संघर्ष के 6 वर्षों में NCTE की भूमिका पर पोस्ट और उसका विस्तार : S K Pathak

S.k. Pathak feeling cool with
Yogendra Yadav and 48 others.
प्यारे साथियों
सादर अभिनन्दन
संघर्ष के 6 वर्षों में ncte की भूमिका पर पोस्ट
और उसका विस्तार दोनों साथ साथ ........
अभी अपने जिले के प्रतिष्ठित चिकित्सक डॉ
आशीष से अपने एक परिजन के स्वास्थ्य के
संबंध में कंसल्ट करके उनके चैंबर से निकल ही
रहा था कि मोबाइल की घंटी बजी ।मोबाइल का
स्क्रीन बता रहा था कि jrt मोर्चे के बाहुबली ,
योगेंद्र यादव उर्फ योगी बात करना चाह रहे हैं ।
बात हुयी उन्होंने कहा गुरुदेव ncte का जवाबी
हलफनामा आगया है ।हमने सहज ही पूछा कि
क्या दाखिल किया है उन्होंने बताया कि पूरा
हलफनामा थोड़ी देर में मेल कर रहा हूँ । उन्होंने
ये भी बताया कि विपक्ष ने पहला और अंतिम पेज
सोसल मीडिया पर डाल रखा है ,खैर इस चर्चा
को यहीं रोकता हूँ..........
पिछले 6 वर्षों से अनवरत चल रही योग्यता,और
गुणवत्ता की लड़ाई में राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा
परिषद अर्थात NCTE ,उसके जवाब तथा उसके
अधिवक्ताओं की क्या भूमिका रही ???आज इसी
विषय पर चर्चा करूंगा ।
वैसे तो पैगाम- ए- मोहब्बत का शहर आगरा
ताजमहल और पेठे के लिए जाना जाता है किंतु इस
संघर्ष का शहर आगरा से विशेष सरोकार रहा है

इस संघर्ष में अपना अमूल्य सहयोग देने वाले
हमारे मोर्चा परिवार के सदस्य देवेश
द्विवेदी,योगेंद्र सिंह चौहान,अजय ठाकुर,BTC
संवर्ग से मानवेन्द्र और और कुछ समय पूर्व
तक सक्रिय श्री कान्त आगरे के ही निवासी हैं
जो मोहब्बत के शहर से संघर्ष की अलख जगाते
रहे किन्तु आज विशेष चर्चा भाई शिव कुमार
शर्मा पर जिनके पिता जी की असामयिक मृत्यु
प्रधानाध्यापक के पद पर रहते हुए दिनांक 3 जून
2011 को हो गयी थी । इन्हीं शिव कुमार शर्मा ने
एक याचिका दाखिल की कि उनकी नियुक्ति मृतक
आश्रित कोटे में सहायक अध्यापक पद पर बिना
# TET पास किये ही की जानी चाहिए ।
अब बात आती है कि शिव कुमार शर्मा की याचिका
में की गयी प्रेयर का आधार क्या था?????
आपको थोड़ा सा पीछे ले चलूंगा ।Ncte ने ACT
द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए 23
अगस्त 2010 का नोटिफिकेशन इशू कर दिया था
जिसके अनुसार पूरे देश में किसी को भी अध्यापक
बनने के लिए #TET पास करना जरूरी हो चला था
।इसके बाद 29 जुलाई और 11 फरवरी का
नोटिफिकेशन भी आ चुका था ।उत्तर प्रदेश
सरकार ने भी इसके अनुपालन में 27 जुलाई सन
2011 को 6 से 14 वर्ष तक की आयु के बच्चों के
लिए निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा नियमावली
बना ली ।
तत्पश्चात रवि प्रकाश एवम सैकड़ो अन्य BTC
अभ्यर्थियों ने इसे माननीय इलाहबाद
उच्चन्यायालय की एकल पीठ में चुनौती दी ।
इनका मानना था कि BTC चयन के लिए निकला
विज्ञापन ही उनकी नियुक्ति का विज्ञापन है जो
की 23 अगस्त 2010 से पूर्व् का था इसलिए उन्हें
टेट पास करने की अनिवार्यता से मुक्त किया
जाय ।12 वें संशोधन के ठीक दो दिन बाद यानि
11-11-2011 को माननीय न्यायमूर्ति दिलीप गुप्ता
ने बीटीसी अभ्यर्थियों की टेट से छूट मांगने वाली
दर्जनों याचिकाओं को एक साथ ख़ारिज कर दिया
।योग्यता यानी #TET के विरोधियों को यह पहला
न्यायिक झटका था ।
वादी का हारने के बाद अपील करना स्वाभाविक है
सो इस आदेश के खिलाफ भी अपील हुयी ।
प्रभाकर सिंह एवं सैकड़ो अन्य # BTC
अभ्यर्थियों नें इसके खिलाफ दर्जनों विशेष
याचिकाएं दाखिल जिसपर अंतिम निर्णय जस्टिस
अशोक भूषण और जस्टिस अभिनव उपाध्याय की
खंडपीठ ने दिया ।खंडपीठ का निर्णय यह था कि
जिन #BTC अभ्यर्थियों की नियुक्ति प्रक्रिया
23 अगस्त तक शुरू नहीं हुई थी उन्हें टेट से छूट
नहीं दी जा सकती ।दूसरी और मुख्य बात यह थी
की जो अभ्यर्थी बीएड उत्तीर्ण हैं उन्हें टेट पास
करने की जरूरत नहीं है ।यही फैसला नॉन टेट
जजमेंट के रूप में फेमस हुआ हुआ जो उस समय
बीएड अभ्यर्थियों को बिना टेट पास किये हुए ही
शिक्षक भर्ती में शामिल होने की इजाजत दे रहा
था ।
पुनः शिव कुमार शर्मा पर लौटते हैं । #टेट से दी
गयी इसी छूट के इसी फैसले को आधार बनाकर
शिव कुमार शर्मा ने अपनी नियुक्ति के लिए TET
से छूट की प्रार्थना अपनी याचिका संख्या रिट ए
12908/2013 में की क्योंकि उनकी नियुक्ति इसी
कारण से दिनांक 31-12-12 को निरस्त कर दी
गयी थी ।यह याचिका एजुकेशन सर्विसेज के
विशिष्ट जानकार एवम त्वरित निर्णय के लिए
पहचाने जाने वाले माननीय न्यायमूर्ति अमरेश्वर
प्रताप शाही की कोर्ट में सुनवाई हेतु सूचीबद्ध
हुई ।जो की लखनऊ खंडपीठ में वरिष्ठतम
न्यायाधीश हैं ।
आप सोच रहे होंगे की मैं यह कहानी आपको क्यों
सुना रहा हूँ ??? क्यों की-------------
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# यहीं # से # NCTE # की #मुख्यभूमिका #की
# शुरुआत #होती # है ।
आइये देखते हैं कैसे ..............................
