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अगर ये शिक्षामित्रों का मसला मा० सर्वोच्च न्यायालय में वर्ष 2015 में नहीं उठा होता तो उ०प्र० में आज की स्थिति क्या होती : हिमांशु राणा

निःसंदेह पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपने कार्यकाल में (72,825 + 99,000 अकादमिक , 1,37,000 समाजवादी) लगभग तीन लाख से ज्यादा शिक्षा विभाग में शिक्षकों की ही भर्ती की इसके अलावा भी कई विभाग होंगे जहाँ भर्ती की थी जो कि वाकई अपने आप में रिकॉर्ड है |
लेकिन उससे भी बड़ा रिकॉर्ड है कि समस्त विभागों की समस्त भर्तियां मा० न्यायालयों में आज भी अटकी हैं |
हालात ये है कि वर्तमान सरकार उसी डर से भर्तियां करना तो दूर उनकी समीक्षा करने के नाम पर अभ्यर्थियों से धरना-प्रदर्शन करवा रही है जबकि अब साफ़ है कि बेसिक शिक्षा विभाग का ढांचा समाजवादी सरकार द्वारा ले जाएगी सिविल अपील पर आने वाले आदेश के पश्चात बदल जाएगा और जिस अहंकार में डूब कर बारम्बार विभिन्न प्रकार के आदेश पारित किये जाते हैं वे बंद हो जाएंगे , इसके अलावा भ्रष्टाचार को खत्म करने के मकसद से चलाया गया समायोजन/स्थानांतरण प्रोग्राम भी स्वतः ही धाराशाई हो जाएगा अगर व्यवस्था संभालने के लिए कुछ समय मा० सर्वोच्च न्यायालय नहीं दिया गया तो |
ज़रा सोचिये अगर ये शिक्षामित्रों का मसला मा० सर्वोच्च न्यायालय में वर्ष 2015 में नहीं उठा होता तो उ०प्र० में आज की स्थिति क्या होती :-
*क्या इस मुद्दे को चुनावी घोषणा पत्र में शामिल किया जाता ?
*क्या खुद को योग्य बताने वाला टेट मोर्चा इन अयोग्यों के खिलाफ आवाज बुलंद कर पाता क्यूंकि हकीकत अब सभी जानते हैं लड़ने वालों की ?
*अकादमिक वाले जिनके अनुसार समाजवादी पार्टी भर्तियां कर रही थी उनको क्या जरूरत पड़ी थी ?
*बीटीसी वाले जिनको नियुक्ति का ऑफर समाजवादी पार्टी ने मा० पूर्ण पीठ के समाने ही दे दिया था जिस पर खरे साहब तैयार भी थे लेकिन हमने इस पर केवल एसएम मुद्दे को सॉल्व करने को कहा , क्या इंट्रेस्ट लेते ?
ये मुद्दा दम तोड़ देता और शिक्षामित्र सहायक अध्यापक के पद पर कार्यरत रहते और आज जो चिल्ला रहे हैं वे उफ्फ तक नहीं करते बस अखिलेश को और भाजपा को कोसते रहते |
महाराज जी के मंत्रियों को अब बेसिक में शिक्षकों से सम्बंधित कोई भी कदम को लेकर बयान मा० सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के उपरान्त ही देना चाहिए बाकी बच्चों पर दिल खोलकर पैसा खर्च करे |
फिलहाल तो वक्त का तकाजा ये ही कहता क्यूंकि आनेवाला आदेश अब 2019 की बिसात तय करेगा बाकी हमारा क्या है अगर मा० सर्वोच्च न्यायालय का रहमो करम रहा तो भ्रष्टाचार के खिलाफ हमेशा ही लड़ेंगे और जिस दायित्व के लिए आए हैं उसे अपने 110 % शक्ति से पूरा करने का प्रयास करेंगे |
चूंकि अभी तो मोदी जी ने कहा है कि सर्व-प्रथम खुद से बदलने की कोशिश करो तो उसी दिशा में स्वच्छ भारत अभियान के तहत विद्यालय साफ़ कर रहे हैं क्यूंकि सफाई कर्मी प्रधान के घर का सेवक है नाकि हमारे प्राथमिक विद्यालयों का | 👇🏻👇🏻👇🏻👇🏻
महादेव समस्त का भला करें और शुरुआत बेसिक से करें
हर हर महादेव 🚩🚩🚩🚩🚩
धन्यवाद
आपका_हिमांशु राणा
Note :- सफाई तो अमूमन करते ही हैं लेकिन आज साथ वाले टीचर ने फोटो खींच की जबकि मेरे द्वारा इस व्यवस्था के मद्देनजर मुख्य सचिव , बेसिक शिक्षा अधिकारी एवं डीएम महोदय को अप्रैल माह में ही पत्र लिखा गया था |
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