गुनाहगार
न नौकरी के काबिल , न वेतन के काबिल , न पेंशन का हक़दार है,
सब के सब दूध के धुले हैं यहाँ , बस एक शिक्षक ही गुनाहगार है।
मैं काफी समय से सोंच रहा हूँ कि वास्तव में उत्तरप्रदेश के समस्त सरकारी #शिक्षक वर्ग को #फांसी पर चढ़ा देना चाहिये क्योंकि वह टूटे फूटे, दो तीन कमरों के प्राइमरी स्कूलों में जहाँ न साफ शौचालय है न विजली न पानी, न LKG से लेकर पांच तक के लिए न्यूनतम 6 शिक्षक और कक्षाएं न संसाधन, न ही जिम्मेदार अभिभावकों के जागरूक बच्चे, क्योंकि वह अत्याधुनिक विशाल समस्त संसाधनों से युक्त बिल्डिंग, कई सफाई कर्मी, आया, 40 या 50 के स्टाफ से युक्त अत्यधिक जागरूक अभिभावकों के बच्चे जिनके अभिभावकों का उद्देश्य अपने बच्चों को मात्र शिक्षा देना है उन निजी स्कूलों से प्रतिस्पर्धा नही कर पा रहे सरकारी शिक्षक ज्ञान के पेट्रोल पंप बनने में असमर्थ हैं क्योंकि उनके गाव में कोई भी बच्चा कभी भी यदि भूले भटके स्कूल आ जाए तो उसको मिडडे मील के साथ तत्काल ज्ञान पेट्रोल की भांति एक दो दिन में ही भरने में सक्षम नही है और बच्चा ज्ञान से दनदनाने लगे। लेकिन ऐसा नही हो पा रहा आखिर शिक्षक ज्ञान का पेट्रोल पम्प क्यो नही बन पा रहा। लेकिन वही जब PWD या आवास विभाग जैसे विभागों के लोग सिर्फ कागज में ही रोड और घर बना के करोड़ो रूपये खा जाते हैं तब वह परमवीर चक्र के पात्र हैं सेल टैक्स के एक कानपुर के अधिकारी जिनका वेतन एक लाख है जब उनके घर मे करोड़ो रूपये नकद और करोङो की प्रॉपर्टी मिलती है तब उनकी कोई आदमी , नेता या मीडिया जेल में बंद करने एवं फांसी देने की मांग नही करता सिर्फ जांचे ही होती हैं । सेल टैक्स , बिजली, नगर निगम,RTO, विकास प्राधिकरण, खनन , आदि सभी विभागों के निम्नतर से लेकर उच्चतर तक 99%लोग जब खुलेआम घूसखोरी करके सरकारों और आम जनता को करोङो अरबों की गुल्ली लगा रहे हैं यह सब किसी सरकार को नही दिखता क्योंकि वह कमाई से अपना हिस्सा ऊपर तक भेजते हैं और शिक्षक न तो भृष्टाचार की क्षमता रखता है तो न इच्छा, इसलिए वह ही शिकार बनता है उसे अपना वेतन ही पाने के लिए BSA व DIOS आफिसों में घुस देनी पड़ती है । मेरी जानकारी में आवास विकास आजकल एक जगह 35 लाख रुपये में तीन कमरे बना रहा है, ऐसे होते हैं सरकारी निर्माण। अरे अगर इतनी ही ईमानदार सरकार है तो इन विभागों में जब अधिकतर जगह भ्रष्टाचार का नंगानाच मात्र जहा हो रहा है वहा भी तो नजर इनायत करिए। आखिर प्रदेश में कौन सा विभाग दूध का धुला है यही बता दीजिए। आखिर कहा और किस विभाग में व्यवस्था नाम की चीज है बता दीजिए । फिर शिक्षक को ही क्यो लांक्षित कर रहे है एक प्रधान पांच साल में करोड़ों का मालिक बन जाता है। हर व्यक्ति जानता है लेकिन आज तक कितनो की जांच हुई