सीएम हेल्पलाइन बनेगी मददगार: इसकी शुरुआत नवंबर से हो जाएगी, प्रमुख सचिव तक की जिम्मेदारी तय की गई

अभी तक आइजीआरएस (एकीकृत शिकायत निवारण प्रणाली) में ही आप अपनी शिकायत दर्ज करा पाते हैं। इसमें सात पोर्टल हैं, जिसमें मुख्यमंत्री का भी एक पोर्टल है, लेकिन अब नवंबर से अलग से मुख्यमंत्री (सीएम)
की हेल्पलाइन भी आप के लिए मददगार बनेगी।
इसमें हर अधिकारी की जिम्मेदारी तय कर दी गई है। यानी किस अधिकारी को कितने दिन में समस्या का निस्तारण करना होगा। 1 नगर आयुक्त, जिलाधिकारी, कमिश्नर और प्रमुख सचिव तक की समय सीमा को बांधा गया है। मुख्यमंत्री हेल्पलाइन के लिए लखनऊ में एक कॉल सेंटर भी बनाया जाएगा। इस कॉल सेंटर के बैंड एंड पर एनआइसी द्वारा संचालित आइजीआरएस को इंटीग्रेड किया जाएगा। कॉल करने वाले लोगों की शिकायतों को भी इसी सिस्टम पर पंजीकृत किया जाएगा। 1आइजीआरएस में लंबित रहते हैं मामले : आइजीआरएस में शिकायतों को निस्तारित करने में अधिकारी मनमानी करते हैं और झूठी रिपोर्ट तक भेज देते हैं। जिलाधिकारी स्तर पर होने वाली समीक्षा में अक्सर एडीएम स्तर के अधिकारी ही समीक्षा करते हैं और कोई कार्रवाई न होने से संबंधित विभाग के अधिकारी शिकायतों को निस्तारित करने में कागजी पेट भरते हैं। बीते दिनों नगर निगम के दो अभियंताओं को आइजीआरएस में झूठी रिपोर्ट देने पर कार्रवाई की गई थी। विराट खंड में पक्के चबूतरे पर किए गए निर्माण को हटाने की शिकायत पर अभियंताओं ने गलत जानकारी दी थी। गलत रिपोर्ट देने के कारण जिलाधिकारी को रिपोर्ट देर से भेजी गई थी। जिससे जिलाधिकारी की सूची में नगर निगम डिफाल्टर साबित हो गया था। झूठी रिपोर्ट देने के मामले में नगर आयुक्त उदयराज सिंह ने नगर अभियंता जोन-चार अमरनाथ वर्मा को कठोर चेतावनी देते हुए अवर अभियंता सुरेश मिश्र को प्रतिकूल प्रविष्टि दी थी। अभियंताओं ने बिना स्थलीय निरीक्षण किए मामला उद्यान विभाग का बता दिया था। जब उद्यान विभाग ने जांच की तो पता चला कि पेड़ के किनारे चबूतरे पर पक्का निर्माण है, जो अभियंताओं के कार्यक्षेत्र में आता है।’

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