जस्टिस शाही ने इस याचिका की सुनवाई के
दौरान 8 मार्च सन 2013 को एक अंतरिम आदेश
पारित किया और कहा प्रभाकर सिंह मामले में
डिवीजन बेंच द्वारा दिए गए निर्णय के
परिप्रेक्ष्य में .....................
विधि के सारवान प्रश्न यानी 23 अगस्त के
नोटिफिकेशन के अनुसार अध्यापक बनने की
न्यूनतम योग्यता क्या होनी चाहिए और प्रभाकर
सिंह का जजमेंट करेक्ट इन लॉ है या नहीं इसकी
व्याख्या जरूरी है अतः
1 # सम्पूर्णपत्रावली चीफ जस्टिस के समक्ष
प्रस्तुत की जाय ।
2.दूसरी सबसे महत्व पूर्ण बात यूनियन ऑफ़
इंडिया की तरफ सेक्रेटरी मानव संसाधन
मंत्रालय और #ncte की तरफ से # मेम्बर
# सेक्रेटरी #NCTE अपने अधिवक्ता के माध्यम
से मुकदमें इम्प्लीड करें और उन्हें इस इस
आदेश की सूचना और कापी एक हफ्ते के अंदर
उपलब्ध करा दी जाय ।
खैर जस्टिस अमरेश्वर प्रताप शाही के द्वारा
पारित निवेदन परक अंतरिम आदेश को संज्ञान
में लेते हुए चीफ जस्टिस ने एक तीन सदस्यीय
पूर्णपीठ का गठन किया जिसके सदस्य थे
जस्टिस सुनील अम्बवानी जस्टिस अमरेश्वर
प्रताप शाही और जस्टिस पी के यस बघेल ।
चूंकि बीएड अभ्यर्थियों को बिना #TET पास किये
ही भर्ती प्रक्रिया में शामिल होने की अनुमति
# प्रभाकरसिंह के मामले में दे दी गयी थी इस लिए
हर #TET पास व्यक्ति जिसका चयन नहीं हुआ
था सीधे प्रभावित हो रहा था अतः इस आदेश के
विवादित अंशों की युक्तियुक्त व्याख्या के लिए
बैठ रही पूर्णपीठ में पार्टी बनकर अपना पक्ष
रखना आवश्यक हो चला था ।
खरे साहब से बात हुयी उन्होंने आवश्यक सुझाव
दिया ।और शिव कुमार शर्मा के मामले में पार्टी
बनकर इस पूर्ण पीठ के समक्ष अपना पक्ष
रखा गया ।दो बातें प्रमुखता से रखी गयीं
............................
1-पहली बात योग्यता की यानी शिक्षक बनने के
लिए टेट पास होना सभी के लिए अनिवार्य है
चाहे वह कोई भी हो ।
2-दूसरी बात गुणवत्ता की यानी गुणवत्तापरक
शिक्षा के लिए क्वालिटी टीचर अनिवार्य हैं
जिसके लिए #शुड # गिव #वेटेज # टू #दा #tet
# स्कोर इन रिक्रूटमेंट प्रोसेस अर्थात क्लाज
9b को अपनाया जाना एक बेहतर तरीका हो सकता
है और चूंकि ncte इस बात को कह रही है
इसलिये सरकार का नैतिक कर्तव्य है कि इसका
पालन करे ।इसके लिए विभिन्न राज्यों की
नियमावाली जहां की वेटेज दिया गया था को पूर्ण
पीठ के समक्ष रखा गया ।
अब सबसे महत्वपूर्ण बात ......जैसा की मैंने
पहले ही बताया है कि जस्टिस शाही ने HRD
मिनिस्ट्री और NCTE को नोटिस जारी कर रखा
था ।HRD मिनिस्ट्री ने जो रिटेन सब्मिसन
दाखिल वही उनके वकील यानी अडिशनल
सोलिसिटर जनरल ऑफ़ इंडिया श्री आर बी
सिंघल की बहस भी थी जिसमें राज्यसभा में हुयी
एक बहस की कॉपी भी लगी थी जो ये कहती थी की
कक्षा 5 का बच्चा कक्षा दो की किताब पढ़ने में
असमर्थ है ।यानी HRD मिनिस्ट्री गुणवत्ता को
लेकर सख्त और वेहद स्पष्ट रवैये को
प्रदर्शित कर रही थी ।
#NCTE ने भी टेट की अनिवार्यता का हवाला
दिया साथ साथ 9B यानी 11 फरवरी की गाइड
लाइन को भी एनेग्जर के रूप में रखा की और और
कहा कि गाइड लाइन के पूर्ण परिपालन से कोई
समझौता नहीं ।
#अब आइये देखते हैं यूनियन ऑफ़ इंडिया की
तरफ से अडिशनल सॉलिसिटर जनरल श्री आर
बी सिंघल और NCTE के अधिवक्ता जनाब
रिजवान अली अख्तर ने संयुक्त रूप से इलाहबाद
उच्च न्यायालय की पूर्णपीठ में क्या कहा था ??