और जेल गए। है कोई हिसाब। कितने अधिकारी जेल गए। अरे आखिर भ्रष्ट लोगो को छोड़कर क्या सिर्फ शिक्षक ही खटकता है तो बंद कर दीजिए स्कूल । लेकिन कुछ तो नैतिकता पूर्ण आक्षेप कीजिये। आखिर भृष्ट लोगो को जेल में जब भेजने की किसी की औकात नही है सारे भ्रष्ट कर्मचारी और अधिकारी मौज और सम्मान दोनो पा रहे हैं तो शिक्षक के लिए हाय तौबा क्यों । वह ही एक वर्ग है जहाँ थोड़ी बहुत नैतिकता है बाकी जगहों में तो भगवान ही मालिक है।*
*आखिर शिक्षक वर्ग ज्यादा पढ़ा तो है ही अन्य कर्मचारियों से तो उन्हें दूसरे विभागों में भी अवसर देके चेक कर लीजिए , आपके अन्य सरकारी विभागों के कर्मचारियों से से ज्यादा विविध सेवाएं वह देते है वह भी ठीक ही करेंगे लेकिन सिर्फ लांछित और अपमानित न कीजिये, मेरा मानना है कि अगर सरकार खेती करवाती होती तो शिक्षकों से खेत भी कटवाती क्योंकि कोई ऐसा काम नही बचा है सफाई खाना अनेकों प्रकार की ड्यूटियां तो वह पहले ही कर चुके हैं। इस लिए कुछ तो मानवता दिखाइए। यदि किसी की आत्मा जिंदा हो। रही ईमानदारी की बात तो हम भी तो जाने की आखिर आजकल ईमानदार है कौन या शिक्षकों से भी उच्च आदर्श वाला कौन है आज भी।
याद रखिये अपनी असफलताएं और कमजोरियां दूसरों के मत्थे मढ़कर कोई भी समाज और सरकार ज्यादा समय तक नही टिक पाएंगी। साहस है तो भृष्ट लोगो मे भय पैदा कीजिये। प्रशासन भय से चलता है।
सहमति असहमति का सुझाव सहित तर्क युक्त स्वागत है। यदि आप भी शिक्षक है और सहमत हैं तो शेयर जरूर करें ।
साभार - व्हट्स्प पर प्राप्त । (आदरणीय श्री राहुल रस्तोगी नाम से )
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*आखिर शिक्षक वर्ग ज्यादा पढ़ा तो है ही अन्य कर्मचारियों से तो उन्हें दूसरे विभागों में भी अवसर देके चेक कर लीजिए , आपके अन्य सरकारी विभागों के कर्मचारियों से से ज्यादा विविध सेवाएं वह देते है वह भी ठीक ही करेंगे लेकिन सिर्फ लांछित और अपमानित न कीजिये, मेरा मानना है कि अगर सरकार खेती करवाती होती तो शिक्षकों से खेत भी कटवाती क्योंकि कोई ऐसा काम नही बचा है सफाई खाना अनेकों प्रकार की ड्यूटियां तो वह पहले ही कर चुके हैं। इस लिए कुछ तो मानवता दिखाइए। यदि किसी की आत्मा जिंदा हो। रही ईमानदारी की बात तो हम भी तो जाने की आखिर आजकल ईमानदार है कौन या शिक्षकों से भी उच्च आदर्श वाला कौन है आज भी।
याद रखिये अपनी असफलताएं और कमजोरियां दूसरों के मत्थे मढ़कर कोई भी समाज और सरकार ज्यादा समय तक नही टिक पाएंगी। साहस है तो भृष्ट लोगो मे भय पैदा कीजिये। प्रशासन भय से चलता है।
सहमति असहमति का सुझाव सहित तर्क युक्त स्वागत है। यदि आप भी शिक्षक है और सहमत हैं तो शेयर जरूर करें ।
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