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लोक सेवा आयोग : सीबीआई जांच से सपा शासनकाल में की गई भर्तियों में उठेगा रहस्यों से पर्दा

इलाहाबाद : सपा शासनकाल में लोक सेवा आयोग द्वारा की गई भर्तियों की सीबीआई जांच से उन ढेरों सवालों के जवाब मिल सकते हैं जिसे प्रतियोगी पिछले पांच वर्षों से उठा रहे हैं। सपा सरकार के पांच साल में हुई आयोग की हर भर्ती को लेकर कोई न कोई विवाद जरूर हुआ था।
प्रतियोगियों का दावा है कि भर्तियों की सीबीआई जांच में भ्रष्टाचार और अनियमितता कर मनमाने चयन के अनेक मामले उजागर होंगे। प्रतियोगियों को भरोसा है कि आयोग का घोटाला मध्य प्रदेश के व्यापम घोटाले से कहीं ज्यादा व्यापक साबित होगा। पीसीएस, पीसीएस जे, लोअर सबआर्डिनेट, आरओ-एआरओ और सीधी भर्ती को मिलाकर पांच साल में की गईं लगभग 600 भर्तियां जांच के दायरे में आएंगी।
आयोग में अनियमितता की प्रमुख शिकायतें
इंटरव्यू में अधिक नंबर देकर चयन
प्रतियोगियों का आरोप है कि पीसीएस, लोअर सबआर्डिनेट की भर्तियों में लिखित परीक्षा में कम अंक पाने वालों को इंटरव्यू में अधिक नंबर देकर सफल किया गया। खास तौर से ओबीसी की एक खास जाति के अभ्यर्थियों को इंटरव्यू में ज्यादा अंक दिए गए। लिखित में ज्यादा नंबर पाने वाले कई अभ्यर्थी इंटरव्यू में कम अंक मिलने के कारण सफल ही नहीं हो सके। बकौल प्रतियोगी उनके पास मौजूद पीसीएस 2011 की मार्कशीट इस अनियमितता की गवाह है।
बदल दी गई मेधावियों की कॉपियां
पीसीएस मेन्स 2015 की अभ्यर्थी सुहासिनी बाजपेई का प्रकरण सामने आने के बाद आयोग पर मेधावियों की कॉपियां बदलने के आरोप भी लग रहे हैं। प्रतियोगियों का कहना है कि कॉपी बदलने का यह इकलौता प्रकरण नहीं है। जांच हो तो कई और भर्तियों में इसी तरह का मामला सामने आएगा।
स्केलिंग में किया गया लंबा खेल
प्रतियोगियों का आरोप है कि पीसीएस सहित अन्य भर्तियों में स्केलिंग के नाम पर लंबा खेल किया गया है। एक ही विषय में एक समान अंक पाने वाले कुछ अभ्यर्थियों का स्केल्ड मार्क अधिक तो कुछ के कम कर दिए गए। पूर्व अध्यक्ष के कार्यकाल में स्केलिंग सेक्शन में खास लोगों को ही तैनात किया गया।
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