उनका स्टेटमेंट खुद पूर्णपीठ ने फैसले में रिकॉर्ड
कराया जो निम्नवत है ।दोनों ने कहा tet
अनिवार्य है...............चाहे कोई भी महापुरुष हो
और ncte को ऐसा करने का पूर्ण अधिकार भी है

Sri R B singhal has supported the reference
and has prayed that the judgment of the
Division Bench needs a reversal to the
extant it carves out an exception in favour
of candidates covered by clause 3 .
Sri R A Akhtar for the NCTE has emphasized
that the power of council is very much
avilable and the argument that it did not
have the authority to prescribe the Techer
Eligibility Test as a qualification is
unfounded .
अब जरा देखिये सबसे मजेदार बात की दोनों
महानुभावों ने 11 फरवरी की गाइड लाइन यानी
""शुड गिव वेटेज""
के बारे में कोर्ट में क्या कहा????इसे तीन चार
बार पढ़ियेगा.......
Sri singhal and sri akhtar,therefore , relied
on the guideline deted ""11-02-2011""" as
well as the notfication issued from time to
time to urge that all the notification read
together with the notification dated
23-08-2010 ""would leave no room for
doubt that the TET IS COMPULSORY for all
classes of Teachers, who are seeking
appointment in schools, imparting
elementary eduction without exception .
मने सिंपल सी बात है कि सारे नोटिफिकेशन चाहे
23 अगस्त हो या फिर 11 फरवरी सब साथ साथ
हैं ।मने साथ जियेंगे साथ मरेंगे ।ये मैं नहीं भारत
सरकार के वकील ASG श्री आर बी सिंघल और
NCTE के वकील जनाब रिजवान अली अख्तर एक
साथ सुर में सुर ताल में ताल मिलाकर कह रहे हैं
। स्थान है इलाहाबाद हाई कोर्ट की पूर्णपीठ ।
अब आते हैं इलाहबाद हाइकोर्ट के पूर्णपीठ के
फैसले पर ............................
तमाम सबूतों ,गवाहों एवम बयानों को मद्देनजर
रखते हुए माननीय इलाहबाद उच्चन्यायालय की
पूर्णपीठ इस निष्कर्ष पर पहुंची की .........
1 - प्रभाकर सिंह के मामले में डिवीज़न बेंच
द्वारा पारित आदेश करेक्ट इन लॉ नहीं है
अर्थात क्लाज 3 से कवर्ड लोगों सहित सभी
लोगों के लिए tet अनिवार्य है अर्थात टेट से
किसी को छूट नहीं है । दूसरे शब्दों में वृंदावन में
रहना तो राधे राधे कहना है ।
2- We wish to clarify that the binding effect
of notifications and guidelines is such that
weightage which is contemplated under the
guidelines dated 11th february ,2011 can
not be ignored .this norm therefore can not
be diluted.Apartfrom this,the state
government has to take notice of the fact
that weightage has to be given in the
recruitment process as well .it is for the
state government to suitably adopt the said
guidelines .
अब जरा तीन चार बार पढ़िये दुसरे पॉइंट को ।
और हमारे तथा HRD एवं NCTE के आर्गुमेंट से
जोड़िये ।आप काफी हद तक समझ जाएंगे ।
और भी बहुत सी बातें हैं इस फैसले में जिसके
कारण इस फैसले के विरोधी इसे इस संघर्ष के
मैग्नाकार्टा की संज्ञा देते हैं ।जिसकी चर्चा
बाद में या यथा संभव अगली पोस्ट में करूंगा ।
खैर इस फैसले के बाद दो घटनाएं घटी ।पहली
31 मई 2013 के पूर्णपीठ के इस जजमेंट को
अगस्त 2013 में रामप्रकाश आदि ने सुप्रीम
कोर्ट में चुनौती दी इस बात की सूचना हमें खरे
साहब से मिली दूसरी बात और उन्होंने नसीहत
भी दी इसका सेफ रहना आप सभी के लिए जरूरी
है ।
दूसरा जस्टिस अशोक भूषण व जस्टिस विपिन
सिन्हा की खंडपीठ ने पूर्ण पीठ के फैसले में
ऊपर लिखी गयी बातों का हवाला देते हुए 72825
शिक्षक भर्ती के पुराने विज्ञापन को बहाल कर
दिया और वेटेज न दिए जाने तथा संविधान के अनु
14 के उल्लंघन के कारण 15वें संशोधन को
निरस्त कर दिया ।
अति महत्व पूर्ण बात की विपक्षियों को इस बात
अंदाज ही नहीं था कि पूर्ण पीठ वेटेज को
बाध्यकारी बता देगी जबकि हम पार्टी ही इसी
लिए बने थे टेट और टेट वेटेज बाध्यकारी हो ।
इसके लिए कई राज्यों की शिक्षक भर्तियों की
नियमावलियों का सहारा लिया गया ।
खैर 72825 भर्ती की फाइनल बहस में भी ncte के
वकील रिजवान अली अख्तर से उनका पक्ष सुना
गया ।
Sri Rizwan Ali Akhtar appearing for the
national council for teachers education has
also been heard.
