे में अगर यूपी में आर्थिक गतिविधियों की रफ्तार तेज नहीं होती है तो राज्य के प्रति व्यक्ति आय के स्तर को उठाना मुश्किल होगा। अस्सी के दशक में यूपी की प्रति व्यक्ति आय और देश की प्रति व्यक्ति आय में कुछ खास फासला नहीं था लेकिन बाद के दशकों में यह अंतर तेजी से बढ़ता गया। 1राजस्थान जैसा राज्य जिसकी प्रति व्यक्ति आय कुछ समय पहले तक यूपी से कम थी, आज वह भी आगे निकल गया है। एक पहलू यह भी है कि अस्सी के दशक में जहां सभी प्रदेशों के सकल घरेलू उत्पाद के कुल योग में यूपी की जो हिस्सेदारी थी वह बढ़ी नहीं है। दूसरी ओर कुछ राज्य ऐसे हैं जो अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने में कामयाब हुए हैं। 1यूपी की विकास दर को बढ़ाना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि देश में गरीबों की आबादी का बड़ा हिस्सा उत्तर प्रदेश में ही है। इसलिए सरकार को आबादी के एक बड़े वर्ग को गरीबी से निकालने के लिए आर्थिक विकास की रफ्तार तेज करनी होगी।
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बात यह है कि अगर यूपी में विकास की रफ्तार इसी तरह सुस्त रही तो देश की बराबरी पर इसे आने में दो चार साल नहीं बल्कि कई दशक लग जाएंगे।1उत्तर प्रदेश सरकार की एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2012-13 से 2015-16 के दौरान यूपी की विकास दर 3.9 प्रतिशत से 6.6 प्रतिशत के बीच रही जबकि देश की विकास दर इस अवधि में 5.6 प्रतिशत से 7.6 प्रतिशत के बीच थी। खास बात यह है कि इन चार वर्षो में एक बार भी यूपी की विकास दर देश की आर्थिक वृद्धि के बराबर नहीं आ सकी। अगर यही हाल रहा तो यूपी को देश की बराबरी पर आने में कई वर्ष लग जाएंगे। 1उल्लेखनीय है कि 2012 में ही मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी सत्ता में आयी। सपा के कार्यकाल में आगरा से लखनऊ तक एक्सप्रेस-वे जैसी बड़ी परियोजनाएं हुई हैं लेकिन राज्य की विकास दर में अपेक्षानुरूप वृद्धि नहीं हुई है। 1यूपी की विकास दर बढ़ना इसलिए जरूरी है क्योंकि यहां देश की सर्वाधिक आबादी है और इसकी प्रति व्यक्ति आय देश के मुकाबले लगभग आधी है। ऐसे में अगर यूपी में आर्थिक गतिविधियों की रफ्तार तेज नहीं होती है तो राज्य के प्रति व्यक्ति आय के स्तर को उठाना मुश्किल होगा। अस्सी के दशक में यूपी की प्रति व्यक्ति आय और देश की प्रति व्यक्ति आय में कुछ खास फासला नहीं था लेकिन बाद के दशकों में यह अंतर तेजी से बढ़ता गया। 1राजस्थान जैसा राज्य जिसकी प्रति व्यक्ति आय कुछ समय पहले तक यूपी से कम थी, आज वह भी आगे निकल गया है। एक पहलू यह भी है कि अस्सी के दशक में जहां सभी प्रदेशों के सकल घरेलू उत्पाद के कुल योग में यूपी की जो हिस्सेदारी थी वह बढ़ी नहीं है। दूसरी ओर कुछ राज्य ऐसे हैं जो अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने में कामयाब हुए हैं। 1यूपी की विकास दर को बढ़ाना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि देश में गरीबों की आबादी का बड़ा हिस्सा उत्तर प्रदेश में ही है। इसलिए सरकार को आबादी के एक बड़े वर्ग को गरीबी से निकालने के लिए आर्थिक विकास की रफ्तार तेज करनी होगी।
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