राम राम साथियों, सर्वप्रथम आज मैं मयंक तिवारी माननीय न्यायधीश आदर्श कुमार गोयल जी और माननीय न्यायधीश उदय उमेश ललित जी को धन्यबाद ज्ञापित करना चाहूंगा। आपने 11अप्रैल, 26अप्रैल, 27अप्रैल, 2मई, 3मई, 5मई, 8मई, 9मई, 17मई व् 19मई को कोर्ट बन्ध हो जाने के बाद भी लगातार सुनवाई करते हुए आपने छः से सात साल की इस मैराथन न्यायिक लड़ाई को बेहतरीन ढंग से सुना और बेहद ही शानदार तरीके से आप उसका अंत करने जा रहे है।
सुप्रीम कोर्ट ने फाइनल हियरिंग में उन सभी पिटिशनर्स को पूरा समय दिया जिनके विरुद्ध हाइकोर्ट के फैसले थे। वस्तुतः इलाहाबाद हाइकोर्ट के समस्त आदेश इतनी मजबूती से लिखे गए है कि उसमें कहीं कुछ भी शेष नही है फिर भी न्यायिक प्रणाली के तहत सुप्रीम कोर्ट ने पूरा समय दिया है ताकि भविष्य में कोई यह प्रश्न ना उठा सके कि हमें बिना सुने ही फ़ैसला सुना दिया गया।
माननीय अशोक भूषण जी का आदेश इसलिए सही माना गया है क्योंकि अखिलेश सरकार ने चल रही प्रक्रिया का नियम बीच में बदल दिया था और खेल के नियम को किसी भी दशा में बीच में बदला नही जा सकता और जहाँ तक प्रश्न है यूपीटीईटी२०११ परीक्षा में माल-प्रेक्टिस का तो कोर्ट का सीधा कथन है कि बेड पार्ट को गुड पार्ट से अलग करके योग्य अभ्यर्थियों का चयन किया जाये और NCTE के अनुसार टेट परीक्षा का जब भारांक दिया जाना चाहिए (should) तो वह शत-प्रतिशत (टेट मेरिट) भी रखा सकता है।
माननीय डी बाई चन्द्रचूड़ जी का आदेश इसलिए सही माना जायेगा क्योकि राज्य सरकार ने उस संशोधन को किया जिसको करने का उन्हें अधिकार ही नही है। (19वाँ संशोधन, शिक्षामित्रों को टेट से मुक्त करना) यह अधिकार सिर्फ केंद्र को है जहाँ से किसी भी प्रकार की कोई छूट नही दी गयी है। इसके अतिरिक्त बिना किसी विज्ञप्ति, बिना आरक्षण का प्रयोग किये ही समायोजन प्रक्रिया पूरी की गयी। यहाँ विशेष बात यह भी है कि उक्त पूरी प्रक्रिया को योग्य शिक्षकों की कमी बताकर किया गया जबकि प्रदेश में लाखों की संख्या में योग्य अभ्यर्थी उपलब्ध थे/है।
माननीय डी बी भोषले जी का आदेश NCTE की पूरी गाइडलाइन को समेटे हुए है। 9B से लेकर पैरा 11 तक की उन्होंने पूरी व्याख्या की है। आदेश के पेज 47, 48, 49, 50 और 51 पर वेटेज शब्द को कई शब्दकोश से परिभाषित किया है जिसके निष्कर्ष में आदेश में स्पस्ट रूप से लिखा है कि वेटेज को किसी भी दशा में इग्नोर नही किया जा सकता। NCTE ने जो काउंटर यहाँ सुप्रीम कोर्ट में लगाया है वह वही है जिस पर यह आदेश हुआ था।
अतः माननीय सुप्रीम कोर्ट से उक्त सभी आदेशों में किसी भी प्रकार के परिवर्तन की कोई सम्भावना नही है। RTEएक्ट09 के अनुपालन हेतु कोर्ट निश्चित रूप से पद वृद्वि जैसे निर्देश अंतिम आदेश में अवश्य देगी जोकि बीएड-टीईटी२०११ पास लगभग समस्त अभ्यर्थियों हेतु संजीवनी का कार्य करेगी।
यहाँ आप सभी की जानकारी हेतु एक बार पुनः स्मरण दिला दूँ कि हमारी टीम द्वारा 1100एडहॉक नियुक्ति वाले आदेश के अनुरूप ही याची लाभ हेतु सिविल अपील CA4347/2014 में दाखिल की गयी समस्त आई ऐ
IA315 शालिनी विश्वकर्मा व् 26 अन्य,
IA364 विनोद कुमार सोनी व् 1 अन्य,
IA428 गजराम सिंह व् 518 अन्य,
IA431 शैलेंद्र कुमार सिंह व् 8996 अन्य,
IA446 सुरेंद्र मोहन शर्मा व् 222 अन्य,
IA544 अमित कुमार व् 6849 अन्य,