लेकिन इस बार रिजवान साहब ने पलटी मारने की
व्यक्तिगत कोशिश की परन्तु कामयाब नहीं हुए ।
और भरी अदालत में जस्टिस भूषण ने इन्हें
आइना दिखा दिया ।जस्टिस भूषण ने इनसे कहा
कोई बात नहीं हम आपका परस्पर विरोधाभाषी
बयान आदेश में रिकॉर्ड करवा दे रहे हैं रिजवान
साहब अपने ऊपर लगे ठहाके को बर्दाश्त नहीं
कर पाए और अदालत से निकल लिए ।जहाँ तक
मुझे याद पड़ रहा है यह साल 2013 के नवम्बर
महीने का आठवाँ दिन था ।
अब थोड़ा सा हालात -ए-दिल्ली पर नजर डालते
हैं ।
पूर्ण पीठ के इस फैसले को जिसमें टेट और टेट
वेटेज दोनों को अनिवार्य बताया गया था
रामप्रकाश शर्मा इत्यादि ने सुप्रीम कोर्ट में
चैलेंज किया और अभिषेक मनु सिंघवी , दुष्यंत दवे
और डॉ राजीव धवन ने इस आदेश पर स्टे की
मांग की ।जस्टिस बी एस चौहान और जस्टिस जे
चेलमेश्वर ने स्टे देने से दो टूक मना कर दिया ।
इस बीच 72825 का मामला भी हाइकोर्ट से
डिसाइड होकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और इसी के
साथ टैग होगया ।और जस्टिस चौहान की कोर्ट
से रिलीज होकर दोनों मामले एक साथ जस्टिस
यच यल दत्तू और जस्टिस एस ए बोबडे की
कोर्ट में लगे ।
25 मार्च सन 2014 ......... एक ऐताहासिक दिन
.........जब उच्चतम न्यायालय ने टेट मेरिट से
भर्ती का आदेश किया आइये जरा इस दिन की
बहस देखते हैं...
सरकार की तरफ से मुकुल रोहतगी हमारी तरफ पी
यस पटवालिया ।
पूरी बहस में जहाँ जस्टिस बोबडे साहब
अकैडमिक के सीधे खिलाफ थे और प्रतियोगी
परीक्षा को सर्वोत्तम मान रहे थे वहीं जस्टिस
दत्तू ने रोहतगी से कहा मुझे सिर्फ दो बात
समझाइये पहली आप शुड गिव वेटेज से क्या
समझते हैं और दूसरी यह की आपने अपने
(स्वनामधन्य) 15वें संशोधन में tet के स्कोर को
कितना वेटेज दिया है इतना ही बता दीजिए ।क्या
जवाब दिया होगा रोहतगी ने आप खुद समझ
सकते हैं......परिणाम स्वरूप 12वें संशोधन को हरी
झंडी दिखाई देश की सबसे बड़ी अदालत नें ।
खैर भर्ती नहीं हुई कंटेम्प्ट फाइल हुआ और
मैराथन काउंसिलिंग का श्री गणेश हुआ इसी बीच
मुकदमा पुनः एक नई पीठ में सुनवाई के लिए सूची
बद्ध हो गया ।यह पीठ थी जस्टिस दीपक मिश्रा
और जस्टिस यूयू ललित की ।10,11,16 और 17
दिसम्बर 2014 को बहस हुई ।
इन चार दिनों की बहस में एक ही मुख्य मुद्दा
था....... @@शुड गिव वेटेज @@ ।
चूंकि बात ncte की भूमिका की हो रही है इस लिए
आपको सीधे लिए चलते हैं 16 दिसम्बर 2014 की
बहस पर ।भारत सरकार के वकील सॉलिसिटर
जनरल ऑफ़ इंडिया श्री रंजीत कुमार को
जस्टिस दीपक मिश्रा शिक्षक भर्ती मामले और
RTE एक्ट की सही व्याख्या के लिए अमाइकस
क्यूरी अर्थात न्यायमित्र नियुक्त कर चुके थे ।
16 दिसम्बर की बहस में जस्टिस मिश्रा ने एक
बार पुनः ncte अधिवक्ता से शुड गिव वेटेज पर
ncte का मन्तब्य स्पष्ट करने को कहा लेकिन
उनका जवाब न तो समुचित था न ही कोर्ट उससे
संतुष्ट । इसके बाद जस्टिस मिश्रा ने कोर्ट में
मौजूद इस केस के न्यायमित्र भारत सरकार के
वकील सॉलिसिटर जनरल रंजीत कुमार से कहा
कि आप ncte के सक्षम प्राधिकारियों /
उच्चाधिकारियों से शुड गिव वेटेज के मसले पर
सम्पूर्ण ब्रीफ लेकर आएं और कल कोर्ट को
अवगत कराएं ।
खैर अगले दिन यानि 17 दिसम्बर 2014 को बहस
पुनः प्रारम्भ हुयी ।सरकार की तरफ से श्री
रमणी वेटेज पर कोर्ट को संतुष्ट नहीं कर पाए ।
अब बारी थी सॉलिसिटर जनरल रंजीत कुमार की
.............
उन्होंने कोर्ट को अवगत कराया की वे कोर्ट के
आदेशानुसार ncte के अधिकारियों से पूर्ण
मशविरा करके आये हैं ।
अब बारी थी जस्टिस यूयू ललित की उन्होंने
पहला प्रश्न किया सॉलिसिटर जनरल से की
वेटेज से आपका यानी ncte का क्या आशय
है ????
उन्होंने जवाब दिया चयन प्रक्रिया में tet में
प्राप्त अंको को वरीयता दी जानी चाहिए ।
जस्टिस ललित ने कहा कि इस केस के संदर्भ में
उदाहरण देकर समझाइये ।
सॉलिसिटर जनरल रंजीत कुमार ने कहा यदि
अकैडमिक के अंकों के आधार पर भर्ती हो रही है
तो अकेडमिक 49% और TET स्कोर 51% होना
चाहिए ।
जस्टिस यूयू ललित ने अगला प्रश्न किया कि
यदि TET स्कोर को 51%से100%तक वरीयता दी
जाय तो ??
