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शिक्षामित्र भाई न हों निराश............हिमाचल प्रदेश के मैटर पर शिक्षामित्र संघ का स्पष्टीकरण पढ़ें: सय्यद जावेद मियाँ की कलम से

मित्रों आज हिमाचल प्रदेश के एक मैटर को लेकर सोशल मीडिया पर बहुत हौ- हल्ला मचा है। उसकी वास्तविकता पर आदर्श समायोजित शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन प्रकाश डालने की कोशिश कर रहा है।
हिमाचल प्रदेश में वर्ष 2003 में लगभग 3406 असिस्टेंट प्राइमरी टीचर्स (अस्थाई शिक्षकों) की भर्ती हुई। जो संविदा पर कार्य कर रहे थे। जिनको मात्र 2500/- रुपए मानदेय पर रखा गया था। उसके बाद कई बार मानदेय में वृद्धि करके क्रमशा 3500/-, फिर 4000/-,  6000/- तथा 8900/- रुपए विभिन्न शासनादेशों के द्वारा मानदेय किया गया। तथा पिछले वर्ष नवंबर 2016 में इनका मानदेय बढ़ाकर ₹11000/- कर दिया गया था। और यह लोग अब भी संविदा शिक्षक के रूप में कार्य कर रहे थे।

इसी बीच वहां के ट्रेंड टीचर्स ने माननीय उच्च न्यायालय में याचिका दायर की और मांग की कि इनके पदों पर सेवा नियमावली के निर्देशों के अनुपालन में स्थाई शिक्षकों की भर्ती की जाए। जिस पर काफी दिनों तक लंबी बहस चली। तथा हिमाचल प्रदेश के माननीय हाईकोर्ट की डबल बेंच ने वहां के पैरा टीचर्स के विरुद्ध आदेश दिया और सरकार को इन्हें हटाकर स्थाई शिक्षकों की भर्ती का आदेश दिया। जिसके बाद हिमाचल प्रदेश के अस्थाई शिक्षकों की नौकरी पर संकट आ गया और बाद में हिमाचल प्रदेश के असिस्टेंट प्राइमरी टीचर्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष नारायण हिमरल जी के नेतृत्व में इन लोगों ने हाई कोर्ट की डबल बेंच के आर्डर को माननीय सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। जहां से हिमाचल प्रदेश के पैरा टीचर्स को स्टे मिल गया। और अब तक वे लोग मानदेय पर कार्य कर रहे हैं।
आज इस आदेश की चर्चा सोशल मीडिया पर हो रही है। उससे कोई भी परेशान होने की जरूरत नहीं है।
हमें अफसोस होता है कि लोग बिना जांचे-परखे और बिना जानकारी लिए हुए अपने आप को ज्ञानी समझने वाले तथाकथित लोग हमारे साथियों को भ्रमित करते हैं। वे लोग यह भूल जाते हैं कि इन भ्रमित खबरों से हमारे समायोजित शिक्षकों एवं शिक्षा मित्रों पर क्या दुष्प्रभाव पड़ेगा? यहां तक कि आज कई ऐसे फोन आए जिनकी बात सुन कर लग रहा था कि वह बहुत हताश और टेंशन में है। यह लोग अपने आप को बहुत बड़ा विद्वान समझते हुए माननीय कोर्ट की किसी भी कार्यवाही को ऐसे प्रदर्शित करते हैं जैसे वहां पर यही लोग पैरोकारी कर रहे हों और उल्टी सीधी बातें लिखना शुरु कर देते हैं। जबकि आज माननीय सुप्रीम कोर्ट में हिमाचल प्रदेश के पैरा टीचर्स के केस में कुछ भी ऐसा उल्टा नहीं हुआ। केवल पैराटीचर्स के विपक्षी वकील प्रशांत भूषण जी ने इस केस में अपने लिए लंबी छुट्टी के लिए आग्रह किया। जिसके बाद यह केस पेंडिंग में जाना स्वभाविक है। और इसके बाद वहां के लोग अपने पद पर काम करते रहेंगे।

