जासं, इलाहाबाद : वेतन नहीं मिलने से शिक्षा विभाग में संविदा पर तैनात
कंप्यूटर ऑपरेटर अखिलेश सिंह (31) ने बुधवार रात फांसी लगाकर जान दे दी।
घटना से नाराज सहकर्मियों ने गुरुवार दोपहर पोस्टमार्टम हाउस पर हंगामा भी
किया। हालांकि पुलिस को मिले सुसाइड नोट में अखिलेश ने बीमारी से खुदकशी
करने की बात लिखी थी, जबकि परिजन वेतन नहीं मिलने की बात कह रहे हैं। पुलिस
मामले की जांच कर रही है।
धूमनगंज थाना क्षेत्र के नीमसराय मुहल्ले में रहने वाले प्रेम चंद्र
पंचायत विभाग में लिपिक पद से रिटायर्ड हैं। उनके पांच बेटे और चार बेटियों
में अखिलेश तीसरे नंबर का था। उसकी शादी नहीं हुई थी। परिजनों के मुताबिक,
बुधवार रात खाना खाने के बाद अखिलेश मकान की दूसरी मंजिल पर अपने कमरे में
सोने चला गया था। गुरुवार सुबह वह देर तक नहीं उठा तो घरवाले कमरे में
पहुंचे। वहां की हालत देख उनके पैरों तले जमीन खिसक गई। अखिलेश चद्दर से
पंखे के चुल्ले में लटक रहा था। दरवाजा भी खुला था। सूचना पाकर पुलिस मौके
पर पहुंची। कमरे की छानबीन में एक सुसाइड नोट मिला, जिसमें लिखा था कि वह
बीमारी से तंग आकर आत्महत्या कर रहा है। घरवालों को परेशान न किया जाए।
वहीं पोस्टमार्टम हाउस पर मौजूद भाई योगेश व अन्य ने आरोप लगाया कि अखिलेश
को सर्वशिक्षा अभियान कार्यक्रम के तहत 10 हजार रुपये प्रतिमान के मानदेय
पर कंप्यूटर आपरेटर की नौकरी मिली थी। करछना के बीआरसी दफ्तर में अखिलेश
कार्यरत था और करीब आठ माह से वेतन नहीं मिला था। शायद इसी से आजिज आकर
उसने आत्मघाती कदम उठाया है। अखिलेश की मौत की खबर पाकर तमाम सहकर्मी
पोस्टमार्टम हाउस पहुंचे और घटना व वेतन को लेकर प्रदर्शन करते हुए हंगामा
किया। पुलिस का कहना है कि टीबी की बीमारी का अब पूरा इलाज संभव है, लेकिन
परिजनों को बीमारी के बारे में जानकारी नहीं है। फिलहाल अखिलेश की मौत से
मां ऊषा व परिजन रोते-बिलखते रहे। इंस्पेक्टर धूमनगंज संदीप मिश्रा का कहना
है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
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