सॉलिसिटर जनरल ने कहा नो प्रॉब्लम,
अकॉर्डिंग लॉ ।
जस्टिस यूयू ललित ने अगला और सबसे महत्व
पूर्णप्रश्न किया कि केवल और केवल tet के
स्कोर को ही चयन का आधार बनाया जाय यानी
टेट को 100%वेटेज दिया जाय तो
सॉलिसिटर जनरल रंजीत कुमार ने कहा नो
प्रॉब्लम, करेक्ट इन लॉ ।
कोर्ट ने सभी पक्षों से कहा अब बस
...........हफ्ते भर से बहुत बहस हो गयी हम सभी
को सुन भी चुके हैं और समुचित निष्कर्ष पर भी
पहुँच चुके हैं..........
अब कोर्ट ने 17 दिसम्बर 2015 को एक अंतरिम
आदेश पारित किया कि 97/105 अंक तक प्राप्त
करने वालों की नियुक्ति नियुक्ति करिये वो भी टेट
मेरिट से ।और 6 हफ्ते के अंदर ।साथ ही साथ 6
हफ्ते के अंदर कम्प्लायंस रिपोर्ट लेकर आइये ।
और हाँ बिना कंप्लायंस रिपोर्ट के इधर मत
पधारियेगा ।
एक बहुत ही महत्वपूर्ण बात .......17 दिसम्बर
2014 को कोर्ट ने पहले मिनिमम क्राईटेरिया तय
किया था सामान्य वर्ग के लिए 75% यानी 112
अंक तथा आरक्षित वर्ग के लिए 70 प्रतिशत
यानी 105 अंक .और और दिल्ली से प्रकाशित
दैनिक समाचार पत्र हिंदुस्तान ने 18 दिसम्बर
2014 को यही खबर भी छाप दी की सामान्य वर्ग
75%औरआरक्षित वर्ग 70 प्रतिशत की ही
नियुक्ति होगी ।उस दिन मुझे खुद डायस तक
जाना पड़ा और यह दूसरा मौका था जब मैं सुप्रीम
कोर्ट में बहस के दौरान डायस तक पहुंचा और
अधिवक्ताओं की बड़ी हील हुज्जत के बाद कोर्ट
ने मिनिमम कट ऑफ 97 और 105 तय किया ।
दो सवाल उठते हैं ........................
पहला ये की क्या कोर्ट को ये पता नहीं था टेट में
60 प्रतिशत अंक होने पर आप टीचर बनने के
काबिल हैं ।
दूसरा सवाल यह की जो 83 से 96 तक रिज़र्व
कोटे में और 90 से 104 तक सामान्य कोटे से हैं
वो कहां जाएंगे क्या यह बात कोर्ट के मनो
मस्तिष्क में नहीं आयी होगी ??निश्चित ही आयी
होगी ।। फिर 97/105 का आदेश क्यों ???
वास्तव में ncte को मिनिमम क्वालिफिकेशन तय
करने का अधिकार है और उसने यही किया भी
है....................
ग्रेजुएशन मिनिमम 50%
Tet मिनिमम 60%
मिनिमम शब्द का आशय ही यही है कि इससे कम
नहीं ।अर्थात इससे ज्यादा हो सकता है ।मतलब
सक्षम प्राधिकारी अर्थात नियोक्ता चाहे तो
स्नातक को 60 प्रतिशत और tet को 70
प्रतिशत कर सकती है या 75 प्रतिशत कर
सकती है टीचर बनने लिए ।और विधि सम्मत भी
होगा आप कानूनी तौर पर सरकार को गलत नहीं
ठहरा पाएंगें ।ncte act और Rte एक्ट की
वास्तविक मंशा भी यही है । सामान्य सी बात
मानक के न्यूनतम स्तर को आप यथा संभव
युक्तियुक्त तरीके से उच्चस्तर पर ले जा सकते
हैं ।और यदि """"""राज्य सरकार के पास
न्यूनतम मानक अर्थात पात्रता से अधिक योग्यता
रखने वाले यानी अधिक गुणवत्ता वाले व्यक्ति
मौजूद हैं तो वह इस न्यूनतम को और और ऊपर
ले जा सकती है । और राज्य सरकार यदि कर
सकती है तो देश की सबसे बड़ी अदालत क्यों
नहीं ।और कोर्ट ने वही किया भी । मिनिमम 70
प्रतिशत यानि 105 तय कर दिया ।जहां अभ्यर्थी
नहीं मिल रहे थे (रिज़र्व कैटेगरी)वहां घटाया
अन्यथा नहीं ।
बात स्पष्ट है कि 97 /105 का आदेश लिखाते
समय कोर्ट के मनोमष्तिष्क में पात्रता या
योग्यता के साथ साथ गुणवत्ता भी स्पष्ट रूप से
अपना स्थान बना चुकी थी ।इस लिए कोर्ट के
मानक ncte के मिनिमम मानक से उच्च थे ।
थोड़ा मैक्सिमम भी देख लीजिए.......
The validity period of tet qualifying
certificate for appointment will be decided
by the appropriate government subject to a
maximum of seven years for all categories .
