यूपी पीएससी से भर्तियों की सीबीआइ जांच भटकाने की कोशिश शुरू है। आशंका
है कि राजनीतिक हस्तक्षेप के चलते न तो कोई ठोस कार्रवाई होने दी जा रही
है और न ही भर्ती में गड़बड़ी के सीधे जिम्मेदार लोगों से पूछताछ हो पा रही
है। पीसीएस परीक्षा 2015 में गड़बड़ी का पता लगा।
सीबीआइ अफसरों की ओर से
भेजे गए समन की संदिग्ध चयनित अनदेखी कर रहे हैं और जांच टीम प्रभारी को कई
अन्य बड़े मामलों की जांच सौंप देना भी इसी साजिश का हिस्सा माना जा रहा
है।
यूपी पीएससी से पांच साल में हुई भर्तियों की सीबीआइ जांच शुरू हुए छह
महीने हो चुके हैं। जांच शुरू करने से पहले लखनऊ में सीबीआइ की ओर से दर्ज
पहली प्राथमिकी और पांच मई को दिल्ली मुख्यालय में दर्ज अज्ञात के खिलाफ
दूसरी प्राथमिकी के अलावा जांच अधिकारियों के कदम आगे नहीं बढ़ सके हैं।
सीबीआइ ने पीसीएस 2015 परीक्षा के चयनितों को पहले इलाहाबाद स्थित कैंप
कार्यालय से और इसके बाद दिल्ली मुख्यालय से समन भेजा। सीबीआइ अफसरों के
अनुसार टॉपर व अन्य संदिग्ध चयनित समन की अनदेखी कर रहे हैं लगता है कि वे
सवालों का सामना नहीं करना चाहते। सूत्रों की मानें तो भर्तियों में व्यापक
पैमाने पर गड़बड़ी हुई है जिससे पर्दा उठने पर गलत तरीके से चयनित ही
नहीं, सफेदपोश और पुलिस के कई बड़े अधिकारियों का भी फंसना तय है। सूबे में
तैनात रह चुके एक बड़े अधिकारी समेत यूपी पीएससी में भी सदस्य रहे दो
रिटायर्ड आइपीएस अधिकारियों की ओर से जांच भटकाने की कोशिश हो रही है। एक
राजनीतिक पार्टी के बड़े नेता और केंद्र सरकार की कैबिनेट में शामिल मंत्री
से अपनी पहुंच का भरपूर इस्तेमाल कर रहे हैं। कई पीसीएस अफसर, उप्र
सचिवालय से लेकर दिल्ली तक उच्च पद पर आसीन अधिकारियों भी इसी मुहिम में
जुटे हैं। सीबीआइ जांच प्रभारी के पास अभी कई बड़े घोटालों की जांच है,
जबकि यूपी पीएससी में ही तमाम भर्तियों की जांच होनी है।
