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UPPSC: हिंदी अनिवार्यता के लिए एकजुटता तेज

इलाहाबाद उप्र लोकसेवा आयोग की पीसीएस जे यानी न्यायिक सेवा सिविल जज (जूनियर डिवीजन) की मुख्य परीक्षा में उठे हंिदूी भाषा की अनिवार्यता के मुद्दे पर प्रदेश के सभी लॉ कालेजों में आंदोलन छेड़ने की तैयारी है।
13 मई 2018 को प्रस्तावित परीक्षा के लिए आयोग को शासन से अधियाचन मिले, इससे पहले मांगें पूरी करवाने को छात्र छात्रओं का समूह जनवरी महीने में ही जुटेगा। इसमें भाषा के प्रश्नपत्र में हंिदूी की अनिवार्यता के अलावा परीक्षा में मिलने वाले चार अवसरों को खत्म करने की मांग प्रमुख है।
न्यायिक सेवा समानता संघर्ष मोर्चा की ओर से पिछले दिनों शुरू हुए आंदोलन में इलाहाबाद के अलावा वाराणसी, गोरखपुर, बरेली और दिल्ली में भी रहकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्र छात्रओं ने समर्थन दिया है। मोर्चा के प्रतिनिधि मंडल ने बीएचयू, बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय, इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अध्ययनरत प्रतियोगी छात्रों को जोड़ने के बाद गोरखपुर विश्वविद्यालय, राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय, लखनऊ विश्वविद्यालय और बरेली लॉ कालेज के विधि विभाग के छात्र छात्रओं से भी संपर्क साध कर आंदोलन को मजबूती देने की तैयारी की है। 1सूत्र बताते हैं कि पीसीएस जे 2018 परीक्षा के लिए उप्र लोक सेवा आयोग को शासन से अधियाचन जनवरी में मिल सकता है। आयोग के छमाही परीक्षा कैलेंडर के अनुसार 13 मई 2018 को परीक्षा होनी है। इसका अधियाचन आने से पहले ही भाषा के प्रश्न पत्र में हंिदूी को शामिल करने, चार अवसर की बाध्यता समाप्त करने और नियमित भर्ती निकालने की मांग पर हजारों छात्र छात्रओं को एकजुट करने की जनवरी में ही तैयारी है। मोर्चा के प्रतिनिधि मंडल में रामकरन निर्मल, आशीष पटेल, रजनी मधेशिया, देवेंद्र माथुर और गजेंद्र सिंह यादव ने संघर्ष को मुकाम तक पहुंचाने की योजना बनाई है।

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