मने अधिकतम 7 वर्ष तक है सरकार चाहे तो 6
वर्ष भी कर सकती है किंतु जहाँ मिनिमम लिखा
व्हाहं सिर्फ एक रास्ता है जो उससे ऊपर की
तरफ जाता है ।
अब थोड़ा सा और आगे चलिए जुलाई 2015 में भी
बहस हुई ।आज के जस्टिस यल नागेश्वर राव
जो की उस समय हमारी तरफ बहस कर रहे थे
उनसे भी जस्टिस मिश्रा ने शुड गिव वेटेज का
अभिप्राय जानना चाहा ।उन्होंने भी 12 वें
संशोधन के परिप्रेक्ष्य में बेहतरीन ढंग से वेटेज
के पक्षक में अपने तर्क दिए ।अदालत संतुष्ट
भी थी ।
इसके पश्चात गत 26 एवम 27 अप्रैल को 72825
के मसले पर फाइनल बहस हुई कोर्ट ने स्पष्ट
रूप से कहा कि 15वें संशोधन में tet को कोई वेटेज
नहीं दिया गया है और इस मसले पर बार बार
क्वेरी के बावजूद विपक्ष से कोई भी कोर्ट को
संतुष्ट नहीं कर पाया और कोर्ट ने 27 को बाद
दोपहर अपना फैसला सुरक्षित कर लिया ।
ये तो रही prt की बात अब आइये jrt एवम BTC
समेत अन्य अकैडमिक भर्तियों के सन्दर्भ में
NCTE की भूमिका की चर्चा करते हैं............
............
साल 2013 की जुलाई में उत्तर प्रदेश सरकार
की एक राजाज्ञा के बाद अगस्त सन 2013 में
29334 गणित विज्ञान शिक्षकों की भर्ती
विज्ञापन प्रकाशित कर दिया गया । मेरा माथा
ठनका ।
कारण बहुत सीधा और सरल था हमारी सीधी
लड़ायी अकैडमिक क्राईटेरिये के खिलाफ थी और
सरकार अकैडमिक क़्वालिटी पॉइंट से भर्ती पर
भर्ती किये जा रही थी ।
ध्यान रहे की ये पहला विज्ञापन था जो की पूर्ण
पीठ के वेटेज की अनिवार्यता के फैसले के
पश्चात विना वेटेज प्रकाशित किया गया था ।
अब हमारी गाड़ी थॉर्नहिल रोड की तरफ दौड़
रही थी । थोड़ी देर में मैं और खरे साहब आमने
सामने थे ।खरे साहब ने कहा ये सारी भर्तियां
संख्याबल के आधार पर सहानुभूति प्राप्त करने
के लिए की जा रही हैं ।
आपको बता दें jrt में टेट वेटेज के मसले पर किसी
सज्जन की याचिका खारिज हो चुकी थी (उन
सज्जन और उनके अधिवक्ता का नामोल्लेख
आवश्यक नहीं है )जस्टिस विक्रमनाथ की कोर्ट
से ।फिर भी उसी कोर्ट में इसे दुबारा चैलेन्ज
करने का निर्णय लिया ।खरे साहब ने क़्वालिटी
एजुकेशन,क्लाज9बी,और पूर्ण पीठ के निर्णय
के पैरा 88 पर बहस की ।रिट ए57476/2013
शिव कुमार पाठक बनाम उत्तर प्रदेश सरकार ।
सरकार को नोटिस इशू हुयी और काउंटर माँगा
गया ।
तारीख 12 महीना नवम्बर सन 2013 जस्टिस
विक्रमनाथ की कोर्ट का रुख देखते हुए सरकार
के तरफ से पेश अधिवक्ता ने बताया सिमिलर
कॉन्ट्रोवर्सी पर डिवीजन बैंच ने फैसला
सुरक्षित कर लिया है जो 20 नवम्बर को आ रहा
है हम उसे ही फॉलो कर लेंगे ।
अब जस्टिस भूषण का फैसला आचुका था ।15th
अमेंडमेंट निरस्त हो चूका था ।jrt की भर्ती रुक
चुकी थी ।
उधर सरकार सुप्रीम कोर्ट गई और दिल्ली में
मेरी व्यस्तता बढ़ गयी और इधर इलाहाबाद हाई
कोर्ट में कुछ लोगों ने तथ्य छुपाकर भर्ती का
आदेश कराया और काउंसिलिंग शुरू हो गयी ।
खैर इसके बाद जूनियर भर्ती की विचारधीन
याचिका स्थानांतरित होकर जस्टिस सुधीर
अग्रवाल के यहाँ पहुँच गयी और यही वो दौर था
जब योगेंद्र ने jrt भर्ती की जिम्मेदारी थोड़ा थोड़ा
सम्भालनी शुरू कर दी थी और मेरा काम आसान
होने लगा था ।
जस्टिस अग्रवाल ने फैसला सुनाया विपक्ष ने
मजाक उड़ाया ।कारण ये था कि विपक्ष बहुत देर
में जान पाया कि 15th और 16th अमेंडमेंट jrt के
परिप्रेक्ष्य में भी निरस्त हो चुका है और jrt की
नई सूची बनाने का आदेश जारी हुआ है ।।
खैर अब अपील की बारी विपक्ष की थी ।विपक्ष
ने अपील की ।कुछ दिन चीफ जस्टिस चंद्रचूड़
की पीठ में कुछ दिन जस्टिस अरुण टंडन की
खंडपीठ में और अंतिम रूप से वर्तमान चीफ
जस्टिस श्री डी बी भोषले की खंडपीठ में सुनवाई
हुई ।
यहां पर एक नितांत ही नयी पैरवी की प्रक्रिया की
शुरुआत हुई जिसका सीधा संबंध #NCTE से था
और यह थी .........................
RTI यानि जनसूचना आधारित पैरवी ।
और वास्तव में दोनों तरफ से मोर्चे पर डटी
सेनाओं में ऐसे महारथी है जिनकी पूरी की पूरी
वीरगाथा ही RTI बेस्ड यानी जनसूचना पर
आधारित है ।उनके लिए RTI से प्राप्त सूचना वो
मिसाइल है जिसकी मारक क्षमता से भारत का
संविधान भी कभी कभी ज्वर ग्रस्त हो जाता है
फिर एजुकेशन या उसके सर्विस रूल की क्या
औकात है ।
ऐसा मैं अनायास नहीं कह रहा हूँ पिछले कुछ
सप्ताह में मैनें देखा की सोशल मीडिया पर ऐसी
कुछ RTI से प्राप्त सूचनाओं की कुछ प्रतियां ही
संवैधानिक प्रावधानों की व्याख्या करने लगी कुछ
और भी पुनीत काम करने लगीं आदि
आदि............