IA617 कीर्ति बादल व् 80 अन्य,
IA नीलेश कुमार शुक्ला व् 695 अन्य,
पर रिटेन सब्मिसन जमा करा दिया गया है।
इसके अतिरिक्त हमारी टीम से जुड़े सभी अभ्यर्थियों को हमने शिक्षामित्रों की SLP36033/2015 में भी जोड़ा है
IA5 शैलेंद्र कुमार सिंह व् 8996 अन्य
IA शशांक सिंह सोलंकी व् 8549 अन्य
शिक्षामित्रों के विरुद्ध SLP व् उक्त दोनों IA पर भी रिटेन सब्मिसन जमा करा दिया गया है।
इसके साथ ही समस्त बीएड/टी ई टी२०११ पास अभ्यर्थियों के चयन हेतु दाखिल हमारी परमादेश याचिका WP244/2016 अमित कुमार व् अन्य पर भी रिटेन सब्मिसन जमा कर दिया है।
वैसे तो हमारी टीम द्वारा दाखिल सभी महत्वपूर्ण याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान ही एडवोकेट मेहुल एम् गुप्ता द्वारा तैयार किया गया रिटेन सब्मिसन और रिटेन कम्पायलेसन सीधे ही माननीय न्यायधीश ऐ के गोयल जी और माननीय न्यायधीश यू यू ललित जी को उनकी टेबल पर दिया गया था जिस पर बहस करते हुए सीनियर एडवोकेट हीरेन पी रावल जी और सीनियर एडवोकेट विभा दत्ता मखीजा जी द्वारा सभी प्रमुख बिंदुओं को स्वयं न्यायधीशों द्वारा अंडरलाइन भी करवा दिया था। जोकि आने वाले अंतिम आदेश का प्रमुख आधार भी बनेगा।
साथियों आप सभी के सहयोग, साथ, विश्वास और हमारे सामूहिक प्रयाशों के बाद मैं पूरी जिम्मेदारी के साथ यह कह सकता हूँ कि "आपका प्राथमिक विद्यालय अब सिर्फ आपकी प्रतीक्षा में बड़ी बेसब्री से दोनों बाहें खोलकर आपके स्वागत में खड़ा है।"
आप सभी का आने वाला हर पल मंगलमय हो।
इन्ही शुभ कामनाओं के साथ
आपका मयंक तिवारी
बीएड/टेट उत्तीर्ण संघर्ष मोर्चा
उत्तर प्रदेश
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सुप्रीम कोर्ट ने फाइनल हियरिंग में उन सभी पिटिशनर्स को पूरा समय दिया जिनके विरुद्ध हाइकोर्ट के फैसले थे। वस्तुतः इलाहाबाद हाइकोर्ट के समस्त आदेश इतनी मजबूती से लिखे गए है कि उसमें कहीं कुछ भी शेष नही है फिर भी न्यायिक प्रणाली के तहत सुप्रीम कोर्ट ने पूरा समय दिया है ताकि भविष्य में कोई यह प्रश्न ना उठा सके कि हमें बिना सुने ही फ़ैसला सुना दिया गया।
माननीय अशोक भूषण जी का आदेश इसलिए सही माना गया है क्योंकि अखिलेश सरकार ने चल रही प्रक्रिया का नियम बीच में बदल दिया था और खेल के नियम को किसी भी दशा में बीच में बदला नही जा सकता और जहाँ तक प्रश्न है यूपीटीईटी२०११ परीक्षा में माल-प्रेक्टिस का तो कोर्ट का सीधा कथन है कि बेड पार्ट को गुड पार्ट से अलग करके योग्य अभ्यर्थियों का चयन किया जाये और NCTE के अनुसार टेट परीक्षा का जब भारांक दिया जाना चाहिए (should) तो वह शत-प्रतिशत (टेट मेरिट) भी रखा सकता है।
माननीय डी बाई चन्द्रचूड़ जी का आदेश इसलिए सही माना जायेगा क्योकि राज्य सरकार ने उस संशोधन को किया जिसको करने का उन्हें अधिकार ही नही है। (19वाँ संशोधन, शिक्षामित्रों को टेट से मुक्त करना) यह अधिकार सिर्फ केंद्र को है जहाँ से किसी भी प्रकार की कोई छूट नही दी गयी है। इसके अतिरिक्त बिना किसी विज्ञप्ति, बिना आरक्षण का प्रयोग किये ही समायोजन प्रक्रिया पूरी की गयी। यहाँ विशेष बात यह भी है कि उक्त पूरी प्रक्रिया को योग्य शिक्षकों की कमी बताकर किया गया जबकि प्रदेश में लाखों की संख्या में योग्य अभ्यर्थी उपलब्ध थे/है।