आपको बता दें हिमाचल प्रदेश की सरकार इन पैरा टीचर्स के पक्ष में है। और इन्हें नियमित करना चाहती है। परंतु माननीय सुप्रीम कोर्ट में इनकी अस्थाई (संविदा) नौकरी पर ही सुनवाई चल रही है। यदि अस्थाई नौकरी बच जाती है तो हिमाचल प्रदेश की सरकार इन्हें भी नियमित करेगी।
इसी के साथ कल से देख रहे हैं कि कुछ तथाकथित टीमें और संगठन के लोग हमारे संगठन पर भी उंगली उठा रहे हैं। और कल सोशल मीडिया पर माननीय मानव संसाधन विकास मंत्री जी का जो पत्र वायरल हुआ उसको लेकर भी घमासान मचाया गया था। और टीईटी को लेकर हमारे संगठन को घेरने की कोशिश की गयी। इस संबंध में हम बताना चाहेंगे कि हमें माननीय सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही पर पूरा भरोसा है। हम न्यायपालिका में विश्वास रखते हैं और हमें पूरा विश्वास है कि माननीय सुप्रीम कोर्ट से फैसला हमारे ही पक्ष में आएगा। और हमारा समायोजन बिना टीईटी के ही वैध होगा। जो लोग टीईटी के मुद्दे पर हम पर आरोप लगा रहे हैं वह अपने गिरेबान में झांक कर देखें और अपनी अंतरात्मा से पूछें कि क्या उस समय हम गोमती के किनारे लंबा धरना प्रदर्शन नहीं करते और सरकार से बिना टीईटी के समायोजन की मांग नहीं करते तो क्या आज 172000 में से लगभग 137000 शिक्षा मित्र (सहायक अध्यापक) शिक्षक बन पाते? यह सोचने की बात है?
कुछ कुकुरमुत्ते सहायक अध्यापक पद की बजाय शिक्षा सहायक, मद्रास मॉडल और महाराष्ट्र मॉडल की बात कर रहे थे। क्या अगर हम टीईटी के बिना सहायक अध्यापक की मांग नहीं करते तो यह लोग तमाम मॉडल पर हमारी भर्ती कराने के मूड में थे, तो आप से पूछना चाहेंगे क्या यह सारी सुविधाएं उन भर्तियों पर मिल पातीं? यह लोग  हम शिक्षा मित्रों एवं समायोजित शिक्षकों को कहीं का नहीं छोड़ना चाहते थे। केवल राजनीति करना चाहते हैं। और अपने आप डरा-धमकाकर धनउगाही करके अमीर बनना चाहते हैं।
मित्रों ऐसे कुकुरमुत्तों से बचने की जरूरत है। आदर्श समायोजित शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन हमेशा शिक्षामित्र और समायोजित शिक्षकों के हित की बात करता है और कभी भी डरा-धमकाकर गलत वसूली करने की कोशिश नहीं करता।
आज हिमाचल प्रदेश के ऑर्डर से परेशान होने की जरूरत नहीं है, जरूरत है तो आने वाली 22 फरवरी 2017 को माननीय सुप्रीम कोर्ट में अपने केस की होने वाली सुनवाई की मजबूत पैरवी की है। इसलिए आप सभी से हमारा अनुरोध है की आदर्श समायोजित शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन का बढ़ चढ़कर सहयोग करें, जिससे हम माननीय सुप्रीम कोर्ट में मजबूत पैरवी कर सकें।

इसी के साथ......

जय शिक्षक........
जय शिक्षा मित्र.......

आपका,
जितेंद्र शाही,
विश्वनाथ सिंह कुशवाहा,

लेखक,
सय्यद जावेद मियाँ,

आदर्श समायोजित शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन, उत्तर प्रदेश।
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