विषयांतर हो गया पुनः विषय यानी NCTE पर
लौटते हैं। ऐसी ही कुछ सूचनाएं NCTE के बाबुओं
ने RTI के अंतर्गत बांट रखी थी की TET मात्र
पात्रता परीक्षा है ।आगे राज्य सरकार जाने उसे
क्या करना है उससे NCTE का कोई लेना देना नहीं
है ।
Jrt मैटर में इन्हीं RTI की प्रतियों की तैनाती भोषले
साहब के कोर्ट में अग्रिम मोर्चे पर की गयी ताकि
कम से कम कुछ देर की ही सही अटेंशन तो मिले
।वैसे भी बीच सड़क पर दगे पटाखे से भी यदि
धुंआ निकल रहा हो तो भी शंकावश
मोटरसायकिल सवार रुकते ही हैं ।
खैर खरे साहब एक बार फिर 24 कैरेट खरे निकले
और चीफ जस्टिस और यशवंत वर्मा की खंडपीठ
ने 15 वें एवम 16 वें संशोधन को एक बार पुनः
अल्ट्रा वायरस कर समस्त अकैडमिक भर्तियों
को जो की अभी तक चैलेंज की गयी थी उनके
भविष्य को सिविल अपील के अंतिम निर्णय पर
निर्भर कर दिया ।रही बात ncte के बाबुओं
द्वारा जारी की गयी rti की प्रतियों की तो वे
कोर्ट में कुछ पन्नो की बर्बादी से ज्यादा और
कुछ नहीं थी ।
चीफ जस्टिस भोषले और यशवंतवर्मा की
खंडपीठ ने इसी दिन एक और अपील डिसाइड की
जो जूनियर भर्ती से भी ज्यादा महत्वपूर्ण थी ।
वह थी सीता राम की अपील जिसके साथ एक और
अपील टैग थी इन दोनों में ncte की गाइड लाइन
11 फरवरी के क्लॉज़ 9 बी को अल्ट्रा वायरस
करने की प्रेयर थी जिसे चीफ जस्टिस की पीठ ने
किसी एनालिसिस के योग्य नहीं समझा और सीधे
डिसमिस किया ।
15 th और 16th दोनों,जो की मैदान ए जंग में 20
नवम्बर 2013 को व 18 अगस्त 2015 को शहीद
हो चुके थे उनको एक बार पुनः शहीद करने का
उपक्रम संपन्न हुआ ।
हारे हुए पक्षकार सुप्रीमकोर्ट जाना होता ही है
सो अकैडमिक टीम भी सुप्रीमकोर्ट पहुंची ।
हमने भी अपील की किन्तु बात सिर्फ इतनी थी
15th और 16th रद्द तो कर दिया गया किन्तु
इनको हटाया नहीं गया ।या तो इनको हटाया जाए
या फिर प्रभावित लोगों को अंतरिम राहत प्रदान
की जाय ।मने आपरेसन सफल रहा किन्तु किन्तु
पेसेंट को कोई राहत नहीं ।
बीच में जब jrt मैटर पर सुनवाई हाई कोर्ट में
लंबित थी दीपक शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में एक
याचिका की जिसमे क्लॉज़ 9 बी को चुनौती दी गयी

और जब हाइकोर्ट की डिवीजन बेंच ने jrt पर
जजमेंट दे दिया तो तो विपक्ष ने दो प्रकार की
अपील की एक में उन्होंने 1 दिसम्बर के आदेश
को चुनौती दी जबकि दूसरे में यानि विक्रमादित्य
की slp में उन्होंने NCTE की 11 फरवरी की गाइड
लाइन के क्लाज 9B को चुनौती दी ।विक्रमादित्य
की यह slp भी NCTE के RTI बम से लैस है ।
अब उत्तर प्रदेश के समस्त प्रकार के शिक्षक
दिल्ली पहुँच चुके हैं ।आइये अब चर्चा करते हैं
दिल्ली दरबार की.......और एक एक करके मामलों
का विश्लेषण करते हैं ...............