माननीय डी बी भोषले जी का आदेश NCTE की पूरी गाइडलाइन को समेटे हुए है। 9B से लेकर पैरा 11 तक की उन्होंने पूरी व्याख्या की है। आदेश के पेज 47, 48, 49, 50 और 51 पर वेटेज शब्द को कई शब्दकोश से परिभाषित किया है जिसके निष्कर्ष में आदेश में स्पस्ट रूप से लिखा है कि वेटेज को किसी भी दशा में इग्नोर नही किया जा सकता। NCTE ने जो काउंटर यहाँ सुप्रीम कोर्ट में लगाया है वह वही है जिस पर यह आदेश हुआ था।
अतः माननीय सुप्रीम कोर्ट से उक्त सभी आदेशों में किसी भी प्रकार के परिवर्तन की कोई सम्भावना नही है। RTEएक्ट09 के अनुपालन हेतु कोर्ट निश्चित रूप से पद वृद्वि जैसे निर्देश अंतिम आदेश में अवश्य देगी जोकि बीएड-टीईटी२०११ पास लगभग समस्त अभ्यर्थियों हेतु संजीवनी का कार्य करेगी।
यहाँ आप सभी की जानकारी हेतु एक बार पुनः स्मरण दिला दूँ कि हमारी टीम द्वारा 1100एडहॉक नियुक्ति वाले आदेश के अनुरूप ही याची लाभ हेतु सिविल अपील CA4347/2014 में दाखिल की गयी समस्त आई ऐ
IA315 शालिनी विश्वकर्मा व् 26 अन्य,
IA364 विनोद कुमार सोनी व् 1 अन्य,
IA428 गजराम सिंह व् 518 अन्य,
IA431 शैलेंद्र कुमार सिंह व् 8996 अन्य,
IA446 सुरेंद्र मोहन शर्मा व् 222 अन्य,
IA544 अमित कुमार व् 6849 अन्य,
IA617 कीर्ति बादल व् 80 अन्य,
IA नीलेश कुमार शुक्ला व् 695 अन्य,
पर रिटेन सब्मिसन जमा करा दिया गया है।
इसके अतिरिक्त हमारी टीम से जुड़े सभी अभ्यर्थियों को हमने शिक्षामित्रों की SLP36033/2015 में भी जोड़ा है
IA5 शैलेंद्र कुमार सिंह व् 8996 अन्य
IA शशांक सिंह सोलंकी व् 8549 अन्य
शिक्षामित्रों के विरुद्ध SLP व् उक्त दोनों IA पर भी रिटेन सब्मिसन जमा करा दिया गया है।
इसके साथ ही समस्त बीएड/टी ई टी२०११ पास अभ्यर्थियों के चयन हेतु दाखिल हमारी परमादेश याचिका WP244/2016 अमित कुमार व् अन्य पर भी रिटेन सब्मिसन जमा कर दिया है।
वैसे तो हमारी टीम द्वारा दाखिल सभी महत्वपूर्ण याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान ही एडवोकेट मेहुल एम् गुप्ता द्वारा तैयार किया गया रिटेन सब्मिसन और रिटेन कम्पायलेसन सीधे ही माननीय न्यायधीश ऐ के गोयल जी और माननीय न्यायधीश यू यू ललित जी को उनकी टेबल पर दिया गया था जिस पर बहस करते हुए सीनियर एडवोकेट हीरेन पी रावल जी और सीनियर एडवोकेट विभा दत्ता मखीजा जी द्वारा सभी प्रमुख बिंदुओं को स्वयं न्यायधीशों द्वारा अंडरलाइन भी करवा दिया था। जोकि आने वाले अंतिम आदेश का प्रमुख आधार भी बनेगा।
साथियों आप सभी के सहयोग, साथ, विश्वास और हमारे सामूहिक प्रयाशों के बाद मैं पूरी जिम्मेदारी के साथ यह कह सकता हूँ कि "आपका प्राथमिक विद्यालय अब सिर्फ आपकी प्रतीक्षा में बड़ी बेसब्री से दोनों बाहें खोलकर आपके स्वागत में खड़ा है।"
आप सभी का आने वाला हर पल मंगलमय हो।
इन्ही शुभ कामनाओं के साथ
आपका मयंक तिवारी
बीएड/टेट उत्तीर्ण संघर्ष मोर्चा
उत्तर प्रदेश
- RTE 2009 के परिप्रेक्ष्य में परिषदीय विद्यालयों में अध्यापकों के पद निर्धारण के संबंध में आदेश जारी
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- शिक्षामित्रों के समायोजन के नियम तै करने की ज़िम्मेदारी राज्य सरकार पर : NCTE
- मुख्य विवादित बिंदु : शिक्षामित्रों , 15वें व 16वें संशोधन से हुयी भर्तियों के संदर्भ में : NCTE ACT & RTE ACT पर एक नजर
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