1:: सर्वप्रथम रामप्रकाश की SLP :यह SLP,
TET और टेट वेटेज को अनिवार्य बताने वाले
पूर्ण पीठ के फैसले के खिलाफ थी जो की
जस्टिस यू यू ललित और जस्टिस दीपक मिश्रा
की कोर्ट में दिसम्बर 2014 में ही दम तोड़ चुकी
है ।
2:: सिविल अपील 4347::72825 मामले पर हुयी
इस सिविल अपील में 9बी के आधार पर प्रथम
दृष्टया 12वें संशोधन को सही और 15वें संशोधन
को गलत मानते हुए TET मेरिट से 66000
नियुक्तियां कोर्ट ने अपनी देखरेख में संपन्न
कराईं और अब गत 27 अप्रैल को जजमेंट रिसर्व
कर लिया गया ।
3:: दीपक शर्मा की अपील :यह अपील एक
प्रकार से सीता राम पार्ट 2 ही थी ।जैसे
सीताराम ने हाई कोर्ट में क्लाज 9b को चैलेन्ज
किया था वैसे ही दीपक शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में
क्लाज 9 b यानि शुड गिव वेटेज को चैलेन्ज किया
।परिणाम .............जैसे सीता राम की याचिका की
एकल पीठ और CJ की खंडपीठ ने डिसमिस कर
दी थी ठीक उसी प्रकार से दीपक शर्मा की 9b
शुड गिव वेटेज के खिलाफ इस याचिका को
जस्टिस ए के गोयल और यूयू ललित नें जनाब
सलमान खुर्शीद की तमाम कोशिश के बावजूद
गुजरे 13अप्रैल 2017 को ख़ारिज कर दी ।
4::हमारी एवम योगेंद्र यादव की SLP 2417 जिसमें
इनको पद से हटाए जाने की मांग की गयी है इन
पर फैसला सुरक्षित ।
5::15वें संशोधन से नियुक्त BTC अभ्यर्थियों की
याचिका फैसला सुरक्षित ।
6::अब 6 वीं और अंतिम विक्रमादित्य की slp
1121 ।ये भी सीताराम और दीपक शर्मा के नक्से
कदम पर ही है या यूं कहें कि ऐसी पार्ट 3 है जो
सीताराम और दीपक शर्मा को रीमिक्स करके
बनायी गयी है ।इसी पर समस्त अकैडमिक
भर्तियों का भविष्य टिका है इसका भी परिणाम
सुरक्षित कर लिया गया है उन्हीं जस्टिस गोयल
और जस्टिस ललित की पीठ में जिन्होंने 13
अप्रैल को दीपक शर्मा की याचिका को डिसमिस
कर दिया है ।।
लेकिन विक्रमादित्य slp पर हो रही चर्चा को
विस्तार देना पड़ेगा कारण क्योंकि इसीको लेकर
NCTE के मेम्बर सेक्रेटरी से हलफनामा माँगा
गया ।हलफनामा क्यों माँगा गया इसकी चर्चा
विस्तार से पिछली पोस्ट में कर चूका हूँ ।रही
बात Ncte के ""विद्वान"" अधिवक्ता नायर की
तो पोस्ट में मैंने रिजवान अली अख्तर की जो
भूमिका हाई कोर्ट में विवेचित की है उसी से साम्य
स्थापित कर लीजिए । अब आइये जरा काउंटर के
आदेश पर.....
आदेश के ऊपर की तीन लाइन अभी फिलहाल
छोड़ रहा हूँ अगला पैरा..........
Ms Asha G. Nair,learned counsel for the
NCTE states that the member secretary of
NCTE will file an affidavit by Monday the
22nd may ,2017 about the stand with
regard to circular dated 11-02-2011(page
48) on the one hand and the clarification
dated 02-09 2016(page 733) under the right
to information act on the other.
मैंने पिछली पोस्ट में चर्चा की थी की दादा जी से
हलफ नामा माँगा गया है ।
अब इस पोस्ट के पहले पैरा पर वापस लिए चलते
हैं ।विपक्ष ने पहला और अंतिम पेज ही क्यों
सार्वजानिक किया ???ये बात सोचने पर मजबूर
करती है ।
वास्तव पे हलफनामे की शुरुआत यानि पहले पेज
पर यही होता है कि मैं फला मेरे पिता जी फला
उम्र लगभग इतना वर्ष निवेश स्थान अमुक फला
पद पर इस कार्य के लिए अधिकृत हूँ ।
और अन्तिम पेज पर ........मैंने अपने बेहतर
ज्ञान के आधार पर जो कुछ भाखा है वह सच है
।न तो कुछ झूठ है न ही कुछ छिपाया गया है ।
सत्य के लिए ईश्वर मेरी मदद करे ।और वो
करेगा भी ।
पर सवाल ये है कानून के निर्वचन में इन दोनों
पन्नों की भूमिका क्या है ......ये तो शपथ पत्र की
परंपरागत प्रक्रिया है ।
अब सवाल ये उठता है कि बाकी के पेज क्यों नहीं
पड़े इसलिए नहीं पड़े क्योंकि वो योग्यता और
गुणवत्ता के नाम समर्पित थे ।
अब जितने भी पेज काउंटर के हैं आइए क्रमागत
ढ़ंग से चर्चा की जाय ।
पेज 1
पर वही कि मैं फला हूँ और सेक्शन 23(1) के
अंतर्गत न्यूनतम योग्यता तय करने हेतु सक्षम
प्राधिकार की बात की गयी है ।
पेज 2 3 4 5
इन चारों पेजों में अध्यापक बनने की न्यूनतम
योग्यता का उल्लेख है यानि 23 अगस्त 2010 की
अधिसूचना को ही शपथ पत्र का रूप देते हुए पहले
भाग में शामिल किया गया है ।
पेज 6
यहाँ 2001 के रेगुलेशन का उल्लेख है ।
पेज 7
यहाँ से असली कहानी की शुरुआत होती है ।यानि
11 फरवरी 2011 की गाइड लाइन यहीं से शुरू
होती है ।
इसी पेज पर अगला पैरा देखिये ....इसमें
Background and Rationale अर्थात इस गाइड
लाइन की पृष्ठभूमि और इसे जारी करने के
विशिष्ट निर्णय या कार्यवाही के आधारवर्ती
सिद्धांत या तर्क दिए गए हैं ये मैंने नहीं खुद ncte
ने दिए हैं ।क्या है आइये देखते हैं..............
The implementation of RTE-Act 2009 requis
a large number of Teachers across the
country in a time bound manner .
अब जरा आगे वाली लाइन ध्यान से पढ़ें
....inspire of the enormity of the task,it is
desirable to ensure that """"""""'''''quality
recruitment for recruitment of Teachers are
not diluted at any cost ."""""""""'''''''''
यही नहीं और आगे भी देखिये दादा जी क्या तर्क
दे रहे हैं...it is therefore necessary to ensure
that persons recruited as teachers possess
thi essential aptitude and ability to meet
the chalenge of teaching at the primary and
upper primary level . मने दादा जी कह रहे हैं
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